बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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अंजुल को समुद्र तट के किनारे बड़े से पत्थर पर बैठे काफी समय बीत गया था। धीरे धीरे सूर्य भी अस्ताचल की ओर चल दिया सूरज की लालिमा बिल्कुल मेरे चेहरे की तरह मलिन पड़ गई। मेरे पास ही खड़ा नारियल का सूखा ठूंठ मेरी दुख अनुभूति का गवाह बना खड़ा था। आसमान की लालिमा शनै शनै सुरममई हो गहरा गई पता ही न चला।

मानस पटल पर चित्र आ और जा रहें थे।

मां की कहीं बातें एक एक करके याद आने लगी थी।एक दिन फोन पर शादी से बार बार इनकार करने पर माँ ने जोर देकर पूछा आखिर क्यों नहीं करना चाहती शादी।

माँ में शादी के बंधन को नहीं मानती स्वतंत्र रहना चाहती हूँ। मैं केशव के साथ....क्या ये सही है ?

इस तरह के बिना शादी किए किसी के साथ रहना।

माँ के हाथ से पास बैठे पिता ने फोन लेकर .. अंजुल तुम .....ये ये क्या किया तुम ने अब कभी अपना मुंह मत दिखाना मैं मर जाऊं तब भी मत आना समझी और रिसीवर पटक दिया था।

कुछ ही देर में फिर फोन की घंटी बजी डरते हुए उठाया माँ ने रोते रोते बिलखते हुए बोली।

जब उन्हें पता चला कि मैं लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हूँ।

एक आह भरी उन्होंने और इतना ‌ही कहा अंजुल ये बेबुनियाद रिश्ते से तुम्हें सुख कितना और कब तक मिलेगा पता नहीं। हमें तुमने दुःख पहुँचाया है।

"तुम आज की पीढ़ी शादी को बंधन क्यों मानती हो। "

अंजुल याद रखो जिस सामाजिक ढांचे में हम रहते हैं , वहां ऐसे रिश्ते फिट नहीं हो सकते साथ ही तुम्हें वो मान सम्मान नहीं मिलेगा ना विश्वास ही मिलेगा जिसकी तुम हकदार हो।

हम पुरानी पीढ़ी जरूर है लेकिन तजुर्बा है।

ऐसे भरमाने वाले रिश्ते में विश्वास की डोर कमजोर होती है।

इस तरह की रिलेशनशिप में लोग पल में बंधन तोड़ देते है। वो समय बड़ा पीड़ा दायक होता हैं, तुम बच्ची हो अभी समझ नहीं है, जब दुनियांदारी की समझ आयेगी समय बीत चुका होगा।

इस तरह के बेबुनियाद रिश्तों का क्या है , जाने कब तुम्हें मझधार में छोड़ किसी और नाव में सवार होकर निकल जाए ?

तुम मूक दर्शक बनी उसे रोक नहीं पाओगी। तुम्हारी भोरोसे की दीवार तोड़ कर वो जा चुका होगा।

अंजुल लिव इन रिलेशनशिप में रहनेवाले लोग अवसरवादी होते हैं।

इन रिश्तों को अविश्वस की जंग गला देती है ऐसे रिश्ते क्षण भंगुर होते हैं , कभी नहीं चलते टूट जाते हैं।

आज ना‌ सही ! एक समय तुम्हें मेरी कही बात जरुर याद आयेगी रिश्तों के बंधन तुम्हें अपनी और खींचने लगेंगे लेकिन तुम्हारे हाथ से सारे रिश्ते नाते रेत की तरह फिसल चुके होंगे।

अंजुल अस्ताचल के सूरज की निस्तेज होती‌ किरणों को देख कर अंजुल की आँखो में आँसू भर आए आज ना मां है और ना वो लिव इन रिलेशनशिप है।

माँ ! सच कहती थीं आप केशव मेरा भरोसा तोड़ कर चला गया।

काश माँ ! मैंने आप की बात पर ध्यान दिया होता

ओह ! माँ मेरे अरमान भाप की तरह उड़  गए पर जलन छोड़ गए।


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