STORYMIRROR

Arvina Ghalot

Tragedy Inspirational

3  

Arvina Ghalot

Tragedy Inspirational

जोकर

जोकर

1 min
265

दर्शक दीर्घा में बैठे हुए सोच रही थी कलाबाजियां दिखाते हुए तीन फिट के जोकर को जो चेहरे पर निरंतर मुस्कुराहट लिए करतब दिखा रहा था।

 उसकी अजीबोगरीब हरकतों से बच्चे उछल उछल कर तालियां बजा रहे थे। पता नहीं मेरा मन कुछ विचलित सा हो रहा था उस जोकर से बात करने के लिए। जब शो ख़तम हुआ तो में चली गई पीछे जोकर से मिलने देखा चिंपाजी के के पिंजरे के पास उदास बैठा था। मेरे हलो कहते ही उसकी छलक कर आँखें दगा दे गई मन की हालत खुद बखुद बयां हो गई। 


कहने को कुछ शब्द ही नहीं मिल रहे थे साहस बटोर कर पूछा कैसे हो भाई।

"दीदी हम जोकर लोग केवल दूसरों को खुश करने के लिए ही बने हैं।" हमारा अपना कुछ नहीं ग़म में भी हँसना पड़ता है। 

देखिए आज मेरी माँ बहुत बीमार है फिर भी मुझे ये शो करना पड़ा ताकी चंद सिक्के मिले सके और मैं घर भेज सकूं जा नहीं सकता दस वर्ष का एग्रीमेंट है। इस एग्रीमेंट के बदले माँ को भ्रम पोषण के लिए कुछ पैसा मिल गया था।

 पिंजरे में बंद चिंपाजी में और मुझमें फर्क ही क्या है ? दोनों ही कैद में है।

"दीदी मुझे एक बात का संतोष है कि मैं माँ के कुछ काम आ सका।"

जोकर ने मुस्कुराहट फिर ओढ़ ली और दूसरा शो करने के लिए चल पड़ा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy