Arvina Ghalot

Romance

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Arvina Ghalot

Romance

चालीसवां बर्थ-डे

चालीसवां बर्थ-डे

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किटी पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। सभी हाऊजी में व्यस्त थी। रोजी पीछे की सीट से उठकर आगे शिल्पा की बगल में आकर बैठ गई।


शिल्पा सुनो ! तुम्हारा चालीसवां बर्थ-डे आ रहा ।

 क्या प्लान किया है ? हमें भी तो कुछ बताओ ?

 रोजी ! तुम देखना पार्टी को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोडूंगी।

'यह सब कुछ डिफरेंट लुक स्टाईल में होगा।'

अल्पना धीरे से बोली हम सब ने एक एक करके चार दशक पार कर ही लिए अब तुम ही बची हो ......हाहाहाहाहा

जल्वा ! इन सब की आवाज में सुनाई नहीं दिया बताना हाऊजी का लास्ट नं क्या बोला था 40 नंबर हाहाहाहाहा...मेरा तो फर्स्ट फुल हाउस हो गया। 


"शिल्पा यूं आर लकी गर्ल।"


तुम लोग हाऊजी पर ध्यान दो वर्ना बचे हुए सारे प्राइज हाथ से निकल जायेंगे , मेरी बर्थ-डे पार्टी बाद में डिस्कस करना। 

ओके , आगे का नं बोलो।

 सिंगल नं 3 पर रोजी उछल पड़ी मेरा भी सेकेंड फुल हाउस हो गया इसी के साथ हाऊजी समाप्त हो गई। 

जैसे ही किटी पार्टी समाप्त हुई , शिल्पा ने अपने घर की तरफ गाड़ी दौड़ा दी। 

घर में घुसी तो किचिन से चाय उबलने की सुगंध से उसके पैर किचिन की तरफ बढ़ चले वहां श्रीमान जी आफिस से आकर श्रीमान जी किचन में चाय बना रहे थे।

शिल्पा को किचन में आया देखकर, शिल्पा चाय पियोगी।

श्योर हाफ कप मेरे लिए भी बना लेना , में चेंज करके आती हूँ।

स्वप्निल ने चाय बना जाने पर दो कप में छाना और बालकनी में आ गया। 

 लगता है , आज तो शिल्पा कुछ ज्यादा ही खुश नज़र आ रही है। शिल्पा कहीं कोई डिमांड ना कर बैठे अक्सर जब वो ज्यादा खुश दिखाई देती है तो .... स्वपनिल ने बालों को पीछे की ओर झटककर चाय का एक सिप लिया तब तक शिल्पा भी आ गई। चेंज करके लौटी शिल्पा ने 

टेबल पर रखा कप हाथ में लिया और निगाहें सड़क पर जमा दी। आते जाते लोगों को देखने लगी।

शिल्पा क्या सोच रही हो ... स्वपनिल मेरा बर्थ डे आने वाला है इसे में यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हूँ।

अब मैं समझा , तुम इतनी खुश क्यों दिखाई दे रही हो।

बेगम साहिबा आगे कहो मैं क्या खिदमत कर सकता हूँ।

स्वपनिल मुझे पचास हजार रुपए चाहिए।

शिल्पा तुम सब कुछ तो जानती हो अभी फ्लेट की पहली किस्त जमा करनी है। अगर नहीं की तो फ्लेट नहीं मिलेगा स्वप्निल मैं अपनी दोस्तों को कह चुकी हूं सब मेरा मजाक बनाएंगी , सब से कह चुकी हूँ कि बर्थ-डे पर ग्रांड सेलीब्रेशन करुंगी उसका क्या ? 

शिल्पा अभी तक तो तुमने कभी बाहर बर्थ डे मनाया नहीं घर में ही सादगी से हम मना लेते थे। 

'ये क्या नया शौक लगा लिया है।'?

मेरा जो यह किटी ग्रुप है उसमें सभी ने अपने चालीसवें ‌ बर्थ-डे की पार्टी को बहुत ही खूबसूरत तरीके से मनाया है।

अब मेरी बारी है, अपने लिए ड्रेस , खाने पीने डेकोरेशन और रिटर्न गिफ्ट भी देना होगा इसके लिए पैसे तो चाहिए ।

शिल्पा मैं इतने पैसे तुम्हें नहीं दे सकता। तुम अपने पापा से मांग लो ......क्या कहा ? 

वे पेंशन में गुजारा कर रहे, इतना बेहया नहीं हूं की पिता की पेंशन पर नजर रखूँ, मैं उन से नहीं मांग सकता , इस बात को अच्छी तरह से समझ लो तुम।

शिल्पा पैर पटकती हुई बेडरुम में चली गई।

बैड पर लेटकर रोना शुरू कर दिया। 


हे प्रभु बुद्धिजीवियों के अंदर बुद्धि का इतना अभाव ...... स्वप्निल को अपनी जेब कटने के पूरे आसार नज़र आ रहे थे। जैसा कि हर बार होता आया है।


चलो बेटा उठो चलकर मनाने वर्ना रोटी नहीं मिलने की .........शिल्पा का रोना लाख समझाने पर भी रुक ही नहीं रहा था। 

स्वप्निल क्या मुझे जन्मदिन मनाने का अधिकार नहीं है ? 

अधिकार है, मैं भी मानता हूँ , लेकिन फिजूलखर्ची से बचना चाहिए अपनी जेब को भी टटोल कर देख लेना चाहिए अमीरों के लिए जो एक मामूली खर्च है वहीं हमारे लिए खर्च करने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। 

इतनी नादान तो तुम हो नहीं कि बात समझ ना सको।


स्वप्निल मैंने अपनी दोस्तों से वादा किया है। 

 बहुत अच्छी पार्टी का इंतजाम करूंगी , मैं उनको क्या जवाब दूंगी ?

ये अमीरों के साथ दोस्ती करके इधर घर के हालात पर तुम्हारा ध्यान ही नहीं है। फिर भी मैं दे दूंगा पचास हजार अब खुश हो जाओ।


स्वप्निल ने शिल्पा के आगे सेरेंडर करते हुए कहा ले लेना पैसे।


अभी तो कह रहे थे , आपके पास पैसे नहीं हैं अब कहाँ से आए ? 


पैसे वाकई मेरे पास नहीं हैं 

लेकिन तुम चिंता मत करो मैं करता‌ हूँ, कहीं ना कहीं से प्रबंध । 


पहले मेरे एकाउंट में पैसे भेजो तब मैं मानूंगी। 


कह तो दिया मेरा विश्वास करो 

हम्म ... अब उठो और चलकर खाना बनाओ बहुत भूख लगी है।

शिल्पा  बेमन से उठी और किचन में ‌आई रात काफी हो चुकी थी इस लिए उसने खाने में पुलाव बना लिया प्लेट परोस कर टेबल पर रख कर फिर से पलंग पर लेट गई।

स्वप्निल डायनिंग टेबल पर एक ही प्लेट में पुलाव देखकर समझ गया महारानी जी अभी भी खफा हैं। प्लेट उठाकर अंदर ही ले आया सोचा इसी में से आधा आधा खा लेंगे पर ये क्या शिल्पा सो चुकी थी।

स्वप्निल का भी मन नहीं किया खाने का प्लेट वापस डायनिंग टेबल पर ढक कर रख कर वह खुद भी सो गया।।


सुबह स्वप्निल जागा उसके मस्तिष्क में उथल-पुथल मची हुई थी कि पैसे कहां से लाऊं ,वरना शिल्पा तो मुझे ताने दे दे कर परेशान कर देगी।


कैसे भी करके मुझे पैसों का इंतजाम करना होगा।


 शर्मा जी ने प्लाट के लिए जो पैसा मुझे जमा करने के लिए दिया है।

मैं उसी को शिल्पा के एकाउंट में ट्रांसफर कर देता हूँ।

पैसे अरेंज होने पर जमा कर दूंगा। 

सोचता हुआ आफिस जाने के लिए तैयार हो गया।

देखा शिल्पा तो आभी तक उठी नहीं थी शायद वो ऐसा जानबूझ कर सो‌ रही है। स्वप्निल ने शिल्पा को जगाना उचित नहीं समझा बैग लेकर आफिस के लिए निकल पड़ा।

स्वप्निल ने आफिस पहुंच कर आज केंटीन में ही नाश्ता किया और ऑफिस में अपनी टेबल पर आकर काम निपटाने लगा लेकिन मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था। पता नहीं शिल्पा को क्यों लगता है ? जैसे उसके पास पैसे का पेड़ लगा है ..... 

स्वप्निल ने शिल्पा के खाते में पचास हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए 


कुछ ही देर बाद शिल्पा का मैसेज आया थैंक्यू डार्लिंग दो ही दिन बचे हैं तैयारी के लिए शाम को शापिंग चलते हैं।

स्वप्निल ने जवाब में लिख दिया मुझे आने में देरी होगी तुम खुद ही चली जाना। 

शिल्पा को इसी पल का इंतज़ार था। 

पैसे मिलते ही जैसे पंख लग गए थे , उसने सबसे पहले रोजी को फोन पर साथ चलने के लिए तैयार होने के लिए कहा।

 खुद भी झट-पट तैयार होकर निकल पड़ी रास्ते में से रोजी को पिंक किया और दोनों सहेलियों शहर के एक बड़े से माल में पहुंच कर शापिंग की वहीं रेस्टोरेंट में खाया और शिल्पा ने स्वप्निल के लिए खाना पैक करवा ही रही थी कि रोजी ने कहा शिल्पा मेरे पति के लिए भी चायनीस पैक करा देना अब घर जाकर मेरी खाना बनाने की हिम्मत नहीं है। 

ओ. के डियर अभी करवाती हूँ। 


कांउटर पर पैमेंट कर दोनों सहेलियां पैकेट लेकर कार पार्किंग की ओर चल पड़ी।

 गाड़ी में बैठ कर सीट बेल्ट बांधते हुए रोजी से रहा नहीं गया .... शिल्पा यार तुमने तो पति की जेब पर बड़ा हाथ मारा है।

 आज तो जबरदस्त शापिंग की है। खाना भी मजेदार था।

 रोजी ! लेकिन अभी पार्टी दो दिन का समय है , तब तक सरप्राइज ‌को ओपन मत करना वरना सारा मजा किरकिरा हो जायेगा ।

इसकी फिकर मत कर, तुम बस एंजोय करो ।


स्वप्निल ने शिल्पा को शर्मा जी के पैसे ट्रांसफर कर तो दिए लेकिन तीन दिन में पचास हजार का इंतजाम करना ही होगा।

वर्ना इतनी बड़ी रकम में कहां से लाऊंगा उसे अपने सिर पर तलवार लटकी दिखाई दे रही थी। 

उसका मन बार बार मनोतियाँ मान रहा था।

 पैसों का इंतजाम कैसे किया जाय इसके लिए पूरे हाथ पैर मारे लेकिन उधार भी लोग कब तक देंगे।

यह तो उसका आए दिन का हो गया था।

शिल्पा को समझाने की कोशिश में हर बार नाकामयाबी ही मिलती थी घर का माहौल बिगड़ा ही रहता , यह दर्द ना सहने के कारण इधर उधर से ले कर हर महीने काम चला रहा था।

लेकिन इस बार रकम बड़ी थी और वह भी दूसरे की अमानत अभी वह अपना काम करके निकलने ही वाला था कि शर्मा जी सामने खड़े थे उन्हें इस तरह अचानक आया देखकर स्वप्निल घबरा गया जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो , उसने संभलते हुए उन्हें बैठने के लिए कह कर अपने माथे पर आए पसीने को पोंछने लगा।

शर्माजी इस वक्त कैसे आना हुआ।

अरे ! भाई क्या बताऊं मेरी पत्नी की तबीयत अचानक से खराब हो गई है ?

डाक्टर ने कहा है आपरेशन होगा।

उसके डाक्टर ने कई टेस्ट लिखे हैं, इलाज के लिए पैसों की जरूरत है।

 मैं अपने पैसे जो प्लाट के लिए ‌ आपको जमा कराने के लिए दिए थे उसमें से तीन लाख आप मुझे दे दे मैं प्लाट की कीमत अगले महीने जमा करा दूंगा।

स्वप्निल ने कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह से वह बेबस हो जायेगा लेकिन वह पैसा तो शर्मा जी का अपना था।

उनका मांगना भी वाजिब था। लेकिन स्वप्निल पांच लाख में से बचें आखिरी पचास हजार भी शिल्पा को दे चुका था 

स्वप्निल के आगे बस एक ही आप्शन था कि वह अपने फ्लेट के लिए रखे गए ‌‌पैसों में से शर्माजी के पैसे दे दे।

 खुद अपने घर का सपना हमेशा के लिए अपने सीने में दफन कर दे।

स्वप्निल ने कांपते हुई उंगलियों से पाँच लाख शर्मा जी के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए ।

शर्मा जी धन्यवाद कहा कर चले गए।

लेकिन स्वप्निल वहीं कुर्सी पर निढाल होकर बैठा गया उसकी घर जाने की इच्छा ही मर गई थी। 

आज माँ बहुत याद आ रही थी, मां बाबा का कितना ख्याल रखती जरूरत पड़ने पर अपने बचत के पैसों से कितनी ही बाबा को मेरी फीस भरने के लिए पैसे दिए। 

बहुत त ही सुलझी हुई सरल स्वभाव की महिला थी, किसी प्रकार के आडंबर दूर सरल जीवन बिताया बाबा‌ से कभी फरमाइश नहीं की उन्होंने। 

चपरासी ऑफिस कैबिन में स्वप्निल को इस तरह देखकर ठिठक गया ..... ..साहब तबीयत खराब है क्या ? 

अरे ! नहीं, स्वप्निल हड़बड़ा कर उठा और घर की तरफ लुटे हुए इंसान की तरह पैरो को घसीटता हुआ चल पड़ा।


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