जिराफ मदर
जिराफ मदर
एक बार की बात है। जंगल में जिराफ का परिवार रहता था। जिराफ मदर के दो छोटे-छोटे बच्चे भी थे जिराफ मदर को इन दिनों जंगल में बड़ी मशक्कत करने के बाद कुछ फल प्राप्त होते, जिन्हें वह अपने बच्चों के लिए लाया करती थी।
जैसे-जैसे जंगल कटते जा रहे थे पत्तेदार और फलदार वृक्षों की कमी होती जा रही थी यह सब देखकर मदर जिराफ का मन दुखी होता था एक दिन वह घर में बच्चों के लिए कुछ सूखे फल ही ला पाई उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे बच्चे मां को परेशान देखकर सोचने लगे हमें अपनी मां की मदद करनी चाहिए एक दिन दोनों बच्चे जंगल से गुठलियां और बीजों को उठा लाए। बच्चों ने अपने घर के पिछवाड़े में जगह को पहले साफ करके फलदार वृक्षों की गुठलियों को रोपित कर दिया और वह उनकी देखभा
ल करने लगे कुछ ही दिनों में उनमें नन्हें-नन्हें पौधे निकल आए जिन्हें देखकर वे खुशी से नाच उठे नीटू भाई कल मदर्स डे है क्यों ना हम मम्मी को यह सरप्राइस दे।
टिंकू जिराफ ने अपनी मां के पास जाकर कहा मां हम आपको कुछ दिखाना चाहते हैं आप हमारे साथ आए बच्चे मां को लेकर घर के पीछे की तरफ गए जहा फलदार वृक्षों के नन्हे नन्हे पौधे निकल आए थे यह देखकर माँ के हृदय में बेहद खुशी हुई
बगीचे में एक तख्ती पर लिखा था लव यू माँ। जिसे देखकर जिराफ मदर की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।
बच्चे भी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला उठे हैप्पी मदर्स डे मां अब आपको कहीं दूर तक फलों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा हमारे घर में ही आपको फल मिल जाएंगे।
मां ने बच्चों को गले लगा लिया।