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S N Sharma

Abstract Classics Inspirational

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S N Sharma

Abstract Classics Inspirational

नेह और स्वाभिमान

नेह और स्वाभिमान

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हमारी कॉलोनी में मेरे घर से बाहर कुछ दिनों से एक कुत्ता आकर बैठा रहता था। उसे शायद किसी ने पहले पाल रखा होगा और बाद में से छोड़ दिया। मेरी पोती अक्सर उसे रोटी बिस्किट ब्रेड आदि खिलाती रहती थी और वह उसके साथ कू कू करके बात करता रहता था वह अपनी दुम हिलाता और उसके जूतों पर पंजे मारकर खेलता रहता था। कभी-कभी मुझे डर लगता कि कहीं वह मेरी बच्ची को नुकसान न पहुंचा दें ।पर मेरी बच्ची थी कि लगातार स्कूल से आने के बाद उसे कुछ खाने को देती रहती और उसके साथ खेलती रहती थी।

मेरी पोती गर्मियों की छुट्टियों में अपने ननिहाल चली गई। अब उस कुत्ते को कोई रोटी देने वाला नहीं था और न ही वह कुत्ता कहीं इधर-उधर कुछ खाने पीने को जाता था। भूखे प्यासे जानवर को अपनी देहरी पर इस तरीके से डटा देखकर अंततः मुझे भी उस पर दया आ गई। मैंने अपने स्वभाव बस दो रोटी ले जाकर बालकनी से कुत्ते के पास नीचे फेंक दीं।कुत्ते ने मेरी और कातर नजरों से देखा पर उसने रोटी नहीं खाई ।

मेरे घर से झाड़ू पोछा करके जब कामवाली बाई बाहर निकली तो उसने मेरे द्वारा फेकी गई नीचे पड़ी रोटी को उठाया और कुत्ते के सर पर हाथ फिरा कर रोटी उसकी और बढ़ा दी। कुत्ते ने कृतज्ञता पूर्वक कामवाली बाई को देखा और चटपट उसने वह दोनों रोटी खा ली।

मुझे कुत्ते का स्वाभिमान देख कर आश्चर्य हुआ और फिर मैं ब्रेड के कुछ पीस और बिस्कुट के कुछ टुकडे लेकर नीचे पहुंचा और अपने हाथ में पकड़े हुए उस कुत्ते को दिखाए। कुत्ते ने मेरे प्रति कृतज्ञता दिखाते हुए अपनी दुम हिलाई और ब्रेड खाने के बाद मेरे पैरों के पास बैठ गया।

फेंके गए रोटी के टुकड़ों को भूखे होते हुए भी ना खाने का इस कुत्ते का निश्चय मुझे अंतर तक हिला गया और मैंने उस कुत्ते को अपने घर में पालतू कुत्ते की तरह जगह दे दी।


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