इलाज़
इलाज़
वह प्राइवेट एमएनसी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत था। काम का बोझ सुबह 8:00 बजे से रात को 8:30 बजे तक लगातार ड्यूटी करने पर भी किसी तरीके से कम नहीं होता नजर आ रहा था। जिस तरह नहर के पानी में से कई हजार बाल्टी पानी निकालकर भी फेंक दो तो भी नहर का पानी बहता ही जाता है। उसी तरीके से मैनेजर साहब के हजारों काम कराने के बाद भी काम खत्म होने का नाम ही नहीं लेता था। ऐसे ही काम खत्म ना होने की वजह से उनके सीनियर मैनेजर और उसके ऊपर के बॉस उन्हें नाकारा होने का तमगा लगातार देते रहते थे ।प्रतिदिन इतना काम करने के बाद भी लगातार गालियां खाना जैसे तनखाह का ही एक अंग था।
घर पर जाने पर बच्चों की देखरेख के साथ-साथ नौकर पेशा बीवी का उनके बॉस से भी ज्यादा डर था। घर जाकर फटाफट घर के काम मे मदद करते और साथ-साथ ऑफिस से आई हारी थकी बीवी से गालियां खाते।
इसी टेंशन में वह डिप्रेशन के शिकार हो गए ।मैनेजर साहब का दिल बहुत तेजी से धड़कने लगा। उन्हें बहुत घबराहट होने लगी। उन्हें कार में बैठने पर भी यदि कार जाम में फंस जाती तो उन्हें लगता कि जैसे उन्हें किसी ने जेल में बंद कर दिया हो। रेलवे के डिब्बे में बैठने में भी घबराहट होने लगी ।घबराकर वह सरकारी अस्पताल के मनोचिकित्सक के पास पहुंचे। डॉक्टर ने उनसे 20:से25 मिनट तक उनकी बीमारी के सारे लक्षण पूछे और उन्होंने अपनी अलमारी में रखी हुई लगभग 25 सफेद छोटी-छोटी गोलियां निकालीं। एक पाउच में डालकर उन्हें खान साहब को दे दिया और बोले। जब भी घबराहट हो या इस तरीके की परेशानी आए तो आप तुरंत यह गोली खा लेना और देखना इस दवा के प्रभाव से पूरे 3 मिनट के अंदर अंदर आप एकदम ठीक हो जाएंगे। और हां।।। हर दूसरे दिन मुझे गोली खाने के बाद होने वाले प्रभाव की जानकारी अवश्य फोन करके देते रहना। यह मेरा फोन नंबर है। आपको जो बीमारी हो रही है उसका मात्र यही इलाज है।
मैनेजर अजीज खान साहब को जब भी अब इस तरीके का मानसिक घुटन या अवसाद होता था तो वह तुरंत एक गोली खा लेते थे । और 3मिनट में ठीक भी हो जाते थे। इसके तुरंत बाद में डॉक्टर साहब को फोन करके इस सब की सूचना भी देते थे। डॉक्टर साहब ने कहा जब तुम्हारी गोलियां खत्म होने लगे उससे पहले ही तुम मेरे पास आकर 25 गोलियां और ले जाना ।इसमें लापरवाही मत करना अन्यथा तुम्हारी बीमारी बढ़ जाएगी।
अगली 25 गोलियां और खाते-खाते मैनेजर अजीज खान साहब एकदम ठीक हो गए।
एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ फूलों का गुलदस्ता लेकर डॉक्टर साहब के पास गए और उन्हें उन्होंने हृदय से धन्यवाद दिया। क्योंकि दवाई से वह हमेशा के लिए ठीक हो गए।
डॉक्टर ने हंसते हुए अपने घर के अलमारी से वह गोलियां निकालीं और कहा"अजीज खान जरा यह गोली चबा कर तो देखिए और बताइए कि यह है क्या।"
मैनेजर साहब ने गोली मुंह में रखी और उसे चबा लिया।
और मैनेजर साहब बोले "यह तो चीनी जैसी मीठी गोली लग रही है सर जी! काफी अच्छी है।"
"खान साहिब यह चीनी की ही गोलियां है कोई दवाई नहीं यह तो आपका दिमाग है, जो टेंशन में आकर आपके अंदर डिप्रेशन और पैनिक क्रिएट कर देता है। मैंने तो आपके दिमाग को साधने के लिए ही साइकोलॉजिकली चीनी की यह गोलियां दे दी थी। जब भी आपको पैनिक अटैक आता है तो आप यह गोली खा लेते हो ।और आपको विश्वास हो जाता है कि यह दवा आपको ठीक कर देगी। और आप ठीक हो जाते हो। बस हमारा तो इतना सा ही गणित है। हां वैसे मैंने आपको कम से कम 1 या ₹2 की चीनी तो खिला ही दी है ।आप एक काम करिए। मेरे लिए ₹2 दे जाइए बस और जाइए। अब हमेशा खुश रहिए।
मैनेजर अजीज खान साहब और उनकी पत्नी डॉक्टर साहब को नमस्कार करके हंसते हुए अपने घर चले आए।
