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S N Sharma

Abstract Inspirational

4  

S N Sharma

Abstract Inspirational

वह दिवाली

वह दिवाली

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आज बड़ी दिवाली है। गांव के अधिकांश बच्चे जमीदारों के मोहल्ले में चलाई जाने वाली पटाखे फुलझडियों और विभिन्न तरह की आतिशबाजियों का आनंद लेने के लिए गलियारे में इकट्ठे थे। मां का आंचल थामे हुए पितृ विहीन अति गरीब बालक नितिन गांव के जमींदार के बच्चों के द्वारा चलाई जाने वाली आतिशबाजी का आनंद ले रहा था।

पटाखे की लड़ी में आग लगाई गई ।जिसमें से लड़ी का कुछ हिस्सा जो शायद टूटा हुआ था, जलने से बच गया अपनी मां का हाथ छोड़कर पटाखों के लालच में नितिन उस पटाखे लड़ी के टुकड़े की तरफ तेजी से झपटा। और उसने उसे अपने कब्जे में ले लिया।

जमीदार के एक सेवक ने यह देख लिया और उसने नितिन को पकड़ कर घसीटते हुए जमीदार के बड़े बेटे के सामने पेश कर दिया। जमीदार के बेटे ने उससे कहा!

" चोर कहीं के! मेरे पटाखे की चोरी करता है। खुद की खरीदने की औकात नहीं है" कहते हुए नितिन में चार छः तमाचे जड़ दिए।

भरी दिवाली में, लगभग पूरे गांव के सामने हुए इस सामाजिक अपमान को नितिन सहन नहीं कर पाया ।उसे हर पल यही लगता था की कैसे इस बेज्जती का बदला लूं। अपमान को सहन न कर सकने के कारणअगले दिन ही नितिन अपने घर से भाग गया।

शहर में पहुंच कर भूखा प्यासा नितिन सड़क पर घूम रहा था। एक जगह नाई के ब्यूटी सैलून के बाहर एक कार रखी थी। कार पर बहुत धूल चढ़ी हुई थी।

        नितिन के दिमाग में न जाने क्या आया उसने अपनी कमीज़ उतारी और उससे गाड़ी की धूल साफ कर डाली। कार नाई की थी ,जो सामने दुकान पर कटिंग बना रहा था ।

नाई दयालु स्वभाव का व्यक्ति था। उसे बच्चे पर दया आ गई और उसने उसे अपनी दुकान में बुला लिया। दिवाली की मिठाई उसकी दुकान पर रखी थी। उसने उसे मिठाई का एक छोटा पैकेट पकड़ा दिया। भूख से बेहाल नितिन वहीं खड़े होकर वह सारी मिठाई खा गया। नई ने पूछा।

" बेटे मेरे यहां काम करोगे"।

"हां !!!करूंगा!!! जो भी काम देंगे जरूर करूंगा!"

" तो ठीक है !यह झाड़ू उठाओ और सैलून में जो इन 15 कुर्सियों पर कटिंग बन रही है वहां के नीचे गिरे सारे बाल उठाकर साफ करते रहो। मैं तुम्हारे रहने और खाने का इंतजाम कर दूंगा। "

नितिन पूरी लगन के साथ काम में जुट गया! जब भी कोई कटिंग बनती, जितने भी बाल गिरते, नितिन सबको बड़े सलीके से झाड़ कर साफ कर देता था।

वह बड़े ध्यान से बाल काटने की विधि देखता रहता था।

लगभग 8 महीने बीत गए ।एक दिन दुकान में काम करने वाला एक लड़का जो कटिंग बनाता था, वह नहीं आया।

ग्राहक बहुत सारे थे जो अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे।

नितिन ने मालिक से पूछा।" यदि आप मुझे आज्ञा दें, तो मैं ग्राहक की दाढ़ी बना सकता हूं। मलिक ने थोड़ा झिझकते हुए उसे दाढ़ी बनाने की आज्ञा दे दी। नितिन दाढ़ी बनाने लगा ।मलिक उसे काम करते हुए देख रहा था। जिस सफाई से नितिन का सधा हुआ हाथ चल रहा था ,उससे वह बहुत प्रभावित हुआ और उसने कहा।

" नितिन कल से तुम झाड़ू पोछा छोड़कर दाढ़ी बनाने का काम शुरू करो! तुम्हारी पे बढ़ा दी जाएगी। "

नितिन अब बहुत खुश था उसे लगता था जैसे उसे मंजिल मिल गई है।

अब नितिन सैलून के ग्राहकों की दाढ़ी बनाने लगा। उसके हाथ की सफाई देखकर और काम करने की योग्यता देखकर मलिक ने उसे ठीक से कटिंग करना सिखा दिया।

इसी बीच उसने बालों को डाई करना और बालों के अन्य ट्रीटमेंट भी सीख लिए।वह फेशियल का भी चैंपियन हो गया।

नितिन का हाथ बहुत अच्छा चलता था। वह इतनी सफाई से और करीने से कटिंग करता था, कि लोग उसी से कटिंग करवाना पसंद करने लगे।

नितिन मोबाइल पर कटिंग की नई-नई विधियां और हेयर ट्रीटमेंट तथा फेशियल आदि की तकनीक सीखता रहता था। वह उन्हें अपने कस्टमर पर प्रयोग भी करता था।

         लोगों को धीरे धीरे उसका काम बहुत पसंद आने लगा था। मलिक ने नितिन की योग्यता को देखकर अब उसकी तनख्वाह₹50,000 रुपए महीने कर दी थी।

       नितिन के फैन कस्टमर में एक युवक महेश भी था, जो जो ऊंचे धनाढ्य परिवार से था ।जब वह कटिंग बनवाने आया तो नितिन ने उससे पूछा।

"महेश भाई !क्या मुझे एक अच्छे बाजार में कोई छोटी सी दुकान किराए पर दिला सकोगे। मैं अब अपना काम खुद करना चाहता हूं। "

महेश ने कहा

"मेरा खुद का एक शोरूम मुख्य बाजार में है ।उसके ऊपर शोरूम के बराबर जगह खाली है! वह बहुत बड़ी जगह है यदि तुम्हें समझ में आए तो वह पूरी जगह लेनी पड़ेगी। उसका किराया ₹50,000 रुपए महीने होगा। क्या तुम अफोर्ड कर पाओगे।"

नितिन ने कहा।"अपने बस भर, जितने समय तक चल सकेगी चलाने की कोशिश करूंगा दोस्त !"

  और इस तरह नितिन अपने मालिक के यहां से नौकरी छोड़कर मेन मार्केट में काफी बड़ी दुकान लेकर बैठ गया।

उसने अपने साथ दुकान में काम करने वाले चार लड़कों को अपने साथ ले लिया।

महेश ने उसके लिए सामान खरीदने के लिए बैंक से अपनी गारंटी पर लोन दिलवा दिया। महेश ने मुंबई से ऑर्डर देकर दुकान पर लगने वाले कई नए आधुनिक उपकरण खरीद लिए।

उसके वे सारे कस्टमर जो पहले उस से कटिंग बन बाते थे, अब उसकी दुकान पर आने लगे। लगभग 6 महीने में ही उसकी ब्यूटी सेलोन बहुत अच्छी चलने लगी।

उसने धीरे-धीरे पांच लड़कियां और आठ लड़केऔर अपने यहां काम पर रख लिए।

बहुत अच्छी सर्विस देने के कारण उसका यह व्यवसाय अच्छी तरीके से चल निकला। अब नितिन पहले वाला नितिन नहीं रह गया था ।उसके पास बहुत पैसा था। उसने एक suv गाड़ी खरीद ली। और अपने गले में पहनने के लिए बहुत मोटी सोने की चेन।

उसके दिमाग में हर पल दिवाली के दिन जमीदार के बच्चे के द्वारा की गई पिटाई की धमक गूंजती रहती थी।

इतने दिनों से नितिन अपनी उसी बेइज्जती के कारण गांव नहीं गया था। यद्यपि वह अपनी मां को पैसे भेजता रहता था।

      कल दिवाली है। उसने मन में कुछ निश्चय किया और लगभग₹50 हजार रूपये के पटाखे ले जाकर अपनी कार में भर लिए और कर ड्राइव करके सीधे अपने गांव जा पहुंचा।

उसने पटाखे अपनी कारमें ही रखे रहने दिए।

दिवाली के दिन पूजा के बाद उसने अपनी गाड़ी में अपनी मां को बिठाया और सीधा उसी चौक में जा पहुंचा, जहां पटाखे चल रहे थे।

आज भी लोग और बच्चों की भीड़ जमीदार के बच्चों के द्वारा चलाए जा रहे पटाखे को बड़ी हसरत से देख रहे थे।

नितिन ने अपनी कार में से पटाखे की पेटियां निकालीं और और मोहल्ले के जितने भी गरीब बच्चे थे, जो जमीदार के बच्चों द्वारा चलाए गए पटाखों को देख रहे थे उन्हें ढेर ढेर महंगे पटाखे बांट दिए। अब हर बच्चा अपने पटाखे चला कर मस्त था। कोई भी अब जमीदार के बच्चों के द्वारा चलाए गए चिट पुट पटाखों को नहीं देख रहा था।

नितिन ने इसके बाद विदेशी पटाखे निकले और आकाश को रंग बिरंगी रोशनी से भर लिया।

अब अब जमींदार और उसके बच्चे हसरत से नितिन के द्वारा चलाए गए पटाखे को देख रहे थे और नितिन के मन में जमींदार के बच्चों द्वारा उसे दिन किए गए अपमान का दंश अब शीतल हो चला था।



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