मुआवजा
मुआवजा
अरे ! शहीद राम सिंह की विधवा कहां है ? जी वो तो काम पर गई है। काम पर उसे बुलाओ उसके दस्तखत चाहिए। उसे सरकार की तरफ से मुआवजा मिलेगा। मजदूरी करने गई है। आप चलिए वहीं पर उसके दस्तखत ले लीजिए। चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। अरे !!यह क्या काम कर रही हो मजदूरी और वह भी इतना भारी बोझा उठाने का और इस हालत में तुम तो मां बनने वाली हो। पूरा टाइम है।
यह काम क्यों कर रही हो? क्या करें बाबू जी आदमी ने तो देश के नाम अपनी जान कर दी। लेकिन सरकारी कामों में तो वक्त लगता है। कब तक इंतजार करूंगी मुआवजे का और मैं तो इंतजार कर भी लूं लेकिन यह उनकी निशानी है। यह तो अपने वक़्त पर आएगा और उसके लिए पहले से कुछ इंतजाम करना होगा। हां बात तुम्हारी , ठीक है। लेकिन ,"मैं तुम्हारी एक दो फोटो लेना चाहूंगा ताकि कागजों के साथ लगा सकूं और तुम्हें जल्दी से जल्दी मदद दिलवा दूँ। हां ले लो बाबूजी.... हमें भी जरूरत है, आपकी बड़ी मेहरबानी,।
फोटो लेकर मैं खुद भी सोच रहा हूं कि देश पर कुर्बानी देनेवाले वाले उस सपूत की बेवा को कितने कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। क्यों सरकारी कामों में इतनी ढील अपनाई जाती है। मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा हूं। जो पैसा उसके काम ना आए समय पर उसके बाद मिलने से क्या फायदा ?