जल बिन मछली

जल बिन मछली

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आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान लेने के लिए गई हुई है मीना। उभरती लेखिका के रूप में आज उसकी पुस्तक का विमोचन था और उसे ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। बड़े अच्छे से तैयार होकर गई। सभी ने बहुत फोटो खींचे बड़ी सी बिंदी में लग भी तो वह शानदार रही थी।

खुश तो वह भी थी लेकिन मन में बहुत दुविधा चल रही थी। इस सम्मान के बदले उसे कितना कुछ छोड़ना पड़ा। उसका मन एक मछली की तरह तड़प रहा था। सुबह ही पति( वरुण) ने अपना फरमान सुना दिया। यह लिखना, लिखना सब बेकार की बातें हैं मेरे घर में रहने पर, तुम्हें सोचना होगा।

या तो मुझे  चुनो या अपने लेखन को। इसी उहापोह की स्थिति में उसे जो सही लगा वह घर से निकल गई। और अब सम्मान लेकर गजब का आत्मविश्वास आ गया है। लेकिन कोई जॉब भी तो नहीं करती। फिर बच्चों के बिना कैसे अपनी जिंदगी जी पाएगी।

और घर की तरफ बोझिल कदमों से चल पड़ी। पति ने ताना कसा आ गई अकल ठिकाने, कुछ नहीं मिलता यह चार अक्षर लिख कर। तभी कुछ प्रेस वाले उनके घर आ गए और उसका इंटरव्यू लेने के लिए उसकी बुक बहुत ज्यादा फेमस हो गई।और उसको रॉयल्टी में काफी रकम मिली।

अब पति उसके साथ मिलकर फोटो खींचा रहे हैं और खुश है। उसे ऐसा लग रहा है जैसे किसी एक्वेरियम में है और बहुत सारी मछलियां उसके आसपास है।तभी किसी ने पूछा आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे। वह कुछ कहती है उससे पहले ही पति महाशय बोल उठे। यह सब परिवार के साथ के कारण ही संभव हुआ। बेबसी से पति को ध्यान से देख रही है क्या वह वही आदमी है... और उनकी हां में हां मिला दी..।


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