मरा हुआ रवि
मरा हुआ रवि
"वाह ! क्या चित्र है, जेल की चारदीवारी का प्रतीक ईंटें और सलाखों के पीछे बेड़ियों में बंधी हुई गहन सोच में डूबी स्त्री। चित्रकार तुमने कमाल कर दिया लेकिन इसका शीर्षक क्या रखा है ?"
"श्रीमान, इस चित्र में जो जेल है वो ब्रह्माण्ड का प्रतीक है, सलाखें जो दिख रही हैं वो वातावरण की परतें हैं, यह स्त्री धरती माँ है और जो बेड़ियाँ हैं वो उनके बच्चे मानव और अन्य जीवों के पालन-पोषण की हैं। धरती सूर्य के ध्यान में मग्न है, उसका हृदय सूर्य की परिक्रमा कर रहा है, और जो काला रंग है वो इस बात का प्रतीक है कि सूर्य की किरणें धरती के इस हिस्से तक नहीं पहुँच रही। अब आप ही बताएं इसका शीर्षक क्या रखूँ ?"
सोचता हूँ, पहले ये रुपये रख लो, इसमें से पचास हजार निशा को दे देना, उसे समझाना वो अपना गर्भ गिरा दे, मैं उसके बच्चे को क्यूं कर पालूंगा ? बाकी रुपये तुम्हारे लिए।
और.. सूर्य की संवेदनहीनता के अनुसार, कुछ सोचकर चित्र का शीर्षक रख लो।"