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Chandresh Kumar Chhatlani

Children Stories Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Children Stories Inspirational

समय महान बनता है

समय महान बनता है

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एक भव्य राजमहल एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा था। राजसी ठाटबाट के बीच एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन हो रहा था। देशभर से कई नामचीन हस्तियाँ सम्मान से नवाज जा रही थीं।


वहां एक स्कूल का शिक्षक भी दर्शक दीर्घा में बैठा इस गौरवशाली क्षण का साक्षी बन रहा था। मंच पर राजपरिवार के एक वरिष्ठ सदस्य अपना संबोधन दे रहे थे। उनके पीछे सम्मानित विभूतियाँ बैठी थी।


अचानक, उनमें से एक, जो बड़े वैज्ञानिक थे, अपनी कुर्सी से उठे, धीरे-धीरे मंच के पास पहुँचे और झुककर बोलने वाले के कान में कुछ कहा। वक्ता ने सिर हिलाया और माइक पर घोषणा की,

"इन्हें कहीं जाना है, कुछ ज़रूरी कार्य है। अतः ये पहले बोलेंगे, फिर मैं अपना संबोधन पूरा करूँगा।"


वह वैज्ञानिक मुस्कराते हुए दो कदम आगे बढ़े, अपनी संक्षिप्त बात कही और जाने के लिए माफी मांगकर सम्मान लिए बिना ही समारोह से चले गए।


शिक्षक को आश्चर्य हुआ—ऐसा कौन सा काम होगा जो इतने बड़े सम्मान से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है?


अगली सुबह, राजमहल के पीछे स्थित एक साधारण स्कूल के शोरगुल भरे प्रांगण में सादे सफेद कुर्ते में वही वैज्ञानिक, छोटे से समारोह कक्ष में दाखिल हुए।


वहां उनका कार्यक्रम सिर्फ 20 मिनट का था।


"सर! आप तो ऐसे आविष्कार कर हमारे हीरो बन गए हैं!" एक बच्चे ने उछलकर पूछा।

"नहीं बेटा, असली हीरो तो तुम हो।" उन्होंने मुस्कराते हुए कहा और ब्लैकबोर्ड पर लिखा—

"लक्ष्य वह नहीं, जो मन में सोचा जाए, लक्ष्य वह है, जिससे मन की बातें बनें!"


एक लड़की ने हिचकिचाते हुए पूछा, "सर, मैं गरीब हूँ... क्या मैं भी आप जैसी बन सकती हूँ?"

वैज्ञानिक ने अपने जूते उतारे, पैरों के पुराने छालों के काले धब्बों को दिखाते हुए कहा,

"देखो! मैंने ये निशान रूखी रोटियाँ बेचते हुए बनाए थे। तुम्हारी गरीबी तुम्हारा 'रॉकेट फ्यूल' है!"


कक्षा हँसी से गूँज उठी। घड़ी की सुईयाँ दौड़ती रहीं, पर वह तो बच्चों के सपनों के गुरुत्वाकर्षण में खो चुके थे। 20 मिनट का कार्यक्रम एक घंटे से भी अधिक लंबा हो गया।


जब वह समारोह कक्ष से निकले, तो पिछले दिन वाले शिक्षक ही बाहर खड़े थे। शिक्षक ने घबराते हुए लज्जित स्वर में कहा, "सर, आपका कीमती समय..."


उन्होंने खिड़की से झाँकते बच्चों की ओर इशारा किया—

"यही तो मेरा 'स्पेस क्राफ्ट प्रोग्राम' है। इन्हें तैयार करो, ये देश को अंतरिक्ष तक ले जाएँगे! इनके साथ बिताया हुआ वक्त मेरे लिए बहुत..."

कहते हुए उन्होंने आँखें बंद कर लीं, कुछ सेकंड्स ऐसे ही रहने के बाद, अचानक उछले और तेज़ कदमों से चले गए।


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