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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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एक ही स्वर

एक ही स्वर

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"क्या बात हो रही है, एक-दूसरे पर इतना चिल्लाया जा रहा है।"

"अरे यह उस बेकार अ ग्रुप की बड़ाई कर रहा था।"

"और यह ब ग्रुप की गलत बातों को भी सही ठहरा रहा था।"

"ओह! तो आप अपने-अपने ग्रुप्स से हैं!"

"हां, बिल्कुल।"

"मतलब राजनीतिज्ञ हैं!"

"नहीं साहित्यकार।"



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