STORYMIRROR

Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

2  

Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

ठंडा खून

ठंडा खून

1 min
70

ममता घर में घुसते ही गुस्से से बोली, “सुनते हो! आज मैंने भरी सड़क पर एक लड़की को देखा, जिसके साथ दरिंदगी हुई थी। कपड़े फटे हुए, शरीर घायल… वह मदद के लिए चीख रही थी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। कुछ बेशर्म तो वीडियो तक बना रहे थे! तुम सब मर्दों का खून ठंडा हो गया है।”


महेंद्र ने अखबार नीचे रखा, गहरी सांस ली और ठहरे हुए स्वर में कहा, “बहुत दुख की बात है… पर यही तो हो रहा है। याद है, जब पड़ोस के गुप्ता जी की हत्या हुई थी और मुझे कातिल का अंदाजा हो गया था? तब तुमने और माँ ने कहा था—‘पुलिस में मत जाओ, दूसरों के फटे में क्यों टांग...'”


महेंद्र ने अखबार फिर से उठा कर कहा, “खून सिर्फ हम मर्दों का नहीं, हम सबका ठंडा हो गया है।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract