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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

पहचान

पहचान

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उस अख़बार की हेडलाइन एकदम अलग थी—

"पहचानिए सुनीता विलियम्स को!”

साथ में एक फोटो था, जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चों की भीड़ थी, जो एक हवाई जहाज की ओर बढ़ रही थी।


 समाचार था, “भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स धरती पर लौट आईं। हर ओर गर्व और खुशी की लहर है।


जी हाँ! एक बेहतरीन काम करने वाली को सब कह रहे हैं कि वह भारतीय मूल की हैं। लेकिन जब उन्होंने अपना संघर्ष शुरू किया था, तब कितने लोगों ने उन्हें पहचाना?


क्यों जब कोई भारतीय मूल का व्यक्ति सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचता है, तभी हम उसे अपना मानते हैं?


हमारे बीच जो आज संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें कोई नहीं पूछता?


भारत के कोने-कोने में ऐसे कई लोग हैं, जो किसी दिन सुनीता विलियम्स जैसी सफलता पा सकते हैं। उनकी प्रतिभा को भी पहचानें, उनके सफर में भी साथ दें।


क्या यह ज़रूरी नहीं?"


इस प्रश्न के साथ समाचार तो खत्म हो गया। लेकिन कुछ तो अभी भी बाकी है।


बाकी है, एडिटर का चश्मा साफ करते हुए इस समाचार संवाददाता से कहना, "बेटा, मीडिया को 'सफलता' चाहिए... संघर्ष की कहानियाँ बिकती नहीं।"


बाकी है, एक सफलता में योगदान के क्रेडिट के साथ बहुत असफलताओं में योगदान की ज़िम्मेदारी भी लेना।


बाकी है, और भी बहुत सारे मौन...


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