तू अपवित्र हो गया है जा जल्दी से स्नान करो मैं पंचगव्य बनाता हूँ तू अपवित्र हो गया है जा जल्दी से स्नान करो मैं पंचगव्य बनाता हूँ
इतनी मेहनत अगर अपने देश में करी होती तो कहां से कहां पहुंचे होते। इतनी मेहनत अगर अपने देश में करी होती तो कहां से कहां पहुंचे होते।
अपनी सोच और दिशा बदलो सफलता आपका स्वागत करेगी अपनी सोच और दिशा बदलो सफलता आपका स्वागत करेगी
"प्राजी मैनू सिगरेट पींदे देख तुवानु हैरानी तां बड़ी होयी होवेगी (भाई जी आप को मुझे सिगरेट पीते देख ह... "प्राजी मैनू सिगरेट पींदे देख तुवानु हैरानी तां बड़ी होयी होवेगी (भाई जी आप को मु...
बाबूजी का दुर्भाग्य ही था कि सिद्धांतों के चलते उन्हें स्वयं अपने ही घर में निरंतर उपेक्षा, अवमानना ... बाबूजी का दुर्भाग्य ही था कि सिद्धांतों के चलते उन्हें स्वयं अपने ही घर में निरं...