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Vimla Jain

Tragedy

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Vimla Jain

Tragedy

एक नई दुनिया

एक नई दुनिया

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नई दुनिया से कुछ भी मतलब निकाला जा सकता है या तो इस दुनिया के आगे दूसरी दुनिया स्वर्ग या नरक या इस देश के आगे इस देश की सीमा के आगे कोई दूसरा देश ,या इस दरवाजे के उस पार का दरवाजा।  यहां में इस संदर्भ में इस देश से नई दुनिया दूसरे देश की कहानी बता रही हूं जो पूर्णतया काल्पनिक है।

सुधांशु और सुधा आपस में बैठे चर्चा कर रहे थे, कि हमने अपने देश को छोड़कर उस पार की दुनिया में क्या पाया क्या खोया। जब हम अपने देश में थे तो एकदम रईस के जैसे रहते थे। कभी कोई बात की कमी नहीं थी। लोगों के अंदर बहुत इज्जत थी बहुत पूछाते लोग थे।

इतने दोस्त और इतने इतने परिवार जन बहुत ही अच्छा लगता था । वह कौन सी घड़ी थी कि लोगों के कहने पर और अमेरिका आने के चांस मिलने पर हमने अपना घर अपनी दुनिया सर्वस्व छोड़कर उस पार नई दुनिया में जाना तय किया।मानव की उस पार की दुनिया स्वर्ग हो पहले तो ऐसा ही लगता था मगर असलियत कुछ और ही निकलीजिस पढ़ाई को भारत में बहुत इज्जत दी जाती थी, और जो सरकारी नौकरी बहुत ही अच्छी थी। उसको छोड़कर डॉलर या देश में उस पार की दुनिया में प्रवेश किया।

जिंदगी इतनी कठिन हो गई है।पग पग पर संघर्ष और मेहनत और ऐसा लगता है कि अपना कोई वजूद ही नहीं है। ऐसा लगता है कि हमने इस डॉलर के प्रेम में आकर के बहुत बड़ी गलती कर दी है। इसीलिए दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। जब पास में जाकर देखो तो पता लगता है कि सही क्या है। यहां आने के बाद तो बच्चे भी पश्चिमी रंग में रंग गए हैं। वह भी 11, 12 साल के हुए और हमको छोड़कर अलग रहने लग गए। भारत में होते तो ऐसा होता क्या अब क्या करें ना यहां रहते बनता है ना हम भारत जा सकते हैं, क्योंकि हमने अपना सब कुछ बेच कर फिर हम यहां आए। तो वहां हमारा कुछ भी नहीं है नए सिरे से कुछ भी चालू करना बहुत मुश्किल है। बच्चे भी हमारे साथ नहीं आएंगे।और दोनों अपने फैसले पर अफसोस कर रहे थे कि हम अपने देश को छोड़कर स्वर्ग की आशा में इस डॉलर या देश में आ गए वापस जाने का रास्ता भी हमने नहीं छोड़ा। काश कोई ऐसा रास्ता निकल आए जिससे हम अपने देश में वापस चले जाएं।

इतनी मेहनत अगर अपने देश में करी होती तो कहां से कहां पहुंचे होते। मगर लोक लाज लोग क्या कहेंगे कि नाम से हम लोग कोई भी काम करने से कतराते थे। और जो काम नहीं करते थे। वही काम करना पड़ रहा है। क्या जिंदगी हो गई है अब इसी जगह इस पार की नई दुनिया की जिंदगी में ही खुश रहना पड़ेगा इस अफसोस के साथ दोनों वापस अपने अपने काम में लग गए और उनकी डॉलर या जिंदगी वैसे ही चलती रहेगी।

कहां तो हमने सतरंगी सपने देखे थे क्या अमेरिका में ऐसा है अमेरिका में ऐसा है और कहां हमे जमीन पर ला पटका सच में आज ऐसा लगता है अपने देश से प्यारा कोई देश नहीं जाएं इच्छा हो जितना कोई भी काम करो और अच्छी तरह जियो कम से कम मन तो भरा रहता है दूसरे देश में वे लोग हमें परदेसी समझते हैं जब हम अपने देश में जाते हैं तो वह हमें अमेरिका वासी समझते हैं ना घर के रहे ना घाट के और अपनी झूठी शान दिखाने के लिए इंडिया में बड़ी-बड़ी बातें करनी पड़ती है सो अलग से इसीलिए हमेशा नया सोच नया करने के लिए पहले सोचो फिर विचार करो फिर अमल करो


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