देश विदेश की लाइब्रेरी और अनुभव
देश विदेश की लाइब्रेरी और अनुभव
लाइब्रेरी में पढ़ाई करना मुझे शुरू से ही बहुत अच्छा लगता था।
पहले स्कूल की लाइब्रेरी फिर कॉलेज की लाइब्रेरी।
वहां का वातावरण एकदम शांत और ना पढ़ने वालों को भी पढ़ने का वातावरण दे दे
ऐसा होता है।
सब तरह की बुक्स जो आप खरीद नहीं सकते वे वहां मिल जाती हैं।
आप लाइब्रेरियन से इशू करवा सकते हैं।
ऐसा ही वाकिया आज आपने खास लाइब्रेरी की पढ़ाई का लिखा तो मुझे कॉलेज का एक किस्सा याद आ गया।
19 74 की बात है एग्जाम से थोड़े दिन पहले मैंने एक बुक इशू करवाई उसका ऑथर
आरडी विद्यार्थी थे ।
वह बुक हम खरीदते नहीं थे ।
और हमेशा कॉलेज से लेकर ही लाइब्रेरी से ही लेकर पढ़ते थे।
जब मैं वह बुक पढ़ कर वापस जमा करवाने गई तो लाइब्रेरियन मैडम अच्छी तरह चेक करके बुक ले ली।
और मैं मेरी क्लास में ही पहुंची होंगी कि एकदम से मुझे बुलावा आया कि लाइब्रेरी में बुलाया है।
हमारी लाइब्रेरियन बहुत ही कड़क थी।
मैंने सोचा क्या हो गया ।
मैं उनके पास गई उन्होंने मुझे बोला ,कि तुमने इस बुक में से पेजेस फाड़े हैं 100 पेज फाड़े हैं।
मैं तो एकदम सकते में आ गई मैंने कहा नहीं मैडम मैंने एक भी पेज नहीं फाड़ा और बुक खोल कर देख लीजिए कुछ मिस प्रिंट होगा, रेगुलेरिटी में ही है लिखा हुआ।
मगर वह नहीं मानी, अब मैंने कहा क्या करुं मैं मेरी सब्जेक्ट टीचर के पास जाती हूं,
फिर मैं मेरी मैडम के पास गई उनको बोला आप अपनी बुक लेकर चलिए।
मेरी मैडम बहुत अच्छी थी उन्होंने मेरी बात को समझा वे मेरे साथ आई अपनी किताब लेकर।
और उन्होंने खोल करके कंटिन्यूएशन में दिखाया कि यह पेज का नंबर मिस प्रिंट हुआ है 149 की जगह 249 लिखा गया है।
मगर टॉपिक कंटिन्यूएशन में चल रहा है ।
और उन्होंने बोला आप इसके ऊपर जो इल्जाम लगा रहे हैं वह सरासर गलत है ।
यह कभी ऐसा कर ही नहीं सकती है आपने सोच भी कैसे लिया कि उसने ऐसा करा है।
तब वह लाइब्रेरियन मानी और उन्होंने मेरे से सॉरी बोला।।
मैंने मैडम को थैंक यू बोला मेरे को आज भी मैडम की बातें बहुत याद आती हैं ।
जरूरत के समय अगर वे मदद में नहीं आई होती तो मैं लाइब्रेरियन मैडम को किस तरह समझाती।
मेरे नाम के आगे रिमार्क लग ही जाता।
यह मेरा फाइनल ईयर का बहुत ही जोरदार अनुभव रहा ।
उसके बाद मैंने मेरे बच्चों को भी जो उन्होंने अपने लाइब्रेरी में ही पढ़ाई करी।
सबको यह बात बोली कि तुम बुक लेओ तो पहले चेक करके फिर ले लो ।
ताकि मेरे वाली प्रॉब्लम उनको ना आवे मेरे सभी बच्चों ने लाइब्रेरी में ज्यादा पढ़ाई करी है।
बड़ौदा एमएस यूनिवर्सिटी की हंसा मेहता लाइब्रेरी बहुत बढ़िया और बहुत ही जोरदार है वहां बहुत सारी बुक्स होती है।
मैंने अमेरिका में भी दो-तीन लाइब्रेरी की मुलाकात ली एक डेट्रॉइट में टेंपा में अटलांटा में सभी लाइब्रेरी बहुत ही जोरदार थी ,
मैंने ऑक्सफोर्ड की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी देखी।
अच्छी बहुत ही खूबसूरत और बहुत ही आश्चर्य जनक थी इतनी किताबें और इतनी सुंदरता देखते ही बनती थी खुशनसीब हूं कि मेरे को बहुत जगह की लाइब्रेरी देखने को मिली।
लाइब्रेरी से पुराना नाता पढ़ने से पढ़ने तक वह जरूर पढ़ना बहुत अच्छा है।
और वहां का सेटअप भी बहुत अच्छा था। अपने यहां की लाइब्रेरी भी उनके जैसी बहुत अच्छी हैं सिस्टम भी बहुत अच्छा है।
मुझे लगता है
1. "लाइब्रेरी ज्ञान का मंदिर है, जहाँ हर किताब एक नई दुनिया के द्वार खोलती है।"
2. "लाइब्रेरी सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि विचारों और सपनों का खजाना है।"
आपके क्या विचार है समीक्षा करके बताइए
