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Vimla Jain

Abstract Tragedy Action

4.5  

Vimla Jain

Abstract Tragedy Action

झूठ का मायाजाल

झूठ का मायाजाल

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मायाजाल जिंदगी में कभी-कभी हमारे चारों तरफ ऐसा जोरदार माया जाल बुन दिया जाता है ,की समझ में ही नहीं आता कि क्या सही है। क्या गलत है।
मायाजाल मतलब एक भ्रम इसमें सब अच्छा ही अच्छा दिखता है।
पर सब एक झूठ होता है।
मतलब धोखे का जाल।
वह जोड़ा पता नहीं पति पत्नी था, या कोई रिश्ता नहीं था। झूठ का रिश्ता था।
पॉश कॉलोनी के अंदर किराए का मकान लेकर रहने आए। जा वे लोगों से पहली बार मिले सबको इंप्रेस करती है अपना सुंदर रहन-सहनऔर लोगों से बहुत  चिकनी चुपड़ी बातें करते।
और ऐसा माया जाल फैला दिया कि उनसे अच्छा कोई है ही नहीं ।
कभी इस पड़ोसी को खाना खाने बुला रहे हैं। कभी उसको खाना खाने बुला रहे हैं।
सब मीठी-मीठी बातें करते और अपने बारे में कुछ भी झूठ,कि वे बहुत अच्छे घर से हैं।
और बहुत अच्छा इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस कर रहे हैं।
लोग भी ज्यादा ध्यान नहीं देते कि हां कर रहे होंगे ।सब अच्छा होगा।
जो कहते हैं उसको सच मान लेते।
ऐसे ही धीरे-धीरे धीरे चार-पांच महीने निकल गये।
लोगों ने सोचा यह हमको खाना खाने बुलाते हैं तो हम को भी बुलाना चाहिए।
तो उनको अपने घर में खाना खाना खाने के लिए बुलाने लगे।
तो लोगों के घर से धीरे धीरे जिसके घर जाते उसके से कुछ ना कुछ बहुमूल्य आइटम जरूर खो जाता।
मगर लोग उनको वापस कुछ कहते नहीं ।
इसी तरह पांच छे घर में खाना खाने गए सभी जगह से कुछ ना कुछ हाथ मारा।
फिर एक दिन जो एकदम पड़ोसी थे।
उनके परिवार के लोग आए हुए थे।
उन लोगों से उन्होंने दोस्ती बना ली।
पता एड्रेस वगैरा सब पूछ लिया।
और वह लोग जब वापस गए।
उसके थोड़े दिन बाद ही उन पड़ोसी का नाम लेकर उनके घर से रुपए उधार मांगे कि वह मंगवा रहे हैं बहुत बड़ी मुसीबत आ गई है। हॉस्पिटल की फीस जमा कराने के पैसे नहीं है इलाज चालू करवानाहै।
उनके परिवार वाले लोगों ने सोचा कि इतने अच्छे पड़ोसी हैं झूठ तो बोलेंगे नहीं।
और उन्होंने उनको ₹100000 इमरजेंसी के लिए रखा हुआ था वह दे दिया ।
और वे वापस घर आए और उन्होंने रातों रात में मकान खाली कर दिया ।
और वहां से गायब हो गए ।
दूसरे सुबह उठकर के उनके पड़ोसी ने देखा पड़ोस का मकान तो खाली पड़ा है।
पति-पत्नी कहां चले गए।
सब लोग पूरे बिल्डिंग वाले बाहर निकल गए। कहां चले गए ,हमको तो बताया हीनहीं कहां जाने वाले हैं।
जब सब आपस में मिले ।
उसी समय उनके पड़ोसी के परिवार से फोन आया।
  अपने सब खैरियत तो है पड़ोसी बोला हां सब खैरियत है। क्या बात है।
आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं।
तो उनके परिवार से जो फोन आया था वह घबरा कर बोले कि आपके पड़ोसी आए थे। और बोले आप बहुत बीमार हैं।
आपको बहुत परेशानी है ।
और तुरंत पैसे की जरूरत है ,इसलिए मुझ को भेजा है ।
तो आप मुझे पैसे दे दीजिए ,तो मैं जल्दी से उनको सहायता दे देता हूं।
हमने सोचा अभी हम फोन कहां करेंगे तुम तो हॉस्पिटल में होंगे।
और हमने उनको पैसे दे दिए ।
उन्होंने पूछा आप ने कितने रुपए दिए तो बोला ₹100000 हॉस्पिटल में जमा कराने के लिए। पड़ोसी के पांव तले जमीन खिसक गई ।
मैंने तो कुछ कहा ही नहीं था मैंने तो कभी आपका एड्रेस भी नहीं बताया, तो उनके परिवार जन बोले कि उन्होंने हमसे ही एड्रेस लिया था। और फोन नंबर भी मांगा था पर फोन नंबर तो मैंने नहीं दिया था।
पर एड्रेस दे दिया मैंने सोचा तुम्हारे अच्छे पड़ोसी हैं। कितने काम आते हैं।
अच्छा है अब पता लगा कितनी बड़ी धोखाधड़ी कर गए।
तभी सब लोग आपस में बोलने लगे मेरे घर से यह खो गया। मेरे घर से ये खो गया।
तो उनके पड़ोसी ने बोला किसी ने पहले क्यों नहीं बोला, तो वह बोलते हैं उनके ऊपर इल्जाम लगा सकते थे।
वह तो कितने अच्छे लोग लग रहे थे।
तो देखा आपने कैसा धोखे का माया जाल फैलाया।
अच्छाई का मायाजाल जाल फैला कर के लोगों को लूट करके गायब हो गए ।
उनका नाम  पुलिस में दिया गया तो वह नाम भी नकली था।
वे दोनों बहुत बड़े  ठग थे ।
अलग अलग नाम से अलग-अलग जगह रहते थे। और लोगों को इसी तरह ठगा करते थे।
इसी तरह चोरी करा करते थे ।
और पुलिस भी उन लोगों को ढूंढ रही थी। धोखा खाए लोग बहुत पछता रहे थे, कि हमने अनजान लोगों पर कैसे विश्वास कर लिया।
सच है हम सीधे-साधे लोग होते हैं।
किसी की भी मीठी बातों में आ जाते हैं और इस तरह से झूठ के माया जाल में फंस कर ठगे जाते हैं।
स्वरचित कहानी



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