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मजदूर मजबूर क्यों ?

मजदूर मजबूर क्यों ?

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साथियों मेरा यह लेख आपको कहीं विचलित ना कर दे। “मजदूर मजबूर है”यह बात कहां तक सही है इस पर मैं लिखने का प्रयास कर रहा हूं।

 कोरोन महामारी के दौरान देश में जब लाँक डाउन किया गया जिसमें सभी प्रकार के दफ्तर, औद्योगिक इकाइयां और सभी प्रकार के कामकाज बंद करवा दिए गए। और जो जहां था उसे वहां पर घर के अंदर रहने को कहा गया।

 जब एकदम कार्यप्रणाली बंद हो गई तो सबसे बड़ा जो संकट आया वह मजदूरों पर आया । सरकार ने इनकी सुरक्षा के लिए खूब प्रयास किए और स्वयसेवी संगठन भी आगे आए।

 परंतु मेरे मन बार-बार यह सवाल उठता है कि जब किसी तरह का संकट आता है तो मजदूर ही मजबूर क्यों होता है? ऐसा क्यों होता है?

1 क्या वह कमाता नहीं है।

2 या उसको उसकी मेहनत के अनुसार मानदेय नहीं दिया जाता है।

3 यह सरकार द्वारा इनकी सुरक्षा या संरक्षण के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जो उनको करना चाहिए।

4 या मजदूरों को चुनावी हथियार मान लिया जाता है।

  मैं सोचता हूं जो मजदूर जिस कंपनी के लिए प्रतिदिन 8 से 12 घंटा जी तोड़ मेहनत करता है। फिर भी वह मजबूर है इसका प्रमुख कारण क्या है। इसका प्रमुख कारण यह हो सकता है कि उसको उसकी मेहनत का पैसा चुका दिया जाता है। और उसकी सुरक्षा और संरक्षण की वह कंपनी जिसमें वह काम करता है जिम्मेदारी नहीं लेती है ।वह उसे काम के प्रति पैसा की भावना से उसका उपयोग करती है।

 इस महामारी के दौरान हमने किसी नौकर उद्योगपति को सड़क पर पैदल चलते हुए नहीं देखा ।मजबूरी में नहीं देखा और सड़क पर मरते हुए नहीं देखा। परंतु मैंने मजदूर को सड़क पर ही दम तोड़ते हुए देखा है ।शायद वो मरना नहीं चाहता था परंतु वह उसकी मजबूरी थी।

  नहीं तो एक कंपनी मालिक की यह नैतिकता बन सकती थी कि उसकी कंपनी में वह मजदूर काम करता है तो उसकी पूरी सुरक्षा का जिम्मा ले ताकि उसे किसी तरीके की परेशानी पैदा ना हो पर ऐसा नहीं हुआ।

 आपने मजदूर दिवस पर अखबारों पर मजदूरों की भूरी भूरी प्रशंसा पढी होगी उनको देश विकास का मूल (जड) माना जाता है परंतु उनकी सुरक्षा क्यों नहीं हो रही।

 सरकार को मजदूर के बारे में कुछ सोचना होगा ऐसी विकट परिस्थिति कभी भी देश के सामने आ सकती है उस समय उनका संरक्षण आसानी से हो सके इस बात का ख्याल रखना होगा ठेका प्रथा में जिस तरीके से मजदूर के खून को चूसा जाता है ।उससे उनको बचाना होगा ।कंपनी में उनको काम की गारंटी प्रदान की जानी चाहिए जिस तरह नरेगा में 100 दिन का गारंटी से रोजगार मिलता है उसी तर्ज पर जो मजदूर कंपनी में काम करता है।उसको वहां काम का अधिकार मिलना चाहिए। उसको सारी सुरक्षा दी जानी चाहिए और उसका मानदेय भी अच्छा होना चाहिए। ताकि वह अपना जीवन यापन अच्छे से कर सके।

 और यह बात सत्य है की मजदूर देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए हम इनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है।


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