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minni mishra

Classics

4  

minni mishra

Classics

महामानव

महामानव

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"बधाई हो, आपको पोता हुआ है। " लेबर रूम से बाहर निकलकर नर्स ने जैसे ही मुझे बताया। मैं खुशी से झूम उठी। आज मैं दादी बन गई। वाह ! हमारे खानदान को एक नया, नन्हा चिराग़ मिल गया।

सामने बेटे और पति को बतियाते देख , मैंने पास जाकर उन्हें यह खुशखबरी सुनाई, " अरे...कुंदन, तू बाप बन गया और आप.. दादा। अब आपलोग मेरे साथ चलिए, जल्दी से जच्चे- बच्चे को जाकर देख लेती हूँ। ‌"

हमलोग बहू के पास पहुँच गये। बेड पर नवजात अपनी माँ से सटा , टुकुर-टुकुर देख रहा था। हमलोगों को अपने करीब आते देख बहू उठकर बैठ गई। अब मैं आश्वस्त हो गई हा..ह! चलो, डीलेवरी के बाद बहू पूरी तरह से दुरुस्त है।

मैंने पोते को आहिस्ते से गोद में उठाकर उसे एकटक निहारने लगी... सुंदर मिचमिचाती आँखें , सिंदूरी होंठ, छोटी सी नाक, गुलाबी गाल, घुंघराले काले बाल..! आह! कितना सुंदर !

" कुंदन, देख इसे, बिल्कुल तुम पर गया है। बताओ इसका नाम ? "

कुंदन के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। वो शर्माते हुए बोला, "माँ, तुमलोग को रहते मैं..!?"

" ठीक है, मैं इसका नाम ' रामचन्द्र खान' रखती हूँ। कुंदन खान का बेटा रामचन्द्र खान। बताइए नाम कैसा लगा ?" मैंने पति की ओर नजरें घुमाई। उनकी नजरें पोते पर टिकी थी।

दृढ़ता से उन्होंने उत्तर दिया, "सुनो भाग्यवान, कभी-कभी नाम-उपनाम भी फसाद का जड़ बन जाता है। आजकल इसी... ‘राम, खान , ठाकुर, मोहम्मद..’ आदि, नाम -उपनाम के चलते जहाँ -तहाँ दंगे भड़क रहे हैं। खून खराबा हो रहा है, जान माल की भारी क्षति होती है ! पर, परवाह किसे ! दंगे कराने वाले बेफिक्र खुले सांड की तरह दंगे फैलाने से बाज नहीं आते। बेचारी निर्दोष जनता दंगे का शिकार बनती है!कोई बच्चा जन्म से हिंदु, मुसलमान, सिक्ख ,ईसाई नहीं होता। जाति, धर्म का लबादा ओढ़ाकर भगवान किसी बच्चे को धरती पर नहीं भेजते हैं।

वेदों, शास्त्रों, क़ुरान, बाइबल सब में यही लिखा है कि... मानवता ही धर्म है। जाति -धर्म का यह दूषित बीज, बच्चों के अंदर सबसे पहले उसके अपने परिवार के द्वारा ही बोया जाता है।जैसा बीज हम बोयेंगे वैसा ही तो फसल तैयार होगा !

मैं अपने पोते का नाम 'मानव' रखना चाहूँगा ताकि नाम के कारण उसके साथ कभी कोई बखेड़ा न खड़ा हो जाय! देखना, एक दिन हमारा पोता जाति -धर्म की गंदी राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र हित के लिए कार्य करेगा।"

इतना सुनते ही बहू और बेटे... प्रश्न भरी निगाहों से मुझे घूरने लगे और मैं हतप्रभ पति के चेहरे को।

 मेरी ओर देखते हुए वो हँसकर बोले, " तुम्हारे पोते ने मेरी बातों को आत्मसात कर लिया है। उसको देखो , कैसे मुस्कुरा रहा है ! अब देर किस बात की ? हमलोग अब इसे लेकर जल्दी से घर चलते हैं।“

मैं पोते को अंक में भरते हुए सभी के साथ घर जाने के लिए नर्सिंग होम से बाहर निकलने लगी। मेरे आँखों के सामने वो घटनाएँ नाचने लगी, जिस दिन कुंदन को अपने उपनाम के चलते रामजन्मभूमि विवाद के दंगे में... निर्दोष जेल में ठूंस दिया गया था।

'मानव' मेरी गोद में इस तरह मंद -मंद मुस्कुरा रहा था, मानो वह दादा के सिखाए पाठ को स्मरण कर महामानव के पथ पर अग्रसर हो चला।


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