जो अपनापन झलक रहा, वह अन्य भाषाओं में कहां ? जो अपनापन झलक रहा, वह अन्य भाषाओं में कहां ?
ज्ञान विज्ञान के जैसे बिखर गए मोती, नहीं मिलेगी कल, कहीं जिंदगी रोती। ज्ञान विज्ञान के जैसे बिखर गए मोती, नहीं मिलेगी कल, कहीं जिंदगी रोती।
मानो वह दादा के सिखाए पाठ को स्मरण कर महामानव के पथ पर अग्रसर हो चला। मानो वह दादा के सिखाए पाठ को स्मरण कर महामानव के पथ पर अग्रसर हो चला।
अन्दर प्रवेश करने पर थोड़ा इधर-उधर चहल कदमी करते भोजन कक्ष की ओर अग्रसर हो रहे थे अन्दर प्रवेश करने पर थोड़ा इधर-उधर चहल कदमी करते भोजन कक्ष की ओर अग्रसर हो रहे थ...