माँ ममता की मूरत(10)
माँ ममता की मूरत(10)


डॉक्टर से क्लीनिक से आने के बाद जया और रवि बहुत उदास थे। जया ने एक तरफ पर्स पटका और धड़ाम से बिना कपड़े बदले लेट गई। उसके सिसकने की हल्की-हल्की आवाज भी आ रही थी। रवि ने उसे चुप कराना उचित नहीं समझा। जितना जी भर के रोना है रो लेगी फिर शांत हो जायेगी। मन ही मन रवि भी रो रहा था। वह भी सोफे पर अधलेट गया और सोचता जा रहा था अगर हम दोनों ने जिद न की होती तो हमारे घर भी एक बच्चे की किलकारी गूंज रही होती।
माँ कितना बोलते-बोलते चली गईं कि बस एक बच्चा कर लो। तुम लोग बच्चे का कुछ काम मत करना। मैं सब कर दूँगी और इसी आस में दो महीने पहले ही वह हम सबको छोड़कर ऊपर वाले के पास चली गईंं। पेशे से हम दोनों साफ्टवेयर इंजीनियर थे। शादी को दस साल हो गये थे पर कैरियर में आगे बढ़ना है,विदेश में जाब का ठप्पा लग जाये यह सोचते सोचते हम दोनों ने अपने कैरियर को प्राथमिकता दी। 2 साल पहले ही हम दोनों ने परिवार को बढ़ाने की सोची पर तब तक देर हो चुकी थी। कितने टेस्ट कराए,कितने इलाज कराए,कितने मंदिर-मस्जिद में मत्था टेका,कितने डॉक्टर दिखाए पर बात नहीं बनी। तभी उसकी तंद्रा तोड़ते होते हुए जया पास आई और बोली-" चाय के साथ बिस्किट लोगे या कुछ और बना दूँ?"रवि अचकचा के बोला-"कुछ कहा क्या?"जया सुस्त होकर बोली-"नहीं, कुछ नहीं। मैं चाय बनाकर लाती हूँ। "रवि ने गौर से जया के चेहरे को देखा,उदासी और रोने के कारण एकदम अंदर से टूट गई है। हमारी लव-मैरिज थी। बला की खूबसूरत थी। कालेज के सभी लड़के मरते थे जया पर और इसी कारण कितने लड़कों से पंगा मोल भी लिया था पर अब......।
तब तक जया चाय बनाकर भी ले आई। दोनों चाय पी रहे थे पर अजब सी खामोशी थी दोनों के दरमियान। रवि ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा-"जया!परसों आफिस मीटिंग है। प्रिप्रेशन कर लो। कौन से प्वाइंट को क्लियर करना है। एक बार देख लो। ये तुम्हारे लिए ग्रेट अचीवमेंट होगी। "जया ने चाय पटक कर कहा-"नहीं करना अब नौकरी। सब कुछ है हमारे पास। कोई कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ एक बच्चे की। प्लीज़ एक बच्चा हो जाए। "यह कहते कहते जया रोने लगी। रवि जया को संभालते हुए बोला-"जया! एक बार अपनी भाभी से बात करो। वह सेरोगेसी मदर बन जाए या फिर तुम टेस्ट-ट्यूब की मदद से मां बन जाओ। "जया बोली-" भाभी नहीं मानेगी मुझे पता है। कोई अपना बच्चा इतनी जल्दी नहीं देता। "यह कहकर वह चुप हो गई।
अगले दिन दोनों आफिस के लिए निकले तभी क्रासिंग पर रेड लाइट का सिग्नल आया। रवि ने गाड़ी रोक दी। तभी तीन-चार बच्चों की टोली उनकी गाड़ी के पास आकर गुब्बारे लेने के लिए जिद करने लगी। उन्होंने मना कर दिया। पर बच्चे बार बार हठ करने लगे। तभी जया की निगाह एक चौदह-पंद्रह साल की बच्ची पर गई। उसके कंधे पर 4-5 महीने की बच्ची कपड़े की सहायता से टांग रखी थी। जया को यह देखकर दया आ गई। उसने तुरंत रवि से साइड पर गाड़ी लगाने को कहा। रवि को भी कुछ समझ नहीं आया पर जया की खुशी के खातिर गाड़ी साइड में लगा दी।
गाड़ी से उतरने के बाद जया ने उन बच्चों से सब गुब्बारे ले लिए और सभी का नाम पूछा। इसके बाद जया ने उस बड़ी लड़की से पूछा-"बेटा,यह आपके कंधे पर इतनी छोटी बच्ची किसकी है। ये तो बहुत छोटी है और रोड में इतना टैफिक भी है। रिस्क नहीं है और दूध का इंतजाम कैसे करती हो। "वह लड़की बोली-"यह बच्ची दो दिन पहले सड़क किनारे मिली थी। बहुत रो रही थी। इसके माँ-बाप मिल जायें इसलिए कंधे पर लेकर घूम रही हूँ। पास में ही घर है। जब यह रोती है तो घर ले जाती हूँ। मेरी मां के पैर खराब हैं वह जा नहीं सकती कहीं। पापा इस दुनिया में नहीं है। इसलिए हम गुब्बारे बेचते हैं। ये मेरे भाई-बहन हैं। "यह कहकर वह बच्ची चुप हो गई।
जया ने रवि की तरफ देखा और फिर बच्ची से बोली-"तुम अपने घर ले चलोगी। "उस बच्ची ने हाँ मेंं सिर हिला दिया और अपने घर ले गई। घर बहुत ही छोटा था एक कमरे का, वो भी कच्चा। जया ने उस बच्ची की माँ को देखा सच में उसके पैर खराब थे। जया ने सीधे सीधे पूछा-आपको जो बच्ची परसों मिली है उसे गोद लेना चाहती हूँ। उसे पालना चाहती हूँ। उस औरत ने सहर्ष ही हामी भर दी और उस बच्ची को जया की गोद में डाल दिया।
जया जैसे ही चलने लगी। उसने उस औरत और उसके बच्चों के चेहरे पर अजीब भाव देखे। वह तुरंत उस औरत से बोली-"तुम अपने बच्चों के साथ मेरे घर चलो। मैंने तो बच्चे कभी पाले नहीं। तुम बच्ची की तेल मालिश,खाने का ख्याल रखना और तुम्हारे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई का खर्चा मैं उठाऊँगी। "यह कहकर वह औरत बच्चों के साथ रवि की कार में बैठ गई।
रवि देख रहा था। आज दोनों माँओं के चेहरे पर खुशी की चमक थी। ईश्वर ने दोनों की प्रार्थना जो सुन ली थी।