माँ का विश्वास जीत गया
माँ का विश्वास जीत गया
"बेटा, तुम्हारे इस नृत्य ने मेरी आत्मा को छू लिया। मैंने एक दिव्यता का अनुभव किया| ऐसे लगा जैसे मैं ईश्वर से मिल रही हूँ। कुछ समय के लिए तो मैं सुःख-दुःख आदि सभी प्रकार से एहसासों से मुक्त हो गयी थी। बहुत ही अच्छा बच्चे।" वरुण की ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति के बाद एक बुजुर्ग महिला ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
इन शब्दों के प्रत्युत्तर में वरुण के पास कोई शब्द नहीं थे। उसने उन बुजुर्ग महिला के दोनों हाथ थाम लिए और घुटनों के बल बैठकर उन हाथों में अपना आँसुओं से भरा हुआ चेहरा छिपा लिया। महिला ने बड़े प्यार से वरुण के माथे पर हाथ फेरा और वरुण से विदा ली।
वरुण को अपने नृत्य के लिए आज जो तारीफ मिली थी, उसने अब तक लोगों द्वारा मिले तानों, फिकरों, निंदा को एक झटके में भुला दिया था। आज वरुण के कानों में उसकी माँ मदालसा के शब्द गूँज उठे, " लोग तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं ?क्या कहते हैं ?इसके बारे में सोचकर अपना समय और जीवन बर्बाद मत करो। तुम वही करो, जिससे तुम्हें ख़ुशी मिलती है। दूसरे लोगों को वह करने दो जिससे उन्हें ख़ुशी मिलती हैं। तुम्हारे हर निर्णय में तुम्हारे मम्मी-पापा तुम्हारे साथ हैं। "
वरुण ने तब की तब अपनी माँ को फ़ोन लगाया और कहा, "हैलो, माँ। "
वरुण के कुछ और कहने से पहले ही उसकी आवाज़ सुनकर माँ सब समझ गयी थी और इतना ही बोली कि, "आज की प्रस्तुति बहुत ही शानदार रही न।
"हाँ माँ, बहुत ही शानदार रही। एक बुजुर्ग महिला तो मेरी प्रस्तुति से इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। माँ, आज मैं जहाँ भी हूँ, सब आपकी ही बदौलत है। ",वरुण ने ख़ुशी से झूमते हुए कहा।
"नहीं बेटा, सब तुम्हारी मेहनत का फल है। मैंने तो बस तुम्हारा साथ दिया। ",मदालसा प्यार से कहा।
"वैसे माँ आप क्या कर रहे थे और पापा कहाँ हैं ?", वरुण ने कहा।
"अरे बेटा, पापा सो रहे हैं। ",मदालसा ने कहा।
"इस वक़्त ?",वरुण ने पूछा।
"अरे बेटा, आधी रात हो गयी है। ",मदालसा ने बताया।
"अरे माँ, मैं तो यह भूल ही गया था कि लंदन और भारत के टाइम जोन अलग -अलग हैं।चलिए आप सो जाइये। ",वरुण ने ऐसा कहकर फ़ोन रख दिया था।
"अब क्यों रो रही हो ?तुम्हारे बेटे का शो सुपर -डुपर हिट रहा है। ",वरुण के पिता कश्यप ने वरुण की माँ मदालसा से कहा।
"अरे, आप कब उठे ?",मदालसा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा।
"अरे, वरुण मेरा भी बेटा है। उसकी प्रस्तुति के बारे में जानने का थोड़ा बहुत उत्साह तो मुझे भी है। ",कश्यप ने कहा।
"हाँ, उसकी प्रस्तुति बहुत अच्छी रही। ",मदालसा ने कहा।
"वह तो होना ही था। तुम हमेशा उसके साथ चट्टान की मजबूती से जो खड़ी रही। हर आँधी और तूफ़ान का सामना किया। ",कश्यप ने कहा।
"अरे, मैंने अकेले ने कहाँ किया ?आप भी तो हमेशा साथ रहे। ",मदालसा ने कहा।
"फिर भी, तुम्हारी हिम्मत और हौंसले को मेरा सलाम। ",कश्यप ने कहा।
"चलो, अब सो जाओ, बहुत रात हो गयी। ",मदालसा ने कहा।
कश्यप सो गए थे, मदालसा ने भी अपनी आँखें मूंदकर सोने की कोशिश की। लेकिन हम इंसान भी कितने अजीब होते हैं, ज्यादा दुःख हो या ज़्यादा खुशी, दोनों ही स्थितियों में हमारी नींद आँखों को त्यागकर किसी और ही जहान में पहुँच जाती है। ऐसा ही आज मदालसा के साथ हो रहा था।
वरुण मदालसा और कश्यप का इकलौता बेटा था। वरुण को बचपन से ही डांस करने का शौक था। डांस के प्रति उसके प्रेम के कारण मदालसा ने हमेशा उसे डांस करने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन समाज में बनी हुई कुछ स्टीरिओटाइप धारणाओं के कारण आज भी यह माना जाता है कि डांस करना लड़कों का काम नहीं है। हमारे समाज में आज भी बहुत से करियर विकल्प किसी एक ही जेंडर के लिए सूटेबल माने जाते हैं।
स्कूल में भी जब वरुण फंक्शन्स में भागीदारी करता था और रिहर्सल के लिए जाता था, तब कई बार उसके टीचर तक 'नचनिया, नाचने जाओ ' ऐसा कहकर उसका मज़ाक उड़ाते थे। लेकिन मदालसा ने हमेशा उसे समझाया कि, "हर इंसान को अपनी पसंद का काम करना चाहिए। जेंडर के आधार पर किसी को उसके पैशन से दूर नहीं करना चाहिए। अपने जुनून को ही अपना करियर बनाना चाहिए ताकि उसमें सफलता प्राप्त हो। "
एक बार वरुण ने किसी पारिवारिक फंक्शन में एक डांस परफॉरमेंस दी और परफॉरमेंस के बाद जब वह रूम में कपड़े बदल रहा था, तब ही एक बुजुर्ग रिश्तेदार वहाँ आ गए तथा वरुण को यहाँ -वहाँ गलत तरीके से छूने लगे। वरुण भागकर मदालसा, अपनी माँ के पास आया और फूट -फूट कर रोने लगा था। मदालसा ने वरुण की बात सुनकर जब उन रिश्तेदार की शिकायत की, तब सभी ने यह कहकर वरुण और मदालसा का मज़ाक बनाया कि वरुण तो लड़का है, भला उसका शारीरिक शोषण कैसे हो सकता है। उस समय पोक्सो कानून भी नहीं था। इस घटना के बाद वरुण ने अपनी जान तक लेने की कोशिश की थी, लेकिन मदालसा ने उसे सम्हाला।
मदालसा की प्रेरणा से वरुण ने ओडिसी नृत्य का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। धीरे -धीरे वरुण ने लोगों की बातों पर ध्यान देना छोड़कर, पूरा फोकस ओडिसी नृत्य सीखने में लगा दिया था। वरुण के जगह -जगह शो होने लगे थे और इसी बीच वरुण को लंदन शो का ऑफर आया। आज के शो ने वरुण को सफलता के उस मुकाम पर पहुंचा दिया था, जहाँ उसे अपने निर्णय पर फख्र था।
आज मदालसा भी बहुत दिनों बाद सुकून में थी। वह अपने बेटे के सामने कितनी ही मजबूत बनकर रहती थी, लेकिन अंदर ही अंदर वह कई बार टूटती थी। फिर मदालसा अपने आपको समझाती थी कि अगर वह टूट गयी तो वरुण को कौन सम्हालेगा। आज एक माँ का विश्वास जीत गया था और समाज की दकियानूसी सोच हार गयी थी।