कोर्ट मैरिज
कोर्ट मैरिज


"यह मुझे पसंद नहीं, ऐसा करना आदत है तुम्हारी?" आंखे तरेर मीनाक्षी ने पूछा।
क्या कर दिया, चुपचाप तो बैठा हूं। नाश्ते के इन्तजार में, ऋत्विक बोला। किस बात से नाराज़ हो गई जानेमन। रोमांटिक होता हुआ बोला।
ऑफ़िस में तो एकदम साफ/सुथरे जेंटलमैन बन कर आते। टेबल चमचमाती रहती तुम्हारी। और घर को कूड़ाघर बना कर रहते हो। देखो तौलिया बिस्तर पर, यह कोई बात हुई। जाओ स्टैंड पर फैला कर सुखाओ।
तभी घंटी बज गई ,"लो दूध वाला भी आ गया" भगोना उठाए मीनाक्षी ने दरवाज़ा खोला।"नमस्ते भाभी जी।" नमस्ते, कितना पानी मिलाते हो भैया ? "नहीं भाभीजी भैया जी से पूछ लीजिए इतने सालों से एक दम शुद्ध दूध दे रहे हैं, कभी शिकायत का मौका नहीं दिया।" एक बात सुन लो भैया, अगर दूध सही नहीं आया तो, दूध बन्द। बस सोच लो। दरवाज़ा बन्द करते हुए मीनाक्षी बोली।
भगोना गैस पर रख। बाहर झांका तौलिया बिस्तर पर ही पड़ा हुआ है, साहब अख़बार में सिर घुसाए हुए हैं। "तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता"! तौलिया उठाती हुई मीनाक्षी बड़बड़ाई। कल बच्चे हो जाएंगे, तब भी तुम ऐसे ही रहोगे ?
मेरे पास झांसी की रानी है ना, वीरांगना। मुझे कोई चिंता नहीं। "प्लीज बी सीरियस" मीनाक्षी को गुस्सा आने लगा। ऋत्विक उठ खड़ा हो गया, पीछे से बांहों में जकड़ लिया "गुस्से में तो कैटरीना को भी फेल कर देती हो।" छोड़ो मुझे ! दूध गिर जाएगा, मीनाक्षी धीरे से बोली। ऋत्विक ने अपने होंठ उसके होठों से चिपका दिए। उंह उन्ह --- हटो , शैतान दूध गिर जाएगा, धक्का देते हुए मीनाक्षी बोली। बस एक यही काम ठीक से कर पाते हो। अच्छा जी ! तब तो मैं पास हो गया, मुस्कुराते हुए ऋत्विक बोला।
रहने दो अब, बैठो डायनिंग टेबल पर जाकर, मैं ब्रेकफास्ट ले कर आई। ऑफ़िस को देर हो जायेगी वरना।
ओके मेम।
लास्ट मंथ दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी। दोनों एक ही बैंक में काम करते हैं। मीनाक्षी पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती है। उस के घर वालों को शादी से कोई दिक्कत नहीं थी। पर ऋत्विक के ब्राह्मण परिवार को शादी से ऐतराज़ था। दोनो ने कोर्ट मैरिज का फ़ैसला किया। शादी के बाद दोनों की दिनचर्या भागम भाग वाली ही रही।
"मक्खन लोगे तुम" मीनाक्षी ने किचन से पूछा।
क्या बनाया है?
आलू के परांठे। दही है, मक्खन लोगे?
नहीं । दही परांठा और चाय।
ठीक। यह लो ! फटाफट चट कर जाओ ।
दोनों तैयार होकर नीचे आ गए। ऋत्विक ने गाड़ी निकाली।
समय से बैंक पहुँच गए।
मीनाक्षी अपने ऑफिस में चली गई।
ऋत्विक अपने केबिन में। और पांडे जी, सब ठीक चल रहा है? मनोज श्रीवास्तव ने ऋत्विक से पूछा।
" आपका आशीर्वाद है अंकल।"
आशीर्वाद तो है ही, पर शादी की पार्टी टालते जा रहे हो।
"श्रीवास्तव जी !" घर वाले मान जाएं , फिर एक तगड़ा डिनर। पक्का... पिताजी को मनाना , टेढ़ी खीर है।
अरे मान जायेंगे , इकलौते बेटे की बात है।
देखिए । उम्मीद तो है , ऋत्विक उदास हो कर बोला।
सर ! फीस यहीं जमा होगी ?
कौन से स्कूल की है? ऋत्विक ने पूछा।
बी पी एस की?
लाइए दीजिए।
लंच दोनों ने कैंटीन में किया, शादी से पहले भी दोनों कैंटीन में ही लंच करते थे। दरअसल दो साल पहले उनकी पहली मुलाकात कैंटीन में ही हुई थी।
ऋत्विक जौनपुर से पहली पोस्टिंग के लिए , नोएडा आया था। एक तो सफ़र की थकावट, ऊपर से भूख। ज्वाइनिंग के बाद सीधा कैंटीन भागा था। मीनाक्षी को पहली बार देखते ही , वह देखता ही रह गया था। ठगा हुआ सा बीच रास्ते में खड़ा रह गया था।
"थोड़ा सा साइड में होंगे प्लीज, "मीनाक्षी की आवाज़ उसी की तरह प्यारी थी।
ऋत्विक लंबा खूबसूरत नौजवान था।
लव एट फर्स्ट साइट हो गया। कुछ दिनों में ही मीनाक्षी तनेजा के बारे में काफी कुछ पता लगा लिया। मीनाक्षी भी उसे पसंद करने लगी थी।
मैम ! शाम को हास्य कवि सम्मेलन में चलेंगी, ऋत्विक ने पूछा।
अरे ! कवि सम्मेलन मुझे, बहुत पसंद हैं, आप मुझे ले लोगे मेरे फ्लैट से? ज़रूर ! ठीक सात बजे, आप को ले लूंगा।
आप के घर में कौन कौन है? मैम? ऋत्विक ने पूछा।
मैं, मम्मी/पापा और बड़े भैया/भाभी, एक भतीजा।
सुनो ! तुम मुझे आप मत बोला करो। हम लोग हमउम्र है, तुम चलेगा। ऑफ़िस की बात अलग है।
ठीक, तुम और क्या पसंद करती हो?
कॉमेडी मूवीज, सीरियस कहानियां पढ़ना और खाना बनाना।
तुम्हारे परिवार में कौन कौन है? मीनाक्षी ने ऋत्विक से पूछा।
मां/पिता जी, एक बड़ी बहन की शादी हो गई है। एक छोटी बहन अभी पढ़ रही है। पिताजी गांव में खेती करवाते हैं।
लो घर आ गया ! मीनाक्षी बोली, बहुत अच्छा लगा तुम्हारे साथ।
मुझे भी। बाय।
"लड़का तो हैंडसम है, और चहक भी रही हो कल से।" सरिता भाभी मीनाक्षी से बोली।
आप भी बस, कुछ भी ! साथ में काम करता है। एक /दो शौक मिलते है, बस।
और भी मिलने लगेंगे। घर पर बुलाओ, किसी दिन।
भाभी देर हो रही है।
ऋत्विक को सन्डे को खाने पर बुलाया।
सभी को ऋत्विक पसंद आया।
देखो ! अपने घर वालों से बात कर लो, मेरे घर वाले तो तैयार हैं।
"करता हूं, बाबूजी से डर लगता है। गुस्सा करते हैं बहुत।
पर बात तो करनी पड़ेगी ना।
इस बार गांव जाऊँगा तो बात करता हूं।
होली से पहले ऋत्विक गांव गया। सब ने खूब लाड किया।
"मां, एक बात कहनी है तुमसे "मेरे साथ एक लड़की काम करती है। ऋत्विक धीरे धीरे बोल रहा था।
अच्छा कान्यकुब्ज है या सरयूपारीन?
नहीं मां, ब्राह्मण नहीं है।
"दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा ?" तेरे पिताजी गोली मार देंगे। और बेटा एक छोटी बहन कुंवारी है तेरी। मां फुसफुसाई। देख बेटा ! सोच समझ कर कदम उठाना, बाबूजी तुम्हारे मशहूर है अपने गुस्से के लिए।
बाबूजी से बात करने की हिम्मत नहीं हुई ऋत्विक की।
होली के बाद वापिस आया तो मीनाक्षी ने जोश से पूछा "बात की शादी की"?
हिम्मत नहीं हुई, बाबूजी से बात करने की।
अरे ! फिर !
देखो ! क्या होता है? मां को बता दिया है।
ठीक है ! मीनाक्षी का जोश ठंडा पड़ गया।
हैलो,! मां प्रणाम । मां, बात की? बाबूजी से ।
हां बेटा ! बहुत गुस्सा गए । बोले उस नालायक से कह दो, चुपचाप ब्राह्मण लड़की से शादी कर ले। वर्ना अपना मुंह कभी न दिखाए। बेटा मान जा उनकी बात।
जी मां ! देखता हूं, अपना ख्याल रखना। प्रणाम।
मीनाक्षी ! अब क्या करें? तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगा ।
मैं क्या बताऊं ! मीनाक्षी उदास थी।
यार सक्सेना, अब क्या रास्ता है? ऋत्विक ने पूरी बात बताते हुए पूछा।
भाई तुम तो छुपे रुस्तम निकले। देख ! चुपचाप कोर्ट मैरिज कर ले। मैंने भी यही किया था। बाद में सब मान जाते हैं।
गड़बड़ न हो जाए भाई ?
डरता क्यों है? मैं सब सेट कर दूँगा, मेरा दोस्त है , सब अरेंज कर देगा।
कोर्ट मैरिज के बाद दोनों अपने फ्लैट में रहने लगे। शादी की खुशी ऋत्विक के चेहरे पर नहीं आ पाई, सो कोई पार्टी भी नहीं दी गई।
छोटी बहन को फोटो वॉट्सएप कर दी थी, मां और दीदी को दिखाने के लिए।
ऋत्विक सोच में डूबा हुआ था, मीनाक्षी अपनी मम्मी के पास गई थी। मैंने गलत कर दिया, बाबूजी को कितना दुःख हुआ होगा? जाने क्या क्या सोच रहा था।
क्या हुआ? उदास लग रहे हो? आते ही मीनाक्षी ने पूछा।
चाय बना दो ! सर में दर्द है हल्का सा।
अभी बना देती हूं।
तभी घंटी बजी। इस वक्त कौन आ गया? मीनाक्षी ने दरवाज़ा खोला।
प्रणाम बाबूजी, प्रणाम माता जी, मीनाक्षी पैर छूते हुए बोली। यह तो अच्छा हुआ ऋत्विक ने पहले ही फोटो दिखा दी थी वॉट्सएप पर। "कौन है ? ऋत्विक अवाक रह गया, बाबूजी अम्मा आप? प्रणाम।
अरे तूने क्या सोचा, बुढ़ापे में सेवा करने से बच जाओगे। इतनी अच्छी बहू ढूंढ लिया, चुपके चुपके। सचमुच बड़ा हो गया तू। ऋत्विक के आँसू थम ही नहीं रहे थे, खुशी का बांध जो टूट गया था।