This poem depicts the sentiments attatched of a person towards his home :) This poem depicts the sentiments attatched of a person towards his home :)
अपने घर वालों से बात कर लो, मेरे घर वाले तो तैयार हैं। अपने घर वालों से बात कर लो, मेरे घर वाले तो तैयार हैं।
मुझे बाबूजी के बाबूजी से पापा बनने की याद दिलाता रहता है। मुझे बाबूजी के बाबूजी से पापा बनने की याद दिलाता रहता है।
कल को बेटी ही तो देगी सहारा, क्योकि बेटे पराये हो जाते है पर बेटिया कभी पराई नही होती कल को बेटी ही तो देगी सहारा, क्योकि बेटे पराये हो जाते है पर बेटिया कभी पराई नही...
जब तक पैसा रहता है तब तक लोग पूछते है, जब पैसा नही तो कोई पूछने वाला नही। चाहे अपने हो जब तक पैसा रहता है तब तक लोग पूछते है, जब पैसा नही तो कोई पूछने वाला नही। चाहे अ...
तुम्हारी इस शर्ट को पहनकर ड्रेसिंग के सामने खड़े अजीबोगरीब तरह से इतरा से रहे थे तुम्हारी इस शर्ट को पहनकर ड्रेसिंग के सामने खड़े अजीबोगरीब तरह से इतरा से रहे थे