पांच सौ का हिसाब
पांच सौ का हिसाब
सुनो जी इस उम्र मे नौकरी करगे आप?? बच्चे तो खुद अब नौकरी करने लगे आप क्यू करोगे? अब तक हम उनके सहारा थे। अब हम उनके सहारे रह लेगे, आखिर बेटा जो है हमारा।
कमलेश जी मुस्कुराए और कहा रज्जो तुम्हे पता है ना की मेरी प्राइवेट नौकरी थी जिसमे पेंशन नही मिलती अभी रिटायर हुए दो महिने ही हुऐ पर लग रहा दो साल हो गए । "अरे जो बच्चे मेरे हाथो से पैसे ले जाते थे ,मैने कभी हिसाब नही मांगा वो मुझसे 500 रूपये के हिसाब मागते है"।कितनी तकलीफ हुई रज्जो उस समय मै तुम्हे नही बता सकता ।
पर इस उमर मे क्या नौकरी करेगे आप और कौन देगा?
तुझे याद है मेरा दोस्त उमेश उसकी साड़ियो की बहुत बड़ी दूकान है। उसने ही मुझे मैनेजर बनाया है। तो आज पहला दिन है तो चलता हूँ। शाम को मिलता हू।
सुनकर कमलेश जी की बाते उसके बाद रज्जो ने उन्हे रोका नही।"सच ही तो कह रहे है जब तक पैसा रहता है तब तक लोग पूछते है, जब पैसा नही तो कोई पूछने वाला नही। चाहे अपने हो चाहे बेगाने।" इस उम्र के पड़ाव मे नौकरी करना इनका फैसला गलत नही।
कुछ दिन पहले की बाते याद आ गई कि " मोहन ने कुछ दिन पहले दो हजार रुपये दिये थे घर खर्च का समान लाने के लिए 1500 का समान हुआ पाँच सौ रुपये बचे थे। जो कमलेश जी ने लौटाऐ नही सोचा पास मे रहेगा किसी को कुछ समान की जरुरत पड़ी तो कुछ समान लाने के काम आ जायेगा। पर अगले ही दिन मोहन बाबूजी कल पाच सौ रुपये बचे थे ना क्या हुआ?
अभी कुछ बोलने ही वाले थे,,,, उसके पहले ही मोहन बेल पड़ा
ऐसा करना वो रुपये गीता को दे दिजियेगा।500 रूपये मांग रही थी,,, अभी मेरे पास देने को नही है, पैसे उसे तो आप वही दे देना।
सुनकर बेटे की बात कमलेश जी के आंखों मे पानी आ गया,, पर वह आसू मै भी ना देख सकी उनकी उस पीड़ा को मै ना समझ सकी। तभी तो आज नासमझ कह बैठी कि हम उनके सहारे रह लेगे।
तभी मोहन आता है माँ ये बाबूजी सुबह सुबह कहा गऐ चीकू जिद कर रहा है टोस्ट के लिए।
बेटा अब जा तू ही बाजार से टोस्ट ला क्योकि तेरे बाबू जी नौकरी पर गये ।
इस उम्र मे नौकरी क्यू कर रहे है हम नही है क्या?
बेटा नौकरी इसलिए किऐ है कि ताकि कोई उनसे पांच सौ रुपये का हिसाब ना मांगे।
धन्यवाद