जी लो अपने सपने
जी लो अपने सपने


पलक का आज रिश्ता तय हुआ था सब बधाईयाँ दे रहे थे। पर पलक कमरे में उदास बैठी थी। उसे अपने सपने बिखरते नजर आ रहे थे। कमरे में माँ आती है। क्यूँ उदास हो पलक कितना अच्छा परिवार मिला है। लड़का भी लाखों में एक है। देखना तू वहां खुश रहेगी। पर माँ मेरी खुशी और मेरे सपनों का क्या जो बचपन से देखती आ रही हूँ डाक्टर बनने का, अब तो मैने सी पी एम टी की इग्जाम भी क्लीयर कर लिया है। ये बात आप जानती हो, बस एडमिशन कराना है। तुम्हें पता है ना तुम्हारे पापा के पास इतने पैसे नहीं है कि एडमिशन कराये। लड़के वालो को दहेज देने के लिए पैसे है, पर मेरे एडमिशन के लिए नहीं । दहेज के पैसे नहीं रहेंगे तो ब्याह कैसे होगा। माँ इसी सोच को तोड़ना है। कि आप अपनी बेटी को इस काबिल बनाये कि दहेज देने की नौबत ना आये। माँ आप पापा से बात करो मेरा एडमिशन करा दे, एक बार डाक्टरी की पढ़ाई पूरी हो जाए फिर जिस लड़के से मेरी शादी करायेगे हम कर लेंगे। पर प्लीज़ माँ एक बार पापा से बात कर लो। अच्छा मैं बात कर के देखती हूँ। पलक की बातें कामिनी जी को 25 साल पीछे खड़ा कर दिया। जब उसका ब्याह होने वाला था तब वह एक अध्यापिका बनना चाहती थी पर घर वालो ने उसकी एक ना सुनी शादी करा दी। कहा कि अब अपने सपने ससुराल में पूरा करना और जब ससुराल आई तो आगे पढ़ाई के लिये ना पति ने साथ दिया और ना सास ने और अपने सपनों को चुल्हे की आग में झोक दिया। पर अब पलक को अपने सपने चुल्हे के आग में नहीं झोकने दूँगी।
सुनिए जी आप लड़के वालो से बोल दीजिए कि अभी हमें शादी नहीं करनी है। तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हुआ है। इतना अच्छा रिश्ता मिला है और तुम चाहती हो कि मैं मना कर दूँ। कमलकांत जी ने कहा। पलक की आज बात सुनकर मन विचलित हो उठा। क्या मैं करने जा रही हूँ अपनी बच्ची के साथ, उसके सपनों को चुल्हे के आग में झोकने जा रहे है। अगर हम उसके सपनों को पूरा करने में मदद नहीं कर सकते तो ससुराल से क्या उम्मीद रखे।
तुम जानती हो कि पैसे मैने पलक की शादी के लिए रखे है। ऐसी शादी का क्या मतलब जब बेटी खुश ही ना रहे। और दहेज देने से अच्छा है कि हम अपनी बेटी को काबिल बनाये और हमारी बेटी पहली "सीपीएमटी" का इग्जाम क्लीयर किया है। पैसे तो आते जाते रहेंगे पर यह समय निकल गया तो लौट कर नहीं आयेगा। पर उसने मुझे बताया नहीं कि वह "सीपीएमटी" का फार्म डाला है? कैसे बताती आप जो खिलाफ थे। इसी डर से नहीं बताया।
अगले दिन ऑफ़िस से आते ही कमलकांत जी पलक के कमरे में गए। क्या कर रही हो बेटी।
पापा आप.... कुछ नहीं बस पढ़ाई कर रही हूँ।
पता है जब तू छोटी थी तो स्कूल से आते ही मुझे ढूँढती और मैं जब भी घर आता तुम सबसे पहले अपने स्कूल की सारी बातें बताती। कभी तुमने मुझसे कुछ छुपाया नहीं। आज तो तुमने मुझे पराया कर दिया।
पापा मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं आप से डर गई थी......इस लिए मैने आपको बताया नहीं।
तुम क्यो माफ़ी मांग रही हो ग़लती मेरी है कि मैने तेरी काबिलीयत पर शक किया। मुझे लगा कि तुम बस पैसा और समय बर्बाद करोगी पर मैं गलत था। ये लो एडमिशन फार्म और भर दो , जी लो अपने सपने को पलक।
और इतने कम समय में सीपीएमटी का इग्जाम पलक ने क्लीयर कर लिया था। इतनी जल्दी सब कुछ पा लिया था उसके लिए तो ये बौनी उड़ान की तरह था।