Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

जिम्मेदारी हमारी है

जिम्मेदारी हमारी है

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"महक अभी उठी नहीं सात बज गए!" रवि ने कहा 

"क्या सात बज गए" कहराते हुऐ कहा? 

"तबियत ठीक नहीं लग रही तुम्हारी"......सर पर हाथ रखता है। "अरे तुम्हे तो बुखार है महक ऐसा करो तुम आराम करो मैं चाय बना कर लाता हूं।

रवि चाय लाता है, महक के सर पर ठंडी पट्टी रखता है। और कहता है आज तुम आराम करो खाना मैं बना देता हूं।

"नहीं रवि आप रहने दो खाना बनाने को मैं बना लूंगी।"

"अरे मैंडम कभी हमें भी तो मौका दिजिये किचन मे हाथ अजमाने का.....

अच्छा जाइये...."

"तो बताइये आप मेरे हाथो से क्या खाना पसंद करेंगी।"

"जो आप बना दे प्यार से....."

रवि किचन मे जाता है, और खाना बनाने की तैयारी करने लगता है। डोरबेल बजती है.....रवि आटा गूथ रहा था उसी हाथ से दरवाजा खोलता है,,,,,,, सामने अम्मा खड़ी रहती हैं।

"अरे अम्मा आप बता दी होती तो मैं आप को लेने आ जाता।"

"कोई ना तुम सब की याद आ रही थी सोचा चलूं मिल आऊं .... पर ये क्या तुम किचन मे काम कर रहे हो। मैंने कभी अपने बेटे से काम नहीं कराया दो दिन की आई लड़की मेरे बेटे से खाना बनवा रही है। कहां है महरानी......?" 

"अम्मा आप शांत हो जाओ जैसा सोच रही वैसा कुछ नहीं ..... "

"इसमें सोचना क्या सब दिखाई दे रहा है।"

अम्मा की आवाज सुनते ही महक कमरे मे से आई अम्मा का पैर छुई..... अम्मा अब महक पर भड़कने लगी.....रवि ने अम्मा को चुप कराते हुऐ कहा.... अम्मा आप बिना कुछ जाने क्यू भड़क रही हो जरा महक का हाथ पकड़कर देखो कितना बुखार है। अगर उसकी तबियत ठीक नहीं तो मैंने खाना बना दिया तो क्या बुराई है। "आप को तो खुश होना चाहिए कि आपने अपने बेटे को कितनी अच्छी परवरिश दी है, कि वह अपने पत्नी के सुख दुःख को समझता है, उसका किचन मे भी हाथ बंटाता है।"

"तो इसका मतलब तू रोज किचन में काम करता है?"

"माँ घर हमारा है तो जिम्मेदारी हमारी है।"

"सच कहा बेटा हम तो बस यही सोचते रह गये कि घर के काम बस बेटी,बहु को करना चाहिए। पर तुमने आँखे खोल दी।"

"बहु तुम आराम करो मैं काढा बनाकर लाती हूं। देखना तुम जल्दी ठीक हो जाओगी ।"


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