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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

जरा हाथ बँटा दो

जरा हाथ बँटा दो

2 mins
201


सुनो ना जरा गुझिया बनाने मे मेरा जरा हाथ बटा दो। सुबह से पता नही क्यू हाथ मे दर्द हो रहा है।

ये काम तुम औरतो का है। इसमे तुम मुझे ना घसीटो.... 

रोहन कमरे मे मैच देखने लगा।

सिया आज फिर रोहन के तरफ से निराश हो गई। कितना सोचती कि कभी आकर मेरे साथ किचन मे दो वक्त बिताऐ बाते करे। पर उन्हे टीवी मोबाइल से फुर्सत ही नही मिलता।

कुछ देर बाद सिया मुझे शर्मा जी से कुछ काम है मै अभी मिलकर आता हू।

रोहन डोरबेल बजाता है। छोटू दरवाजा खोलता है।

नमस्ते अंकल.....

नमस्ते बेटा....पापा कहा है ? 

आइये पापा घर पर ही है।

शर्माजी गुझिया बना रहे थे।

आइये गुप्ता जी बैठिऐ.....कैसे आना हुआ।

अरे वो फाइल आपके पास रह गयी थी ना वही लेने आया हू। रुकिऐ अभी देता हू। तब तक मेरे हाथो की गरमागरम गुझिये का आनंद लीजिऐ।

सच बताऊ गुप्ताजी बीबी के साथ किचन मे हाथ बटाने का अलग ही मजा है। इस बहाने थोड़ी बाते तो थोड़ा किचन मे हाथ अजमा लेता हूँ।

जब से रोमा आई गुप्ता जी मुझे खाना बनाने आ गया। वरना तो मेरी दाल हमेशा जल जाती।

शर्माजी की बाते सुनकर रोहन को बड़ा अफ़सोस होता है कि मै तो हमेशा किचन मे जाने से कतराता हू। कितनी बार सिया ने मुझसे कहा "जरा हाथ बँटा दो" पर मै तो हमेशा टाल देता। पर अब नही। अब मै सिया की मदद करूँगा।

अरे गुप्ताजी बिना फाइल लिऐ जा रहे है....  

शर्माजी मै बाद मे आकर लेता हू कुछ जरूरी काम याद आ गया।

घर आऐ तो अभी भी सिया गुझिया बना रही थी। रोहन पास जाकर बैठता है....लाओ मै गुझिया बनवा दूँ.... 

सिया को अपने कानो पर विश्वास नही हो रहा था कि यह बात रोहन कह रहा है।

ऐसे क्या देख रही हो। दो बेलन मुझे तुम्हारे हाथ में दर्द है और दोनों मिलकर गुझिया बनाने लगे।


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