महक रिश्ते की

महक रिश्ते की

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"अरे मालती! तुम ये क्या कर रही हो?"

"दिखता नहीं तुम्हारी शर्ट धो रही हूँ।" मालती ने तुनक कर उत्तर दिया।

"लेकिन तुमने कल ही तो सारे कपड़े धोकर, प्रेस करके रखे थे। आज फिर से मेरी यह धुली हुई शर्ट.....?"

"वो हैं ना तुम्हारे बाबू जी.... तुम्हारी इस शर्ट को पहनकर ड्रेसिंग के सामने खड़े अजीबोगरीब तरह से इतरा से रहे थे।" मालती के शब्दों में गुस्सा और व्यंग्य साफ झलक रहा था।

"मालती! जब मैं छोटा था, तो बाबू जी के कपड़े पहन-पहनकर खूब डांस किया करता था, माँ-बाबू जी मुझे देखकर ख़ूब खिलखिलाते थे। लेकिन माँ ने मेरे पहनने के बाद भी बाबू जी के धुले हुए कपड़ों को फिर से कभी नहीं धोया।" 




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