ढाल
ढाल
उसने खुले मंच से कहा, "मैं व्यापारी हूँ, व्यापार मेरे खून में है। न देश को झुकने दूँगा न बिकने दूँगा।"
जनता ने वाह-वाह करते हुए उस व्यापारी की सत्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम को देखते हुए अपना राजा चुन लिया। व्यापारी ने व्यापार जारी रखा और जनता को सुधारने के लिए अनेक योजनाएं बनाई ताकि राष्ट्र को बिकने से बचाया जा सके।