स्वर्ग-नरक
स्वर्ग-नरक
सुखचैनसिंह ने सुखी परिवार पर अपने लंबे से अभिभाषण का समापन इन शब्दों से किया,
"जिस किसी परिवार में किसी एक को छोड़कर बाक़ी जिंदा लाशें रहती हों वह परिवार स्वर्ग समान और जिस परिवार में सभी जिंदा लोग रहते हों वह परिवार नरक समान होता है।"
सुनते ही पिन ड्राप साइलेन्स के साथ श्रोताओं के मुँह खुले के खुले रह गए हाथ जड़ हो गए।