कैश क्वीन और राष्ट्र पत्नी
कैश क्वीन और राष्ट्र पत्नी
आज तक तो हमने क्वीन , ब्यूटी क्वीन, मैलॉडी क्वीन और ट्रेजेडी क्वीन का ही नाम सुना था। मगर अब एक और प्रकार की क्वीन देखने सुनने में आ रही है। उसे "कैश क्वीन" कहा जा रहा है। सुना है कि उसके घर से हरे गुलाबी रंग के नोटों की गड्डियां ऐसे निकल रही हैं जैसे हिमालय से गंगा निकलती हो। चारों ओर नोट ही नोट। नोटों का विशालकाय पहाड़ देखकर दिल खुश हो गया। इतने नोटों के बारे में कभी सुना नहीं था ना सखी , अब उन्हें साक्षात देख कर दिल बल्लियों उछल रहा है। कितने सौभाग्यशाली हैं वे लोग जो इतने सारे नोटों को गिन रहे हैं, जब्त कर रहे हैं। हम तो इन्हें दूर से देखकर ही आनंद के सागर में गोता लगा रहे हैं मगर जो लोग उस पहाड़ को छू रहे होंगे , उसकी एवरेस्ट से भी ऊंची चोटी पर चढ रहे होंगे , उन्हें कैसा लग रहा होगा ? काश, कोई हमें भी नोट गिनने वाली टीम में ही रख लेता ! हम तो फ्री में सेवा देने के लिए भी तैयार हैं , बस हमारी ख्वाहिश इतनी सी है कि हमें "नकद नारायण" का दर्शन लाभ हो जाये।
सखी, कैश क्वीन के एक घर से करीब 21 करोड़ से अधिक का कैश मिला था। अब सुन रहे हैं कि उसके दूसरे घर से भी 30 करोड़ से अधिक का कैश मिला है। लोग दबे स्वर में कह रहे हैं कि अब तक दोनों घरों से करीब 53 करोड़ रुपए और करीब 9 किलो सोना मिल चुका है। मुझे तो इस बात का आश्चर्य हो रहा है सखी कि वह "कैश क्वीन" 9 किलो सोना पहन कर जब निकलती होगी तो कैसी लगती होगी ? दूसरी बात ये कि क्या वह कोई पहलवान है जो 9 किलो सोने का बोझ आसानी से उठा सकती है ? हमने तो सुना है कि हसीनाएं बड़ी नाजुक होती हैं। मगर हमारी "कैश क्वीन" तो इस मिथक को तोड़ने में लगी हुई हैं।
अभी अभी नवीनतम जानकारी मिली है कि "कैश क्वीन" के तीसरे घर पर भी ई डी पहुंच गई है और उसका ताला तोड़कर उसकी भी तलाशी ली जा रही है। हमारी तो ई डी वालों से यही विनती है कि अपनी कार्यवाही को दो घंटे वाली फिल्म की तरह ही परोसें न कि एकता कपूर के लंबे लंबे उबाऊ और घर तोड़ू धारावाहिकों की तरह सालों तक चलाते रहें। हर रोज एक नया झटका ! इतने झटके सहने के आदी नहीं हैं हम लोग। अब यदि तीसरे घर से भी 50 करोड़ रुपए मिल गये तो ? हमें तो दिल का दौरा पड़ जाएगा ना !
वैसे एक बात तो तय है सखी कि ये "पार्थ" बड़ा ही तीरंदाज है। द्वापर युग में भी उसने चिड़िया की आंख पर सटीक निशाना लगाया था। मछली की आंख पर निशाना लगाकर द्रोपदी को स्वयंवर में जीत लिया था। यहां पर भी "पार्थ" ने सटीक निशाना लगाकर न जाने कितनी द्रोपदियों को जीत लिया है और "नकद नारायण" की तो पूछो ही मत। काश ! हम भी अपने बेटे का नाम "पार्थ" रख देते तो शायद वह भी ऐसे ही निशाना लगा देता !
एक और मुद्दे पर बात करते हैं सखी कि राष्ट्रपति के पद पर यदि कोई महिला विराजमान हो तो क्या उन्हें "राष्ट्र पत्नी" कहा जा सकता है ? भद्रलोक से आने वाले एक दिव्य सांसद महोदय जो लोकसभा में उस राष्ट्रीय दल के नेता हैं जिनकी एक नेता देश की पहली महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं, ने महामहिम राष्ट्रपति जी को "राष्ट्र पत्नी" कह दिया। तो क्या उन भद्र लोक से आने वाले भद्र नेता ने उन पहली महिला राष्ट्रपति को भी "राष्ट्र पत्नी" कहा था ? यदि नहीं तो फिर इन महामहिम के लिए ऐसे अपमान जनक शब्दों का प्रयोग क्यों किया ? एक जनजातीय महिला का अपमान नहीं है क्या यह ? देश के सर्वोच्च आसन का अपमान नहीं है क्या यह ? पता नहीं क्यों आजकल हर पद , हर व्यक्ति की मर्यादा को तार तार करने में लगे हुए हैं लोग ? घृणा का ऐसा स्तर पहले कभी नहीं देखा है सखी। ऐसा लग रहा है कि चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली हुई है और सड़ांध के मारे जीना दूभर हो गया है। जनता को चाहिए कि अब इस गंदगी को साफ करे और अमन चैन से जीये।
आज के लिए इतना ही काफी है सखी। कल फिर मिलते हैं।