भिंडी चैनल पर बिहार चुनावी बहस
भिंडी चैनल पर बिहार चुनावी बहस
📺 भिंडी चैनल पर बिहार चुनावी बहस 📺
😛 एक ताजातरीन हास्य व्यंग्य 😛
✍️ श्री हरि
🗓️ 2 नवम्बर 2025
🎤 दृश्य :भिंडी चैनल का स्टूडियो — दीवारों पर हरियाली, पर असली नहीं, प्लास्टिक की।मेज पर माइक, लिट्टी चोखा और सत्तू के दाग और हवा में वही पुराने चारे की गंध — “पहले हम बोलेगा , नहीं नहीं हम बोलेगा…”
कैमरे के सामने चमकते चेहरे —पत्तलकार खबीश पांडे,‘बकवास तक’ के खाजदीप,‘छि न्यूज़’ के कालुतोष,और शेरवानी में लिपटीं, सुर्ख़ लिपस्टिक लगाए ताड़का शेरवानी — जिन्हें खुद को “हिजाब देवी” कहलाने का पुराना शौक़ है।
आज का विषय —🎯 “बिहार चुनाव: जनता जीतेगी या फिर जंगल राज?”
खबीश पांडे (गंभीर मुद्रा में):“दोस्तों, आज की बहस का विषय अत्यंत गंभीर है —क्या बिहार में जनता फिर से "सुशासन" को चुनेगी या फिर वापस "जंगल राज" को?
क्या इस बार दोनों खानदानी चश्मों चिराग कुछ कमाल दिखाएंगे या "सुशासन बाबू" अपना अंगदी पैर जमाए रखने में कामयाब हो जाएंगे?”
खाजदीप (टीका लगाते हुए):“देखिए खबीश जी, अब जनता बहुत समझदार है, वह अब मुद्दों पर वोट देती है —
बेरोज़गारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है बिहार में । चारा चोर पुत्र ने हर घर को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है । क्या वे अपने पिता की तरह जंगल राज लाने में कामयाब हो पाएंगे ?”
कालुतोष (हंसते हुए):“सही कहा आपने! हम तो निष्पक्ष पत्तलकार हैं और उतनी ही निष्पक्षता से पत्तलकारिता करते हैं जितनी निष्पक्षता से कॉलेजियम जजों का चुनाव करती है। बिहार का युवा अब रोज़गार नहीं, जंगल राज चाहता है।”
ताड़का शेरवानी (तड़कते हुए):“आप सब मुद्दा भटका रहे हैं! असली मुद्दा है ‘महिलाओं की सुरक्षा और महिलाएं जंगल राज में ही सुरक्षित हो सकतीं हैं जैसे एक IAS अफसर की पत्नी चंपा विश्वास जंगलराज प्रथम में सुरक्षित थीं’!
पिंकी ने अपने बाल दादी की स्टाइल में बनाते हुए कहा "अगर उनकी सरकार आई तो बिहार की हर बेटी की नाक उसकी दादी की नाक की तरह तीखी बना दी जाएगी!”
खबीश पांडे (सिर पकड़कर):“देखिए , ये गमछा पार्टी फिर से हिन्दू मुसलमान कर रही है?
और ये चुनाव आयोग भी सरकारी पार्टी के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहा है । "वोट चोरी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। हमारे जननायक ने अपने प्रस्तुतिकरण में बहुत गंभीर सवाल खड़े किए हैं । अब जनता को जवाब देना होगा। वोट चोरों को गद्दी से हटाकर। पिंकी जी, आप बताइए कि ये चुनाव है या इंस्टाग्राम अभियान?”
(इस बीच चारों नेताओं के वीडियो जुड़ते हैं — स्क्रीन चार हिस्सों में बंट जाती है।)
चारा चोर पुत्र (हँसते हुए):“हमारे पिताजी ने जो कुछ किया, गाय की रक्षा के लिए किया, बिहार के लिए किया! अगर हम चारा नहीं खाते तो गायें भूखी मर जाती!”
टोंटी चोर (कंधे उचकाते हुए):“मेरे भी पिताजी ने राम भक्तों पर गोली देश बचाने के लिए चलवाईं थीं। रही चारे की बात, कम से कम मैं चारा नहीं खाता! मैं तो बस टोंटी चुराता हूँ । इससे पानी जनता में बहता है, जनता नहाती है, पुण्य सबको मिलता है!”
पप्पू (जोश में):“हम तो राज करने के लिए ही पैदा हुए हैं, हमारा विज़न ग्लोबल है । हम सनातन को खत्म कर देंगे, कोट के ऊपर जनेऊ पहन कर । हम पाकिस्तान, चीन किसी की भी गोदी में बैठ सकते हैं बशर्ते कोई हमें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दे। हम बिहार को थाइलैंड बना देंगे, जिससे हमें बार बार मसाज कराने थाइलैंड नहीं जाना पड़े —हमें बिहार को बर्बाद करने के लिए पांच साल नहीं सिर्फ दो साल ही चाहिए। तो बिहार के भाई लोगों , हमें वोट जरुर देना "
पिंकी (गुलाबी पोज़ में):“हमारी सरकार आई तो हम जमकर भ्रष्टाचार करेंगे । क्योंकि यह हमारा खानदानी पेशा है।”
गमछा पार्टी के गमछा प्रवक्ता (धमाकेदार एंट्री में):“हम आएंगे तो सबको संस्कार सिखाएंगे,सुबह योग, दोपहर में जय श्रीराम, और शाम को जय श्रीकृष्ण!”
खबीश पांडे (कान दबाते हुए):“वाह रे बिहार! यहाँ विकास की बहस में भी भगवा रंग ज्यादा है!”
खाजदीप (नोट्स पलटते हुए):“स्रोतों के अनुसार, अब तक 47 बार माइक टूट चुका है, 12 बार चाय गिरी है,और एक बार तो ताड़का जी ने गमछाधारी पर मेकअप ब्रश फेंक दिया था!”
कालुतोष (कुटिल मुस्कान के साथ):“भिंडी चैनल इतिहास रच रहा है पत्तलकारिता का —लेकिन हम गोदी मीडिया राग गाते रहेंगे।
जहाँ हर पत्रकार बिका हुआ है और हर चैनल भक्त।”
(अब पैनल में हाहाकार — सब एक-दूसरे पर चिल्ला रहे हैं।)
ताड़का शेरवानी:“चुप रहिए सब! यहाँ मैं एंकर हूँ या नमाजवादी ?”
चारा चोर पुत्र:“ताड़का जी एक बार हमें मुख्यमंत्री बन जाने दीजिए फिर दूसरा गेस्ट हाउस कांड हम ही करेंगे ।” 😛
टोंटी चोर:“हम तो बस सनातन को गाली देंगे और रामचरित मानस को जलाते रहेंग ।”
पप्पू:“हमारे पास खानदान है!”
भगवा गमछा (ताल ठोंककर):“और हमारे पास राष्ट्र है!”
पिंकी (शालीनता से):“और हमारे पास दादी की नाक है!”
खबीश पांडे (थके हुए स्वर में):“वाह भाइयो-बहनो! ये है बिहार की राजनीति —जहाँ चारा, टोंटी, गमछा और हिजाब मिलकर ऐसा मिश्रण बनाते हैं, जिसे समझने के लिएदेश को अभी और जंगल राज चाहिए।”
खाजदीप (समापन टिप्पणी में):“निष्कर्ष यही कि बिहार में नेता बदलते हैं,वोटर बदलने का वादा करते हैं,पर बहस में वही रहता है —सिर्फ और सिर्फ जंगल राज !”
📢 नारा (पर्दे के पीछे से उद्घोषक की आवाज़):
“आप देख रहे थे — भिंडी चैनलजहाँ खबरें कम, मसाला ज्यादा होता है!”
🍆
निष्कर्ष:भिंडी चैनल की तरह हमारी राजनीति भी अब “कढ़ाई” बन गई है —हर कोई पक रहा है, हर कोई बोल रहा है,पर स्वाद वही है — सुशासन की चाशनी में जंगल राज का तड़का! 😄
