अजीब मुकदमा
अजीब मुकदमा
😛 अजीब मुकदमा 😛
🤪 हास्य–व्यंग्य : सपनों का बलात्कार और न्याय का नंगा नाच 🤪
✍️ श्री हरि
🗓️ 20.11.2025
लोग सपने देखते हैं और सपनों में पता नहीं क्या-क्या कर आते हैं।
सपने देखना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है—
भले ही संविधान में न लिखा हो,
पर सुप्रीम कोठे के किसी मियां लार्ड का मूड बिगड़ जाए
तो वो डायस पर खड़े होकर किसी दिन यह भी घोषित कर दें—
“आज से सपने देखना भी मौलिक अधिकार।
सरकार तुरंत संविधान संशोधन करे।”
आजकल वैसे भी मियां लार्ड के मूड और उनके मौखिक टिप्पणियों को ही कानून माना जाने लगा है।
सरकार की बनाई विधियाँ तो कब की रद्दी टोकरी में फेंकी जा चुकी हैं।
कहानी शुरू—सपना बनाम सेठ हजारीमल
शहर की एक जानी-मानी वेश्या—सपना
(रंडी शब्द पढ़कर कोई “रंडी-रोना” न गाए,
क्योंकि आजकल तो “प्राउड रंडी” आंदोलन चल रहा है—
हम लिख दें तो अपराध कैसे?)
सपना ने सपना देखा—
रात में एक रईस उसके कोठे आया था,
राजसी ठाठ से सोया था
और सुबह बिना भुगतान किए खिसक गया।
ये तो सरासर उल्लंघन हुआ—
“सुविधा ली है तो सुविधा-शुल्क भी दो!”
अब दिक्कत—नाम नहीं, पता नहीं।
मोबाइल नंबर भी सपने में लेना भूल गई।
स्केच—विज्ञापन—और जनता की भीड़
सपना ने स्केचवाले को बुलाया।
पच्चीस सौ उड़ाकर चेहरा कागज़ पर चिपकवाया।
फिर अखबार में इश्तहार—
“लापता सेठ—जो बताएगा 50,000 इनाम।”
अगली सुबह उसके कोठे पर लाइन लगी
ऐसे जैसे कावड़ यात्रा में प्रसाद बाँट रहे हों।
सत्तर रसिक प्रकट हुए।
सब एक स्वर में बोले—
“अरे मैडम, ये तो शहर के धर्मात्मा सेठ हजारीमल हैं!
दिन में सेवा–भाव, रात में कोठा–परिचय!”
दूसरे की इज्ज़त उछालने का सुख
हमारे समाज की सदियों पुरानी लत है।
सपना की तैयारी—भेड़िया मोड ऑन
सपना बोली—
“अब देखना, इस सेठ की धर्मात्मागिरी कैसे निकलवाती हूँ।”
चेहरा चमका—भेड़िया भेड़ देखकर जितना चमकता है उससे भी ज्यादा।
उसने दूत भेजा और हजारीमल को चिट्ठी—
“आप कल रात मेरे सपने में आए थे।
पूरी रात बिताई और बिना भुगतान भाग गए।
मानसिक तनाव, स्केच खर्च, विज्ञापन… सब मिलाकर
10 लाख रुपए भेज दीजिए।
वरना कोर्ट–कचहरी अलग।”
सेठ बोला—
“मैं ऐसे सपने देखता ही नहीं जिनमें पैसे खर्च पड़ें।
तुमने सपना देखा है—तुम्हारा सिरदर्द।
मैं धेला नहीं दूँगा!”
बस फिर क्या—कायनात में कोहराम।
धरना—नारा—और ‘मी टू इन ड्रीम’
अगली सुबह पूरी वेश्या बिरादरी सेठ की कोठी पर धरना।
नारे ऐसे—
- “सपने में छेड़छाड़—बंद करो! बंद करो!”
- “सपने में भी किया काम—तो देना होगा पूरा दाम!”
- “सपनों का भी मी-टू! मी-टू!”
#सपना_को_न्याय
#DreamMeToo
#SleepIsNotConsent
नारीवादी गैंग कूद पड़ी—
बड़ी बिंदी, बड़े प्लेकार्ड, बड़ी आवाज़।
विपक्षी दल तुरंत समर्थन में—
“इस बहाने रंडियों के वोट पक्के।”
मीडिया—जैसे भूखा शेर
रिपोर्टरनी ने माइक सपने के पेट में घुसाकर सवाल दागे—
“बताइए, सेठ ने क्या-क्या किया?
किस ऐंगल से किया?
कितनी देर किया?”
और अगले पल—
“विज्ञापनों के बाद पूरा खुलासा।”
टीवी स्टूडियो में वेश्याओं की महिमा पर प्रवचन शुरू।
किसी ने उन्हें देवी से ऊपर बताया,
किसी ने लिखा—
“यह पेशा भी राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।”
बीवी–बच्चे–बैंक: सेठ का सत्यानाश
बीवी ने सामान बाँधा—
“मैं मायके जा रही हूँ।
तुम सपने में भी चरित्रहीन!
चुल्लू भर पानी नहीं, पूरी गंगाजी में डूब मरना चाहिए!”
सेठ की दलील—
“भाग्यवान, सपना मैंने नहीं देखा!”
बीवी—
“मुझे क्या, देखा तो था न!”
बेटा बोला—
“पापा, आप अब पोर्नहब डैडी हो।”
बेटी बोली—
“मैं अब्दुल से निकाह कर लूँगी!”
दुकान ठप्प।
नौकर फरार।
ग्राहक गायब।
बैंक वाला बोला—
“आपकी क्रेडिट रेटिंग सपने में भी गिर गई!”
पुलिस—जो सच जानती भी है तो भी नहीं मानती
पुलिस आई—हथकड़ी के साथ।
थानेदार बोला—
“कब पहुँचे थे कोठे पर?
कितनी देर रुके?”
सेठ—
“साहब, मैं तो खर्राटे ले रहा था!”
थानेदार—
“जेल में लेना खर्राटे। यहाँ सच बोल।”
फेमिनिस्ट माँग—‘हर सपने में महिला पुलिस’
एक नेता बोली—
“हर पुरुष के सपने में एक महिला कॉन्स्टेबल तैनात की जाए,
जो भुगतान चेक करे।”
दस चैनलों ने इसे ‘देश के भविष्य की क्रान्ति’ बताया।
सुप्रीम कोठा—स्वतः संज्ञान की फुर्ती
“अखिल भारतीय रंडी संघ”,
“नारी मुक्ति मंच”,
“बार एसोसिएशन”—
सब याचिकाकर्ता बन गए।
दो जजों की पीठ—एक महिला जज अनिवार्य।
(इंसाफ़ का तकाज़ा तो था कि कोठे से ही किसी को बैठाते,
पर मियां लार्ड सर्वज्ञ हैं!)
फैसला—इतिहास में दर्ज होने योग्य—
“सपने में किया गया व्यभिचार भी धारा 377, 376, 354, 509 के अंतर्गत अपराध है।”
“सेठ 50 लाख मुआवजा दे।”
“और वेश्यावृत्ति के आरोप में दो साल की जेल।”
“पीड़िता भी दोषी है पर महिला होने के कारण क्षम्य।”
जज साहबान को बुलंद तालियाँ।
वेश्या ने कार्ड थमाते हुए मुस्कुराया—
“आओ हुजूर, कभी कोठे पर।
दोनों कोठेवाले गपशप करेंगे।”
सेठ चीखा—
“माई लार्ड, मैं तो नींद की गोली खाकर सोया था!”
जज—
“गोली खाकर भी अपराध—और गंभीर।
पाँच लाख जुर्माना और।”
चंद मिनटों में पैसा कटकर सपना के खाते में।
अंत में—एक महाज्ञानी सीख
सेठ बैरक में बैठा सोचता रहा—
“कहाँ फँस गया! सपना उसने देखा,
कटा मैं!”
सीख यह कि—
इस देश में अगर आप अमीर और ईमानदार हैं
तो सोना भी जोखिमभरा है।
बेड पर सीसीटीवी लगवाएँ,
तकिए में जीपीएस फिट करवाएँ,
और सबसे अहम—
सपने में कोई दिखे तो तुरंत चिल्लाएँ—
‘भाभीजी घर पर हैं!’
वरना सुबह कोई आएगा और कहेगा—
“साहब, आपने सपने में ये किया, वो किया…
अब पचास लाख निकालिए, वरना सुप्रीम कोठा तैयार है!”
