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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Drama

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Drama

संतरों की वर्षा

संतरों की वर्षा

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😄🍊 संतरों की वर्षा 🍊😄

😛 एक हास्य व्यंग्य 😛
✍️ श्री हरि
🗓️ 2.11.2025


कहते हैं — भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है,
पर इस बार तो आसमान ही फट गया — और उसमें से गिरे — संतरे! 🍊🍊

चारों तरफ हाहाकार मच गया। लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ।
पहले तो सबने सोचा — “ये उल्का पिंड हैं!”
पर जब एक संतरा फूटकर पिचकारी की तरह रस उगल गया,
तो किसी ने कहा —

“अरे! ये तो नागपुर का माल लग रहा है!”

संतरा देखकर आदमी पागल हो जाता है।
उसकी लार अपने आप टपकने लगती है।
जब एक-दो संतरे देखकर आदमी का ये हाल हो जाए,
तो संतरों की ढेरी देखकर क्या हाल हुआ होगा — कल्पनातीत है! 😛


शहर में लूटपाट मच गई!
जिसे देखो वही संतरे लूटने में लगा हुआ था।
सरकार तुरंत हरकत में आई — पुलिस लगाई।
पर पुलिस जनता को संतरे लूटने से रोकने के बजाय खुद लूटने लगी!
पुलिस को संतरे लूटते देखकर आम आदमी बोला —

“अब हमसे बड़े लुटेरे आ गए हैं, तो अब हमारा क्या काम!”


सरकार ने तुरंत बना दिया —
“संतरा आपदा नियंत्रण दल” 🍊
डीएम ने घोषणा की —

“जनता संतरे अपने पास न रखे, यह सरकारी माल है —
रस निकालने के बाद जमा करवाए!” 😂😂


मोहल्लों में अफरा-तफरी मच गई।
बच्चे सड़क पर बाल्टी लेकर खड़े,
जवान संतरे हाथ में लेकर बोले —

“देखो-देखो, कितने बड़े-बड़े!”
बूढ़े लोग तौलकर गिन रहे थे —
“देखो-देखो, साठ का किलो हो गया रे!”


सब्ज़ी मंडी में मची मारामारी —
टमाटर वाले बोले — “अब हमारा कौन खरीदेगा?”
संतरा वाले बोले — “अब हम कौन बेचेंगे?”
और ठेले वाले बोले — “अब ठेले का क्या करेंगे?”


टीवी चैनलों पर बहस छिड़ी —

“क्या ये संतरे रशियन हैं?”

एक विशेषज्ञ बोला — “इंडियन तो नहीं हैं!”
दूसरा बोला — “स्वर्ग लोक से आए हैं, इतने बड़े तो वहीं होते होंगे!”
एक पंडित बोले —

“नहीं नहीं, ये तो कालजयी फल हैं, स्वयं नारद जी ने दे मारे थे इंद्रलोक से।”
दूसरा बोला —
“नहीं, ये चीनी माल लग रहा है, संतरे में जरूर चिप लगी होगी!”


इधर नगर निगम के अफसर
संतरों के पहाड़ों के बीच खड़े होकर सेल्फी खिंचवा रहे थे —

“देखिए, सफाई अभियान की सफलता — अब संतरे खुद गिर रहे हैं!” 😄


संतरा-प्रेमियों में नई बीमारी फैली —
“रस-आसक्ति सिंड्रोम” 🍹
हर आदमी बोलता —

“बस एक संतरा और…”
डॉक्टर बोले —
“अब ये नहीं सुधरेंगे, विटामिन-सी का ओवरडोज़ हो गया है।”


😂 और सबसे बड़ा कांड तब हुआ —
जब नगर की गोशाला में सांड संतरा खाने लगे,
तो एक राजनीतिक दल के खानदानी चिराग बोले —

“यह ईश्वर का संकेत है,
अब चुनाव में संतरा हमारा चुनाव चिन्ह होगा!

सभा में तालियाँ बजीं,
और उधर जनता ने कहा —

“कोई एक बार बादलों से आम भी बरसा दो न भाई!”


🍊😄🍊
निष्कर्ष:
हमारा देश किसी भी स्थिति में “समस्या” नहीं ढूँढता —
वह “मौका” ढूँढता है!
चाहे आसमान से संतरे गिरें या केले,
लोग रस जरूर निकाल लेते हैं! 😄



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