पप्पू, पराजय और पुशअप
पप्पू, पराजय और पुशअप
😄🗳️ “पप्पू, पराजय और पुशअप 🗳️
🤪 बिहार चुनावों के परिदृश्य में एक हास्य व्यंग्य 🤪
✍️ श्री हरि
🗓️ 10.11.2025
चुनाव का मौसम बिहार में है।
और सबसे पुरानी पार्टी पचमढ़ी में प्रकृति के पंच महाभूतों की विवेचना करने पहुंची हुई है।
बिहार में हर दल का छोटा बड़ा नेता गांव गांव गली गली खाक छान रहा है
लेकिन पप्पू ! उसकी तो बात ही निराली है । आखिर खानदानी चश्मो चिराग है, उसे बिना किए भी सब कुछ हासिल है ।
बिहार के गाँव-गाँव में चौक पर चाय की केतली से ज़्यादा गर्म "चुनावी चर्चा" चल रही है। लेकिन लोग कह रहे हैं कि अबकी बार "लालटेन की लौ" थरथरा रही है ।
"हाथ" लालटेन को जलाने की कोशिश कर रहे बताए, लेकिन लोग कह रहे हैं कि "हाथ" लालटेन बुझाने में लगे हुए हैं।
कहीं महिलाओं के खाते में दस दस हजार रुपए आने की बात है तो कहीं कट्टा, रंगदारी, अपहरण के ट्रैक रिकॉर्ड पर वोट डालने की अपील है।
जो चारा चोरी में 32 साल की सजा काट रहे हैं वे "भ्रष्टाचार मुक्त सरकार" का वादा कर रहे हैं । इस मासूमियत पर कौन ना फिदा होगा ?
बड़ी विडंबना है कि जो "तेजस्वी" हैं वे नौवीं फेल हैं और जो "सम्राट" हैं वे उपमुख्यमंत्री पद से ही संतुष्ट हैं । "तीर" "कमल" के साथ गलबहियां कर रहा है तो "चिराग" "लालटेन" बुझाने में अपनी सारी ऊर्जा लगा रहा है । दो प्रतिशत वाले नेता को उपमुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दे रखा है और बीस प्रतिशत वाले दरी पट्टी बिछा रहे हैं । "तेजाब" से नहलाने वाले "शहाब" फिर से कह रहे हैं कि यदि हम फिर आ गए तो सबको फिर तेजाब से नहला देंगे और लोग उस पर ताली बजा रहे हैं ।
पत्तलकार भी बहुत सारे पहुंच गए हैं बिहार। आखिर पैसा लिया है तो "नमक हलाली" तो करनी पड़ेगी ना? फिर चाहे वह खाजदीप हो या कांग्रेस नेता की पत्तलकार पुत्री। "चाटु टुडे" की पूरी टीम अपनी मालकिन और खानदानी चश्मो चिराग की सेवा में पूरी तरह से जुट गई है। और बहुत से खलिहर हो चुके पत्तलकार जो आजकल यूट्यूबर बनकर "जंगलराज" की पैरवी करने के लिए "स्वतंत्र पत्रकार" के कपड़े पहन कर बिहार चुनावों में कूद पड़े हैं , वे लोगों के मुंह में माइक घुसेड़ घुसेड़ कर उनसे कहलवाना चाह रहे हैं कि मंहगाई, बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन लोग हैं कि आज भी "जंगलराज" को सबसे बड़ा मुद्दा बता रहे हैं । बेचारों के मुंह लटके हुए हैं। उनसे भगवा रंग देखा नहीं जाता । तिलक देखकर उन्हें झुरझुरी आ जाती है । लेकिन जैसे ही ये पत्तलकार जाली टोपी देखते हैं इनमें "जान" आ जाती है ।
नौवीं फेल व्यक्ति ऐसा अर्थशास्त्री बन रहा है जो कह रहा है कि वह हर परिवार को सरकारी नौकरी देगा । अब बिहार में अनपढ़ भी कलेक्टर बनेगा थोड़े दिन बाद।
हर चौक पर झंडे, पोस्टर, नारे —
लाउडस्पीकर ऐसे बज रहे हैं मानो
लोकतंत्र नहीं, बारात निकल रही हो।
और उधर, पप्पू जी —
पचमढ़ी की ठंडी हवा में,
टी-शर्ट और कैमरे के बीच पुशअप लगाकर राष्ट्र की मांसपेशियाँ मजबूत कर रहे हैं।
पत्रकार ने पूछा —
“सर, बिहार में मतदान चल रहा है,
और आप यहाँ पहाड़ों पर पुशअप लगा रहे हैं?”
पप्पू मुस्कराए —
“देखिए, लोकतंत्र भी शरीर जैसा है,
फिट रहेगा तो टिकेगा, नहीं तो गिर जाएगा!”
सवाल आया — “तो बिहार का क्या?”
उन्होंने पुशअप के बीच जवाब दिया —
“बिहार मजबूत है, बस ईवीएम में प्रोटीन की कमी है और वोट चोरी का डर है।”
14 को जब परिणाम आने लगेंगे
तब टीवी चैनलों पर एंकरों की आवाज़ में बिजली की चमक होगी —
हाथ घायल पड़ा कराह रहा होगा और लालटेन बुझी पड़ी होगी तब
पप्पू जी बोलेंगे — “चुनाव आयोग सत्ता का गुलाम हो गया!”
वोट चोरी हो गया है जैसे महाराष्ट्र, हरियाणा में हुआ था।
अब जनता उलझन में —
कौन दबा रहा है, कौन दाब रहा है ?
ये लोकतंत्र है या ब्लूटूथ कनेक्शन?
कभी जुड़ जाता है, कभी टूट जाता है।
कभी आपातकाल में भी फौलाद बनकर निकलता है।
एक बुजुर्ग चौपाल में बोले —
“बिटिया, ये नेता तो ऐसे हैं जैसे वो फेल छात्र
जो हर साल कहता है — पेपर लीक हो गया था।”
दूसरे ने जोड़ा —
“हाँ, अब तो चुनाव भी रील पर लड़े जाते हैं,
घोषणापत्र नहीं, हैशटैग जारी होता है।”
पचमढ़ी में पत्रकारों ने फिर पूछा —
“सर, अब क्या करेंगे?”
पप्पू बोले — “हम कोर्ट जाएंगे,
लोकतंत्र को न्याय दिलाएंगे।”
फिर जॉगिंग शुरू करते हुए बोले —
“लेकिन पहले "पुशअप"!
लोकतंत्र को बचाने के लिए बहुत जरूरी हैं।
उधर बिहार के गाँव में एक बूढ़ा किसान हँसते हुए बोला —
“भाई, ये जो लोकतंत्र है न,
इसकी हालत वैसी ही है
जैसे सांड की जिसे पाँच लोग पकड़ रहे हों —
एक खींच रहा है दिल्ली से,
दूसरा पचमढ़ी से,
और तीसरा X से!”
अगर परसाई जी आज ज़िंदा होते तो लिखते —
“लोकतंत्र अब जिम में भर्ती हो गया है।
जहाँ जनता रोज़ ट्रेडमिल पर दौड़ती है
और नेता सेल्फी लेकर दावा करता है — फिट इंडिया!”
शरद जोशी जोड़ देते —
“ये देश अब नारे से नहीं,
"पुशअप" से चलता है।”
और के.पी. सक्सेना मुस्कराकर कहते —
“राजनीति अब एक ऐसा अखाड़ा है
जहाँ नेता चुनाव प्रचार नहीं करते
मछली पकड़ते हैं या पुशअप लगाते हैं।”
अंत में पप्पू जी पसीने से तर-बतर होकर बोले —
“मैं अगले चुनाव में दो हज़ार पुशअप लगाऊँगा!”
तो एक बुज़ुर्ग ने कहा —
“बेटा, देश पुशअप से नहीं उठेगा,
ज़मीन पर पड़े वादों से उठेगा।”
😂
निष्कर्ष:
बिहार में जनता लाइन में खड़ी है,
दिल्ली में सत्ता सिंहासन पर बैठी है,
और पचमढ़ी में लोकतंत्र पुशअप लगा रहा है —
क्योंकि नेता को अब लगता है,
देश को विकास नहीं, जिम प्लान की ज़रूरत है!
