जल परी ने 'प्रदूषण' को कैद कराया
जल परी ने 'प्रदूषण' को कैद कराया
जल प्रदेश के राजा नीर सिंह महाप्रतापी थे। पूरा प्रदेश जल संपदा के साथ सुख सुविधा व सम्पन्न था। ज्यों ज्यों मौसम बदल रहा था, ठिठुरन सी आने लगी थी। जल प्रदेश की आबोहवा पर धुंध का साया मंडराने लगा, चारों ओर जल दूषित होने लगा। जल जीव- जंतु, मछलियां, त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगे। राजा नीर सिंह ने जल प्रदेश में अचानक तेजी से मरते हुए जीवों पर चिन्ता जताते हुए मंत्री रोकथाम सिंह को कारण जानने प्रदेश भ्रमण पर भेजा। मंत्री ने पता लगाया कि इन सब पर्यावरणीय घटनाओं का जिम्मेदार कोई और नहीं डाकू प्रदूषण सिंह है। जो आए दिन रूप रंग बदल कर जल प्रदेश की आबोहवा को कलंकित करता रहता है। यह बात राजा नीर सिंह ने सुनी तो उन्होंने गुस्से से तमतमाते हुए डाकू प्रदूषण सिंह को दरबार में पेश करने को कहा। डाकू को ढूँढने को सेनाएं भेजी गई। लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी डाकू प्रदूषण सिंह का कहीं कोई पता नहीं चला। तभी जल परी दीदी ने सेनापति को बताया कि डाकू प्रदूषण सिंह जल प्रदेश की आबोहवा को दूषित कर पृथ्वी लोक में जाकर वहां जल ही नहीं, वायु, ध्वनि, भूमि, विकिरण, नाभिकीय प्रदूषण को बढ़ा कर आतंक मचाए रहता है। जब पृथ्वी लोक में नए कानून बनते है, कुछ दिन सख्ती होती है तो वह जल प्रदेश में कहर बरपाता है। सेनापति ने जल परी दीदी की बात को गौर से सुना और पृथ्वी लोक पर गुप्तचरों को सक्रिय किया और आदेश दिया कि जब पृथ्वी पर प्रदूषण चरम पर हो तो वो हमें बताएं क्योंकि वहीं समय है जब पृथ्वी लोक पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर सरकारें सख्त कदम उठाती है और डाकू प्रदूषण सिंह जल प्रदेश की ओर भाग कर आ जाता है हमारे जल प्रदेश को नुकसान पहुंचाता है। ऐसा ही हुआ पृथ्वी लोक पर प्रदूषण के ख़िलाफ़ सरकार सख्त हुई, जन जागरूकता अभियान चलाए जाने लगे, प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी उपाय होने लगे तो डाकू ने जल प्रदेश की तरफ जैसे ही सीमा में प्रवेश किया, उसे गिरफ्तार कर लिया गया। और राजा नीर सिंह के दरबार में पेश किया गया। राजा बोले-दुष्ट डाकू प्रदूषण सिंह तुम क्यों जल प्रदेश व पृथ्वी लोक में घमासान मचाए हुए हो, जीव जंतु मर रहे है, इंसानों का स्मॉग के कारण दम घुट रहा है, आंखे जलन से परेशान है, गले की खराश भी हैरान है। यह सब क्यों कर रहे हो। राजा से डाकू प्रदूषण सिंह बोला-महाराज मैं तो आपकी व पृथ्वी लोक की प्रजा की लापरवाही के कारण आनंद में हूँ। उन्हीं की गलती से आबोहवा को दूषित कर रहा हूँ। राजा नीर सिंह ने प्रजा हित में डाकू प्रदूषण सिंह को कड़ी सजा सुनाई। अब जीव जंतु व प्रजा खुश नजर आ रही थी। जल परी दीदी की सूझ बूझ से हर जगह एक आवाज थी- *प्रदूषण से मुक्ति, जन मानस लगाए युक्ति। *