यदि कानून बनाने से भी जनसँख्या नियंत्रण नहीं हुआ तो कानून बनाने का क्या औचित्य रह जाएगा यदि कानून बनाने से भी जनसँख्या नियंत्रण नहीं हुआ तो कानून बनाने का क्या औचित्य र...
शायद इसमे हमारे समाज की ये सोच है कि बेटा ही माँ बाप के बुढ़ापे की लाठी होता है। शायद इसमे हमारे समाज की ये सोच है कि बेटा ही माँ बाप के बुढ़ापे की लाठी होता है।
कानून की पकड़ कंधे से ढीली होते-होते, रेलगाड़ी की गति बैलगाड़ी से तेज हो चुकी थी। कानून की पकड़ कंधे से ढीली होते-होते, रेलगाड़ी की गति बैलगाड़ी से तेज हो चुकी थी।
कैसा समाज है ये, जहाँ आज भी सरकार की सख्ती के बावजूद न जाने कहाँ से लोग भ्रूण की जाँच क कैसा समाज है ये, जहाँ आज भी सरकार की सख्ती के बावजूद न जाने कहाँ से लोग भ्रूण की...
इस प्रकार के परिवेश तक आपका कानून न पहुँचता है ना ही सुनाई देता है इस प्रकार के परिवेश तक आपका कानून न पहुँचता है ना ही सुनाई देता है
तुमको भी सज़ा मैं नहीं होने दूँगीं, हालांकि क़ानून को हाथ मे लेना जुर्म है…..। तुमको भी सज़ा मैं नहीं होने दूँगीं, हालांकि क़ानून को हाथ मे लेना जुर्म है…..।