बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-2

बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-2

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आज एक महीना बीत गया…….

पूरे भिमारी जिले में चारों ओर सफाई थी। सब ठीक चल रहा था। गौरी अपने ऑफिस में बैठी हुई थी। सामने सभी लोग अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे। गौरी ने नवजागरण अख़बार उठाया और पढ़ने लगी तो देखा कि “दहेज़ के लालच में घर से निकाली गयी नव विवाहिता”, “दहेज़ के लालच में गर्भवती को पीट-पीट कर मार डाला” न्यूज छपी थी जब पेज पलटा तो देखा कि “होटल मालिक ने किया बाल मज़दूर बच्चों के साथ कुकृत्य हल्ला मचाने पर की पाँच बाल मज़दूरों की हत्या”, “बी.एड बेरोजगारों का धरना”, “बेरोज़गार करेगें अब जंतर – मंतर पर राष्ट्रव्यापी धरना” , “पाँच साल की बच्ची के साथ उसके चाचा ने किया दुष्कर्म”, “मुग़ल रोड पर भारी जाम”, चारों तरफ आगज़नी मचा है पूरे देश में बवाल।

गौरी ने कहा, ”मिश्रा जी,आपने नव जागरण पढ़ा ?” मिश्रा जी सुस्त मन से बोले, ”हाँ,मैम पढ़ा। गौरी ने कहा, ”आप लोग बताओ आख़िर ! क्या होना चाहिये अब तो अति हो गयी है। मिश्रा जी ने कहा, ”हर जिले में एक दो फाँसीघर हों और रोज़ जनता ऐसे कुकर्मी चाचाओं को पकड़ कर अंतिम झूला झुला दें बस… क्राईम ख़त्म। मैडम आज किसी को कानून का डर ही नहीं है।भ्रष्टाचार का आलम तो यह है कि बहुतेरे तो पैसे के दम पर छूट भी जाते हैं। गौरी बात काटते हुई बोली, ”मिश्रा जी हम बवाल नहीं शान्ती चाहतें हैं। अच्छा तो एक सेमिनार का आयोजन करो जिसमें सभी कॉलेज स्टूडेन्ट्स को बुलाएं। हम उनकी राय लेगें। मिश्रा जी ने कहा, ”मैम,परसों से चुनाव हैं हर तरफ सरकारी अध्यापक-अध्यापिकायें प्रदर्शन कर रहीं हैं कि उनकी चुनाव ड्यूटी से बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है। आचार संहिता लगी है। ऐसे में बच्चों की भीड़ मतलब ‘बवाल’। बात हो ही रही थी कि तभी मीडिया के लोग आ गये तो गौरी ने कहा, ”आप लोग पेपर में निकालो कि हर आयोग का अपना स्टॉफ है तो चुनाव आयोग का क्यों नहीं ? कुछ नहीं तो जितने बेरोज़गार हैं उनको ही ऐसी ट्रैनिंग दो जिससे उनको दो रोटी का सहारा हो। उनसे चुनाव ड्यूटी करवाओ तो मेहनताना भी दो। इससे सरकारी स्कूलों की पढ़ाई भी बाधित नहीं होगी और बेरोजगारों को धनलाभ भी हो जायेगा और एक बात सरकारी स्कूल में केवल रविवार का दिन ही निश्चित करें।

सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग निजि उपयोग में न लायीं जायें। ये पूरी बात पेपर में निकालो कि इस बात पर सुप्रीम कोर्ट ऐक्शन ले। 

मीडिया वाले बोले, और कुछ मैम ?

गौरी ने कहा,”शुक्रिया।“

मीडिया वाले बोले,”किस बात का शुक्रिया ?

गौरी संघाल ने कहा, ”आप सभी की मेहनत के कारण हमको अपने जिले और देश-दुनिया की जानकारी मिलती है। मीडिया वाले बोले कि ये हमारी ड्यूटी है मैम कहकर ऑफिस से बाहर चले गये। तभी गौरी संघाल ने इंस्पेक्टर सावन से फोन पर बातचीत की और ऑफिस के कुछ लोगों के साथ बाहर निकलीं और जगत से कहा, ”आमावता गाँव चलो देखते हैं लड़की को क्यों निकाला है आख़िर ! फिर चलेंगें केशव गंज जहाँ गर्भवती को…और फिर चलेगें बच्ची के घर …. अब चलो।” गौरी अमावता पहँचतीं हैं जिन्हें देख नवविवाहिता गौरी से लिपटकर रो पड़ती है और कहती है कि मैं बी.एड हूँ टी.ई.टी में पास नहीं हुई तो… मतलब मुझे नहीं, मेरी कमाई चाहिये बस। जब मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिली तो मार-पीटकर घर से निकाल दिया। गौरी ने कहा, ”तुम एनजीओ चलाओगी बोलो अपने जैसी और भी लड़कियों की मददगार बनना। इसके लिये सरकार तुमको आर्थिक सहायता भी देगी बोलो ? वो बोली, मैम, मैं ज़रूर करूँगी। मेरी और भी सहेलियाँ हैं उनको भी जोड़ूँगी। गौरी ने कहा,”शाबाश ! आगे बढ़ो और सभी को आगे बढ़ाओ। इससे जुड़ी सारी जानकारी मैं तुमको दूँगी।

मैडम सुचित्रा जी हैं उनसे में तुमको मिलवाऊँगी। ये लो उनका नम्बर वो देश के सबसे बड़े एनजीओ की अध्यक्षा हैं। वो लड़की, गौरी के पाँव छूने लगीं तो गौरी ने कहा,”मेरे पाँव मत छुओ अपने पाँव मजबूत करो।” और अपने ससुरालवालों का नम्बर इन महिला पुलिस मंज़िल सैनी को दो और पूरी बात बताओ। सारी बात के बाद डी.एम गौरी संघाल उस गर्भवती महिला के गाँव केशवगंज पहुँची तो लोगों की भारी भीड़ उन पर चिल्लाने लगी और उग्र भीड़ ने उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिये। बड़ी मुश्किल से गौरी उस घर में पहुँची तो उसकी माँ उस नवविवाहिता की मिट्टी पर बुरी तरह तड़प के रो रहीं थीं। गौरी ने उनको गले से लगा लिया और बोली कि मत रो। वह बोलीं कि इसका पति जीते जी मर गया और बेटा पेट में जिंदा दफ़न हो गया। सब पूछ रहे हैं कि कौन देगा इसकी चिता को आग ? मैं कहतीं हूँ कि चिता को आग वही देगा जो इसको न्याय दिलायेगा। यह सुनकर चारों तरफ हल्ला मची रहे लोग बिलकुल खामोश हो गये। उस बेटी का पिता आँसू पोछते हुऐ बोला, ”अरी ! रामराजा रात होने से पहले अर्थी लग जाने दे। तू मरी बेटी की लाश को आख़िर ! कब तक सैंते रखेगी। वह माँ चिल्लाई कि मेरी बेटी मरी नहीं बल्कि मारी गयी है और तुमको ज़्यादा जल्दी है तो मैं भी चलूँगीं श्मशान, मुझे भी जिंदा फूंक दो। वरना मुझे मेरी बेटी के साथ अकेला छोड़ दो। इससे अच्छा तो मेरी बेटी किसी के साथ भाग कर शादी कर लेती जहाँ रहतीं खुश रहती। कम से कम ज़िन्दा तो होती।

देख लो मिल गयी शान्ति समाज के लोगों को। हुई न जल्दबाजी में अरेन्ज मैरेज और आपकी नाक भी बच गयी पर मेरी बच्ची मर गयी। अब यह समाज दिलायेगा मेरी बच्ची को न्याय ? बोलो पायल के पापा बोलो ! कह कर ज़मीन पर सर पटक कर रो पड़ी। वो बोले, तुम भी चलो श्मशानघाट तक और मिट्टी उठी तो चारो तरफ चीख–पुकार मच गयी। मैं भी खड़ी यह मंज़र देख रो पड़ी सभी श्मशान घाट पहुँचे और जब आग लगाने की बारी आयी तो उसकी माँ ने सब की तरफ देखा ! पर कोई आगे नहीं आया तो, वह माँ चिल्लायी ! मैं मेरी बच्ची पायल को पैदा कर सकती हूँ तो आग भी दे सकती हूँ। मैं दिलाऊँगीं मेरी बच्ची को न्याय। फिर, आँखों में न्याय की शपथ लेते हुये मन ही मन बदले की भावना के दहकते अंगार भर कर एक माँ ने बेटी को मुखाग्नि दे डाली।

ये देख गौरी संघाल ने कहा, ”माँ तेरे हौसले को प्रणाम करती हूँ। फिर चुपचाप वहाँ से निकलने लगीं तो एक औरत बोली कि पुरानी वाली डी.एम ईरा जी होतीं तो वो उस माँ को मुखाग्नि देने नहीं देती। इतना कहकर वो महिला आगे बढ़ गयी। गौरी ने मिश्रा जी से कहा कि क्या मतलब इस बात का ?” मिश्रा जी ने कहा कि डी.एम ईरा सिंघल होती तो मुखाग्नि वो स्वंय देतीं आगे बढ़कर। गौरी बोली,”क्या ?” तो मिश्राजी ने हाँ में सर हिला दिया। उसके बाद गौरी पाँच साल की बच्ची जो अस्पताल में थीं वहाँ पहुँचीं तो देखा वहां डी.एम मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे पूरा मुग़ल रोड़ जाम था।

ट्रक बाईक सब फूँक डाले गए थे लोगों में रोष व्याप्त था चारो ओर बुरा हाल मचा था। पुलिस पानी की भारी बौछार से लोगों को भगा रहीं थीं पर लोग सड़क पर लेटे हुऐ थे जो हटने को तैयार नहीं थे। पुलिस को उन प्रदर्शनकारियों को वहाँ से हटाने में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। किसी तरह गौरी अस्पताल के अंदर बच्ची के रूम में पहुँचीं। बच्ची ने आँख खोलकर गौरी की तरफ देखा और फिर उसकी आँखें हमेशा के लिये बन्द हो गयीं। पास मैं बैठी उसकी माँ बेहोश हो गयी। गौरी ने उस बच्ची को गोद में उठा कर सीने से लगा लिया तभी वो बच्ची जी उठी। गौरी बेहोश पड़ी माँ से बोली कि लो आपकी बच्ची ज़िन्दा है पर वह चुप पड़ी थीं। यह देखकर डॉक्टर ने कहा कि “नो मोर” वे मर चुकी हैं, कमज़ोर दिल की थीं सह ना सकी ये सब। गौरी ने पूछा,”इस बच्ची का पिता कहाँ है तो पास खड़े लोग बोले वो इस दुनिया में नहीं। गौरी ने कहा,”कोई नहीं इसका तो आज से मैं हूँ इस बच्ची की माँ और उस बच्ची को गोद में लेकर वो गाड़ी की तरफ बढ़ गयीं। वहीं खड़ी महिलायें बोली पहले वाली डी.एम होतीं तो वो भी यही करतीं। यह सुनते हुऐ गौरी चुपचाप गाड़ी में बैठ गयी। एक हफ्ते बाद फिर एक कॉल आयी कि “दस हज़ार रूपये भेजो।”

गौरी स्वंय जाकर उस के खाते में रूपये ट्रांसफर कर आयीं। ये देख ड्राईवर जगत से रहा नहीं गया और सवाल कर बैठ और केवल इतना ही कह पाया “मेम”? गौरी ने कहा, ”हाँ, बोलो तभी गौरी का फोन बजा, गौरी ने कहा, ”हाँ, डॉक्टर साहब। उधर से डॉ बंसल बोले कि मैम, पत्रकार बिल्कुल ठीक हैं पर अभी भी थोड़ी मानसिक और शारीरिक कमज़ोरी है। हमको बताया गया है कि आयुर्वेद और योग इनको मज़बूत बना सकता है तो हम इन्हें ‘भण्डारी योगा आयुर्वेदा अरोग्या धाम हिमालया संस्थान के माने हुऐ डॉक्टर, डॉ अशोक धींगरा (आदि), जयपुर ले जा रहें हैं और भगवान ने चाहा तो वो कुछ ही दिनों में अच्छे हो जायेंगें। गौरी बोली, बस वो अच्छे हो जायें। 

दूसरे दिन जब गौरी ऑफिस पहुँचीं तो ऑफिस के बाहर लोगों की भीड़ लगी देखी। हो हल्ला मचा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि तभी गौरी ने कहा, आराम से बताओ बात क्या है ? एक आदमी बोला जिले में देखो कुछ लड़कियों ने डांस बार खोला है रातभर डीजे बजता है गलत काम होता है बच्चे नहीं बिगड़ेगें क्या ? गौरी ने कहा, बार कहाँ खोला है ? वो आदमी बोला,” सरकारी कॉलेज के सामने। गौरी ने कहा, ”जगत गाड़ी निकालो और जगत ने सीधे ही कॉलेज रोड़ पर आकर गाड़ी खड़ी की मैडम और ऑफिस के लोग सब उस डांस बार में पहुंचे तो देखा तेज आवाज़ में गाना बज रहा था “जिस्म की आवाज़ को रोज सुना तुमने मेरे यार, पर मेरे जज़्बातों का तूने रखा क्या खूब ख़्याल।”

वहाँ डी.एम को देख तुरन्त गाना बन्द हुआ तो गौरी ने पूछा किसका आईडिया है ये? कौन है मुखिया सामने आओ ? सामने से एक लड़की जो कि मात्र दो बहुत ही छोटे महीन कपड़े पहने हुये पास ही पड़ी कुर्सी खींच के बोली, ”बैठो मैडम और दूसरी कुर्सी खींच खुद बैठ गयी। फिर बोली बाहर मीडिया है क्या बुलवा लो न यार। तभी मीडिया के लोग भी अंदर आ गये। वहाँ खड़े सभी लोग उसको देख नज़रें नीची किये हुऐ खड़े थे क्योंकि पूरा शरीर खुला था। गौरी कुर्सी पर बैठ गयी और बोली, ”ये सब क्यों ? तभी पुलिस भी वहाँ आ गयी कॉलेज के अध्यापक भी और भारी भीड़ इकठ्ठा हो गयी कॉलेज के लड़के वीडियो बनाने में लगे थे। पुलिस वाला बोला,”चुप क्यों है बोल ? बहुत नंगापन फैला रखा है ! बहुत मस्ती चढ़ी है ! बेशर्म ना जाने किस माँ की गंदी औलाद है ? इतना सुनकर वो आँखों में अंगार भर गुस्से में आकर कुर्सी सर पर उठा कर बोली,” चुप हो जा साले। तू बता तू किस माँ की गन्दी औलाद है जो रात के अंधेरे में मुझे अपनी जन और दिन के उजालों में बदजात कहते हो बोल। गौरी बोली,”तुम शान्ति से अपनी बात कहो। वह बोली,”मैडम क्या बोलूँ, घर से बेदख़ल लड़की की एक ही जगह होत है वो यही है। ससुराल वालों ने गाड़ी की डिमाण्ड की। पूरी नहीं कर पाये तो हमेशा के लिये निकाल दिया गया। जब चली आई तो बदनामी उड़ा ड़ाली गयी कि मैं ही गलत हूँ चरित्रहीन हूँ। जब मैं रात को पुलिस स्टेशन गयीं तो पुलिसवालों ने ज़बरदस्ती करनी चाही मैं वहाँ से भागी।

सुबह सोचा इस कॉलेज में डेली बेसेज पे पढ़ाने लगूँ तो ये प्राचार्य महोदय बोले मस्त माल हो अपनी एक रात मुझे दे दो। ये समाज कमज़ोरों के लिये नहीं है। यहाँ लड़की को देखते ही नोच खाने वाले ये लोग इंसान नहीं बल्कि चील हैं। ससुराल में जाओ तो ससुर और देवर, समाज में रहो तो ये चील। और अब जब यही करना है तो खुलेआम दिन में क्यों न किया जाये। इस कॉलेज में रात बिताने पर जॉब पक्की होती हैं तो दिन में मौज क्यों ना हो फिर। पापी पेट है मैडम जब बदनाम हो ही गये तो अब ‘बदनाम’ ही मेरा नाम है। बजाओ रे गाना। गौरी ने जगत से कहा, गाड़ी से मेरा एक दुपट्टा उठा लाओ। जगत ने तुरन्त सफेद दुपट्टा लाकर दिया। मैडम गौरी ने कहा, ”सुनो बेटी और वो दुपट्टे से उसका तन ढ़क दिया और उसे गले से लगाकर बोली, मेरे साथ रहोगी ? फिर वहाँ खड़ी तमाम लड़कियों से कहा, तुम सब भी जाओ जाकर दुपट्टे डाल के आओ।

वो लड़की बोली, लेकिन मैडम,”वो”….और रो पड़ीं। गौरी ने कहा,”ये सफेद दुपट्टा नहीं हिन्दुस्तान का तिरंगा है याद रखना। इस पर कभी कोई दाग ना लगने पाये और कोई पापी इसे छू भी ना पाये। मैं पढ़ाऊँगीं तुम सबको जिससे तुम सब डी.एम बनके देश की सेवा कर सको, चलो घर। वो लड़की डी.एम गौरी संघाल के गले से लगकर खूब रोयी। यह सब देख वहाँ मौजूद भीड़ घीरे-धीरे से खिसकने लगी तो मैडम बोली,” इस कॉलेज के प्राचार्य और यह पुलिसवाले बाबू जल्द जेल में होगें।

यह सुन सब लड़कियां खुश हो गयीं। फिर उसी कुर्सी पर बैठे-बैठे इंस्पेक्टर सावन को इशारा करते हुये कहा कि इन सभी बेटियों के ससुरालियों को तुरन्त पकड़ो और सुधरने का टॉनिक दो। शाम को घर आकर डी.एम गौरी अपनी छोटी सी बेटी को दुलारने लगी जिसे अस्पताल से लायीं थीं और उन सभी बेटियों को इलाहाबाद सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिये रवाना कर दिया। जब लड़कियां जाते समय रोने लगीं तो समझाते हुये बोलीं कि मेहनत से पढ़ना और किसी बात की चिन्ता ना करना ठीक है।

दो हफ्ते बाद..

शाम को डी.एम अपने घर पहुँचीं तो देखकर दंग रह गयीं सामने डॉ बंसल और पत्रकार बैठे हैं…वो खुशी से बोली,”अरे आप.. ये तो गलतबात है कॉल ना मैसैज। कहीं खुशी से मर ना जाऊँ। डॉ बंसल बोले मैम हम मरने देंगे तब ना। यह बात सुनकर सब लोग हँस पड़े पत्रकार ने कहा ,”धन्यवाद मैम …आगे क्या कहूँ। गौरी बोली, ”कुछ ना कहो चलो चाय हो जाये। बाद मैं गौरी बोली, ”बंसल जी शुक्रिया, तो बंसल बोले,”मैम शुक्रिया अदा करना है तो डॉ अशोक धींगरा जी की करें जिन्हों ने पत्रकार जी से खूब आसन करवायें हैं। उनकी मेहनत का शुक्रिया अदा कर दीजिये आप। ये लो नम्बर मिला दिया है आप बात कर लो। गौरी ने कहा,”डॉ धींगरा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया। हम आपको एक गिफ़्ट पार्सल कर रहें हैं प्लीज़ स्वीकार कर लीजियेगा। वो बोले, नहीं, मैम आपकी खुशी ही मेरा गिफ़्ट है कहकर फोन रख दिया।

सब लोग खाना खाकर अपने घर लौट गये तब रात को गौरी ने पत्रकार जी से कहा, ”सर, अब आप कैसा महसूस कर रहें हैं ?” पत्रकार बोले कि काफी हल्का सा अच्छा फील कर रहा हूँ पर मेरा ये शरीर यादों के बोझ से अधिक और कुछ नहीं। गौरी ने कहा, अपना थोड़ा बोझ हमें दे दो सर और मेरे कुछ सवालों के जवाब दे दो बस प्लीज़.. जो सिर्फ आप ही दे सकते हैं। पत्रकार ने कहा, ”पूछो। गौरी ने पूछा,

आपका पूरा नाम क्या है ? “पत्रकार ,”मेरा नाम भी पत्रकार और काम भी पत्रकार।”

“डी.एम ईरा सिंघल के बारे में जो भी पता हो शुरू से बताओ जब से आप उनको जाने तब से…

पत्रकार ने कहा, ”ईरा सिंघल जी जब से इस भिमारी जिले में आयीं तब से हर छोटे बड़े अधिकारी की नींद छिन चुकी थी। वो रात को काम देखने निकलतीं थीं और रोज़ ही नया बवाल मचता था तो उनका इंटरव्यू लेने के लिये हमें आना पड़ता था। यह बात उस समय की है जब ईरा मैम यहां की डीएम थीं.. एक दिन बड़ी दर्दनाक घटना हुई कि पास के नौली गाँव की दो नवविवाहिता ईरा मैडम के ऑफिस के बाहर रोतीं हुईं आयीं और वहीं दम तोड़ गयीं। ससुरालवालों ने ऐसिड से उनको पूरा नहला रखा था मैडम कुछ कह पातीं की उग्र भीड़ ने बवाल खड़ा कर दिया चारों तरफ भीड़ और मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे। ये सब देख मैडम की आँखों से क्रोध रूपी लावा घधक उठा और वो बोल पड़ी “या तो अब ईरा सिंघल रहेगी या फिर समाज में फैले यह दहेज वायरस।”

आप लोग थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाइये। ईरा जी फिर थाने गयीं तो पता चला दहेज़ लोभी धनवान पढ़े-लिखे लोग हैं। कोई वकील, कोई इंजीनियर कोई डॉक्टर वो बोली कमाल है, धिक्कार है आपकी पढ़ाई-लिखाई पर जो रहम का एक शब्द तक सीख ना सके। उस थाने का इंस्पेक्टर सुल्तान खान जो पट्टा(बेल्ट) बजाने के लिये फेमस था वो दोषी को बाहर पेड़ में बाँधता और विकट मारता पट्टे की आवाज़ दूर तक जाती और हर कोई उसे देखकर काँप जाता था। ईरा ने कहा, ”खान, छोड़ना नहीं इन सबको। और मुझ से बोली, ”पत्रकार जी बनाओ इन सभी के पिटते हुऐ वीडियों और नेट पर वायरल कर दो ताकि फिर कोई दहेज माँगने में हज़ार बार सोचे बस मैं यही सब कवरेज करता था। दूसरे दिन ईरा जी ने खुद के पैसों से पूरे थाने में वीडियो कैमरे लगवाये और चौराहों पर भी एक हफ्ते के अंदर पूरा थाना ऑनलाईन हो गया। यही सब मैंने अपने अखबार में खूब छापा।

फिर, एक दिन एक भाई अपनी बहन की लाश उठाये ऑफिस के बाहर रख के बोला मैडम न्याय करो। जब हमने ऑफिस से बाहर निकल कर देखा तो लोगों की भीड़ और बुरी तरह हल्ला मचा रही थी। मेरी तो रूह काँप गयी उस लड़के की बहन की लाश देखकर जिसके शरीर के दो लोहे के बेलचे किसी ने आर पार कर दिये थे, बेलचे निकल चुके थे पूरी लाश खून से लथपथ थी। वहीं दो खून में सने मोटे बेलचे वह भाई पकड़े खड़ा था। उसी भीड़ में एक बुजुर्ग ने कहा ससुराली लोग इस बच्ची के साथ रोज दुष्कर्म करते थे। इसके ससुराली लोगों से बचकर जब कल रात ये भाग निकली तो रास्ते में मुझे जाता देख बोली बाबा बचा लो और वही पूरी बात बता भी नही पायी थी कि पीछे से एक गाड़ी आई जिस से कुछ लोग उतरे और बीच सड़क पर सबने गलत काम किया मुझे भी बहुत पीटा बाद में मैंने देखा कि दो बेलचे इस बच्ची के शरीर के आर-पार कर दिये। ये क्रूरता देख मैं बेहोश हो गया। सुबह होश आया तो देखा इस बच्ची की लाश पड़ी हैं तो याद आया उसने अपने भाई और पास के गाँव का नाम बताया था। मैंने उसके भाई को जैसे बताया उसने तुरन्त अपनी बहन के शरीर से बेलचे निकाले और दौड़ता ही चला गया और सीधे बहन की ससुराल पहुँच कर ससुर और जीजा के शरीर में ये बेलचे आर -पार कर दिये। यह देख ननद और सास चिल्लायीं तो उन्हीं बेलचों से उन दोनों को उस समय तक मारा जब तक दोनों बेहोश न हो गयीं। ये देख लड़की का देवर बहुत दूर कहीं भाग निकला। 

उन्हें मारने पीटने के बाद यह लड़का अपनी बहन की लाश के पास आया और खूब रोया।और अब आपके पास आया है।

इरा मैडम यह सब सुन कर रों पड़ीं और बोली,”पोस्टमार्टम के लिये भेजो। रिपोर्ट आने दो कागज़ हाथ में आने दो….चिंता ना करो भाई तुमने जो किया एकदम सही किया है मेरा वादा है तुम्हारी बहन को न्याय मिलेगा और तुमको भी सज़ा मैं नहीं होने दूँगीं, हालांकि क़ानून को हाथ मे लेना जुर्म है…..।


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