Blogger Akanksha Saxena

Tragedy Drama

5.0  

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Tragedy Drama

कहानी उस तश्वीर की...

कहानी उस तश्वीर की...

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कहानी शुरू होती है वही हर घर की रोज की कहानी से कि अच्छा लड़का नहीं मिल रहा... दलील लड़की पर थोप दी जाती हैं कि देखो! पेपर में सबको गोरी, स्लिम, लम्बी लड़की चाहिए। काश! तुम ऐसी होती तो जल्दी अच्छा लड़क मिल जाता। 

लड़की - आप मुझे जहर दे दो पर मेरी शादी में जल्दबादी मत करो.. मैने पॉलीटेक्निक किया है, मेरी जॉब लग सकती है।

भाई - अब तुझे कैसे समझाऊँ माँ जिंदा होती तो तुझे समझाती।

बहन- माँ होती तो जल्दबाजी नहीं करती।

भाई - शादी हो जाये तो समाज का मुँह बंद कर दूं, सामने वालीं चाची रोज कहतीं हैं बिन माँ की बेटी है,सही उम्र में शादी कर के फ्री हो जाओ।

लड़की- तो मैं फ्री वस्तु हूँ..

भाई- मेरी माँ चल खाना परोस लाओ बहुत भूख लगी है.. यह सुनकर दोनों हँस पड़े।

लड़की ने कहा आप खालो.. मुझे भूख नहीं।

पास बैठे पिता ने कहा सब साथ खायेगें चुपचाप साथ खाना खाओ।

एक दिन किसी रिश्तेदार ने एक परिवार बताया कि ये लोग डॉक्टर हैं.. ननन शादीशुदा डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर हैं। पढ़ा लिखा परिवार है, चार लाख में राजी हैं।

लड़की ने सुना तो कहा पापा खोजबीन कर लो.. जल्दबाजी मत करना।

पापा - तू चुप रह..बिना दहेज कहीं शादी होती है.. यह सब आमबात है।

कुछ दिनों बात लड़के वाले लड़की को देखने आये तो बोले लड़की की हाईट बहुत कम है और उसे सब लोग इंचीटेप लगाकर नापने लगे.. फिर बोले बिन माँ की लड़की है दया खाकर बहू बना रहे हैं.. तो आपके कितने प्लॉट हैं?

लड़की के पिता ने कहा जो पैसा था बेटी रानू की माँ के इलाज में लग गया फिर भी बचा नहीं सके.. अब अपनी फिक्स तुड़वाकर यह शादी होगी... हाँ एक छोटा सा प्लॉट है मेरे बेटे की दुकान बनवाने की सोच रहा हूँ.. बस किराये का घर है.. कुछ नहीं हमारे पास।

लड़के वालों ने कहा, कोई बात नहीं आजकल प्लॉट होना कोई कम बड़ी बात नहीं। लड़के को लड़की से अकेले में मिल लेने दो...

जब लड़का जो प्राईवेट डाक्टर था लड़की रानू से मिलने उसके कमरे में गया तो उसे पकड़ कर गंदी हरकतें करने लगा और बोला मेरी जान अब तो ये रोज होगा, आदत डाल लो.. मना किया तो मेरे दोस्तों के साथ भी सोना पड़ेगा समझी।

रानू ने उसे जबरदस्त चांटा उसके गाल पर मार दिया और कहा तुझ जैसे नीच इंसान से शादी से अच्छा मैं फांसी लगा लूं... यह सुनकर वह हँसते हुए बोला तेरी हाईट चार फुट है पंखे तक पहुंचेगी कैसै?

रानू कमरे मैं बैठी रोती है कि....

जब उसका भाई पूछता है कि लड़का कैसा लगा? तो वह पूरी कहानी सुना देती है... तभी उसका भाई फोन करके पूछता तो वह कहता है अरे! मैं मजाक कर रहा था... तुम्हारी बहन से.. चलो मैं सॉरी बोलता हूं... चेक कर रहा था लड़की किस करेक्टर ही है.. मैं सिर्फ़ आपकी बहन से ही शादी करूंगा। रानू का भाई कहता है पगली.. वह चेक कर रहा था... देख परिवार हँसमुख है...तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी।

वह अपने पिता से कहती है मेरा मन नहीं है...

पिता कहते हैं उनका फोन आया था वह सिर्फ़ तुझी से ही शादी करेगा... तू शरीफ है इसलिये और उन्होंने सारा सामान ले लिया है जिसमें पचास हजार भी कम कर दिए हैं, कौन करता है ऐसा? 

रानू - सारा सामान मतलब

पिता- दस किलो हर तरह की दालें.. पचास किलो आटा, दस किलो चावल, टीवी,कूलर, सोफा, मोटरसाइकिल, दीवान बैड, घड़ी, चेन, अंगूठी, आदि सभी सामान... 

रानू गुस्से से बोली- जब जिंदगीभर का सारा सामान हम से ही लेगें तो सूखी लकड़ियाँ, माचिस, पेट्रोल, कुछ कफ़न भी मांग लेते, वो भी पैसा बच जाता, भविष्य में.... 

यह सुनकर पिताजी बोले.. ऐसी बातें करने के लिए तुझे पढ़ाया लिखाया, माँ के संस्कार मत भूलो.. वरना तेरी ससुराल वाले तुझे नहीं तेरी मरी माँ को कोसेगें? 

यह सब सुनकर रानू अपना माथा पीट लेती है कि कैसे समझाऊँ...

रोते-रोते रानू की विदाई हो जाती है... दावत खाने वाले अपने घरों को जा चुके हैं.. मोहल्ले वाले शांत हो चुके हैं... रानू के पिता और भाई चुपचाप मिलकर खाना बना रहे हैं.... 

इधर रानू के ससुराल में रानू के पति ने हैवानियत की सारी हदें तोड़ दीं हैं... रानू को जब वह मारता तो रानू ने पूछा जब मैं इतनी ही बुरी थी तो क्यों की शादी? तो वह लड़का बोला सिर्फ़ तेरे एक थप्पड़ का सारी जिंदगी बदला लेने के कारण, तेरी इतनी हिम्मत तू मुझे मारे.... इसलिये तेरे बाप का पचास हजार माफ किया था.. फिर उसने रानू का मुँह दबाते हुए कहा कि अब तू देख उन पचास हजार का कितना गुना वापस लेता हूँ तेरे बाप से.... यह सुनकर रानू कांप गयी और फूटफूट कर रोने लगी कि कितना मना किया था कि जल्दबाजी ना करो.. मेरी हाईट को सामने करके मुझे नर्क में धकेल दिया.... पता नहीं अब खुद भी क्या क्या नहीं सहेगें? 


इधर रानू दिन भर घर में काम करती और सास और प्रोफेसर ननद जो हमेशा मायके में ही रहती है वह दोनों मिलकर दिनरात रानू को ताने देतीं हैं कि हमने अपना लिया वरना तुझ जैसी नाटी लड़की को कौन अपनाता? और जो लड़की किराये के एक कमरे में रहती रही हो वो क्या जाने चार कमरों वाले घर की साफ सफाई कैसे की जाती है? तेरी माँ तुझे बिना कुछ सिखाये ही मर गयी? या तेरी माँ भी तेरी तरह फूअड़ और गंवार गंठी थी.... 


यह सब ताने सुनकर रानू हर पल मरती थी.... 

एक दिन रानू चोरी से अपने भाई को फोन करतीं है तो वह अपने किसी काम में बिजी होने के कारण वह फोन पिताजी को पकड़ा देता है? तो वह पिताजी को बताती है, पापा यह लोग ऐसा - ऐसा सुनाते हैं... 

सब बात सुनकर पिताजी कहते हैं कि इसी का नाम ससुराल है..? ये सब ताने हर लड़की को सुनने ही पड़ते हैं..? निभा कर चुपचाप रहो.. थोड़ा सह लो..किसी को जवाब मत देना.. ससुराल को स्वर्ग बना डालो और सालभर में वह सब लोग तुझे समझ लेगें, तू उन्हें समझ लेगी, सब ठीक हो जाएगा। तू बार - बार फोन करके ससुराल की बुराई मायके में मत कर, क्या यही संस्कार दिये हैं तुझे तेरी मरी माँ ने, हम सबने। 

रानू बाथरूम में नहाने के बहाने जीभर के रोती है कि संस्कारों की दुहाई देकर मुझ जैसी हर लड़की को नर्क को स्वर्ग बनाने की असम्भव कोशिश करने को क्यों कहा जाता है? 

रानू नहाकर बाहर निकली तो वह चौंक गयी कि उसके कलयुगी ससुर और देवर बाथरूम के दरबाजे पर ही खड़े थे। जैसे वह कपड़े समैट कर बाहर दौड़ी कि ससुर ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा बाथरूम में रो कर मेरे घर को बददुआ दे रही थी जा छोटे इसे सबक तो सिखा दे, घर के नियम समझा दे। 

इसके बाद तो रानू के देवर ने रानू को लातों घूसों से मारना शुरू किया तो उसकी ननद और सास ने भी दो चार लातें उसको मारने में कसर नहीं छोड़ी। फिर सास ननद और देवर तीनों मिलकर नयी योजना बनाने हेतु घर से बाहर रेस्टोरेंट चले गए। घर में ससुर ने रानू को अकेला रोते देख बजाये उसे समझाने के उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म कर डाला और कहा अगर यह बात किसी को बतायी तो मैं डॉक्टर हूँ जहर का इंजेक्शन देकर तुझे मार डालूंगा। यह सुनकर रानू गुस्से से बोली तो आज अभी इसी वक्त दे दो जहर.... मैं भी जीना नहीं चाहती। यह सुनकर ससुर ने उसका मुंह दबाना चाहा तो रानू ने एक जोरदार धक्का ससुर को दिया जिससे ससुर दूर जा गिरे। फिर गुस्से में आग बबूला ससुर ने रानू के पिता को फोन लगाया और कहा, सुन कोलकाता वाले तेरी बेटी पागल हो गई है, वह सबको घर का सामान उठा उठा कर मार रही है.. ये तलाक होगा अब सोच लो तुम। रानू के पिता ने कहा कि ऐसा ना करो.. मैं जीते जी मर जाऊँगा... आप ऐसा मत करो। तो रानू के ससुर ने कहा, हमें आज शाम तक कार चाहिए तुम चाहे खुद बिको.. वरना लड़की को घर से निकाल देगें। 

रानू के पिताजी ने भावुकता में आकर समाज और नाक के कारण अपना इकलौता प्लॉट पास में रहने वाले एक बिल्डिर को कम कीमत पर बेंच दिया.. और उससे पांच लाख रूपये में कार खरीदवा कर रानू के भाई द्वारा ससुराल भिजवा दी गई और रानू के भाई ने जब मिठाई का डिब्बा उसकी सास के हाथ में रखा तो वह मुँह बनाकर बोलीं, इतनी कम मिठाई लाया करो तो काली पॉलीथिन में छिपाकर दिया करो.. हमारे यहां पांच किलो से कम मिठाई लाना अशगुन माना जाता है। यह सुनकर रानू के भाई को बहुत बेइज्जती का अनुभव हुआ मगर इस बार रानू के भाई ने ससुराल में रानू का सूजा हुआ मुँह देखा तो उसका खून खौल गया.. वह उसके ससुर से बोला, रानू दी को क्या हुआ? तो पास बैठी सास, ननद दोनों बोलीं कि इसको पागलपन के दौरे पड़ते हैं.. खुद दीवार में अपना सिर फोड़ लेती है.. हम लोग डॉक्टर हैं... कल इसकी रिपोर्ट तुम्हें दिखा देगें... भाई ने कहा मुझे रानू दी से अकेले में बात करनी है... तभी रानू चक्कर खाकर वही बेहोश हो जाती है और वह लोग कहते हैं बेटा तुम घर जाओ... हमारी बहू हैं, हम दिल्ली जाकर अच्छा इलाज करायेगें? उसका भाई कहता है आखिर! बात क्या है? तो उसकी ननद कहती है मेरे परिवार में सब बहुयें लम्बी और खूबसूरत हैं.. इससे इसे ईर्ष्या होती है... ये किसी से बात नहीं करती... ऊपर से गर्भवती है, ऐसे में चिड़चिड़ापन आमबात है। रानू के भाई ने कुछ पूछना चाहा तो उसके देवर ने दो टूटे मोबाइल दिखाकर कहा कि देखो गुस्से में दो मोबाइल तक तोड़ डाले हैं... कैसे बात करवायें आप सब से.. तभी ससुर बोले, मेरी बच्ची जैसी है, हम सुधार लेगें.. अब कार आ गयी है, वह भी कार से घूमेगी तो उसको परिवार की बाकी बहुओं जैसा ही अच्छा बराबरी का अनुभव होगा। यह सब उल्लू का पहाड़ा पढ़ाकर रानू के भाई को विदा कर दिया जाता है। 

और रात भर रानू के पिता और भाई आपस में बातें कर रहे होते हैं कि रानू गलत घर में फंस गयी। मगर अब घर में एक पैसा नहीं बचा जिससे थाना अदालत किया जाये। तभी अचानक कुछ नकाबपोश लोग घर में घुसते हैं और रानू के पिता और भाई को बुरी तरह पीटने लग जाते हैं... जब वह पूछते हैं तो वह कहते हैं अगर तुमने डॉक्टर परिवार के खिलाफ़ पुलिस तक जाने की कोशिश भी की तो जान से मार देगें, कहकर वापस चले जाते हैं। रानू पिता और भाई को यकीन हो जाता है कि उनकी बहन नर्क में धकेली गयी है... वो भी उन्हीं के कारण.... और वह दोनों कराहते हुए बहुत रोते हैं.... पर यह सब हल्ला सुनकर कोई भी पडोसी उनके पास आकर ये नहीं पूछता कि क्या हुआ? रानू के पिताजी कहते हैं बेटा सामने वाली चाची के घर से आमाहल्दी चोट सब्जी दवा ले आओ उससे यह सूजन जल्द दूर हो जायेगी और चोट में आराम मिलेगा... तो रानू का भाई पड़ोसी चाची का दरबाजा खटखटाता है... कई लोगों को फोन करता है... पर कोई बाहर नहीं निकलता। यह रूखड़ता.. देखकर पिता पुत्र दोनों एक दूसरे को घर में रखा सरसों का तेल लगाते हैं... और कहते हैं... हम हमारे कोलकाता लौट जायेगें... यहां के लोग पड़ोसी तक की मदद को नहीं जागते... 

तभी सुबह 6 बजे रानू का मैसेज आता है... पापा मुझे बचा ले जाओ... वरना जहर दे जाओ... 

यह देखकर रानू का भाई कॉल करता है और कहता है... मैं लेने आ रहा हूँ... तभी कॉल कट जाती है... 

जब रानू के पिता और भाई दोनों लगड़ाते हुए रानू की ससुराल पहुंचते हैं तो घर के बाहर भीड़ देखकर उनका मन घबरा जाता है.. और वह अंदर जाकर देखते हैं तो चौंक जाते हैं कि आंगन में रानू की लाश पड़ी है जिसे उसकी साल ननद अन्य औरतें मिलकर खुशी - खुशी यह कहते हुए सजा रहीं हैं कि अरे! सुहागन मरना बहुत बड़ी बात होती है... वो भी इन नवरात्रि में सुहागन मरना... मैं तो मेरी बहू के नाम का अपने खेत में थान यानि छोटा मंदिर बनवाऊंगी.. सती मंदिर.... आसपास बैठी औरतें कह रहीं थीं कि तुम जैसी सास ननद बड़े नसीब से मिलती हैं... अब मौत को भला कौन टाल सकता है... सिर दर्द किया और मौत हो गई... ना कोई तखलीफ ना कोई बड़ा रोग... ऐसी अच्छी मौत तो भगवान सब को दे... यह सब बातें सुनकर रानू के पिता और भाई वहीं उसकी लाश के पास यह सोचते हुए गिर पड़े कि समाज की महिलाओं को यह दुख नहीं कि उनके बीच से एक महिला मर गयी हाँ सुहागन मरी इसका जश्न सा मन रहा... और उनकी जेब से गिरे मोबाइल को तुरंत रानू के पति ने उठाकर अपनी जेब में डाल लिया और रानू के पिता को वहां से उठाकर कमरे में ले जाकर कहा... ये दो कोलकाता के टिकट हैं... चुपचाप चले जाओ.... वरना आज बेटी की लाश देखी है... कल बेटे की लाश पर रो रहे होगे.... समझ रहे हो ना... बिना कुछ बोले चुपचाप कोलकाता निकल लो। 

फिर बेहोश पड़े भाई को और रानू के पिताजी को कोलकाता ट्रेन में बिठा दिया गया..... जब रानू के पिता यह कहानी अपने ट्रेन में मिले पुराने मित्र जो उस ट्रेन का टीटी था को बता रहे थे तो टीटी ने उन दोनों का टिकट दिया और उन दोनों की बातें सुनकर अचानक रानू के भाई की चेतना लौटी तो किसी ने सपने में आकर कहा.... मैं तो लाश हूं पर तुम भी मुर्दा हो.... 

 यह सुन वह जाग उठा और रानू की तस्वीर उसके सामने ताजा हो गई वह बोला पापा मुझे रानू दी का बदला लेना है... वापस चलो। तो पिताजी ने कहा.. अभी हमारे दोनों हाथ खाली हैं ना पैसा है और ना ही पॉवर... चलो अभी। 

रानू का भाई - क्या कह रहे हो पिताजी 

रानू के पिता - अगर सिर्फ़ अपनी ही बहन को बचाना है तो बताओ.. या देश की हर बहन को बचाना है? मेरा मतलब यह है कि मुझे बचपन से नेता मंत्री बनने का शौक था और तुझे पुलिस ऑफिसर.. तो चलो पहले मेहनत करते हैं.. अपने सपने पूरा करते हैं.. पैसा पॉवर हाथ आकर हर बहन बेटी के सपने पूरा करेगें.. उनतक पहुंचने वाले हाथों को वहीं उखाड़ देगें.... चलो चलकर पैसा कमाना है.. क्योंकि कड़वा सच है कि बिना पैसे के हम कोई लड़ाई मजबूती से नहीं लड़ सकते... ये केस ऑपिन होगा.. और यह सच सच भौंकेगें भी कि कैसे मारा? अभी चलो..... बेटा.. सिर्फ़ जज्बातों से लड़ाई नहीं जीती जा सकती.. 

वापस लौटने के लिए हमें कोलकाता जाना ही होगा..... और जब लौटेगें तो केवल रानू को ही नहीं रानू जैसी हर बहन बेटी को इसांफ दिलाने के लिए लौटेगें? साथ ही बेटियों के साथ गलत करने वालों उन दरिंदो को ऐसी भयानक मौत देगें जिसे देख और सुनकर उन सब दहेज़लोभियों की रूह कांप उठेगी... और फिर अगर ये शासन, प्रशासन और यह मतलबी समाज अगर हमें गुंडा-मवाली की गाली भी देगा.. तो वह मेरे ताली का काम करेगी, कम से कम मुर्दों की तरह जीने से तो बेहतर है...शायद दहेज़ पर सरकार और हर बेटी का परिवार जाग जाये कि अपनी बेटी की प्राकृतिक कमी(लम्बाई, रंग, वजन)आदि पर हम उसे जीते जी नर्क में धकेल कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं... तो हमारा गुंडा बनना सार्थक... क्योंकि अब किसी को तो इन दहेज़लोभियों गुंडों के लिए गुंडा बनना ही पड़ेगा..




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