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Blogger Akanksha Saxena

Tragedy

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नौकरानी की साड़ी

नौकरानी की साड़ी

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शादियों का मौसम है इस बीच घर में काम करने वाली गरीब नौकरानी की बेटी की शादी के कार्ड को देखते हुए घर की अमीर मालकिन ने अपनी बेटी से कहा, 'बाजार से कोई 100-150रूपये की सस्ती साड़ी' ले आना। 

बेटी, ''क्यों ?'

मालकिन,' अरे ! नौकरानी की लड़की की शादी है डियर...!

सालभर बाद मालकिन की बेटी की शादी की भागदौड़ देखते हुये खुशी से उस गरीब नौकरानी ने अपनी छोटी बेटी से कहा, ''बिटिया बाजार से सुंदर मंहगी 800-1000 रू.की अच्छी साड़ी खरीद लाओ। 

नौकरानी की बेटी ने कहा, ''इतनी मंहगी.. क्यों ? किसके लिये ? 

नौकरानी ने कहा, ''अपनी मालकिन की बेटी की शादी है।'' 

नौकरानी की बेटी ने कहा, ''माँ, मालकिन ने तो कार्ड तक नहीं दिया... बस मुँह से कहा है कि शादी का काम - काज देख लेना.. 

नौकरानी ने कहा, ''तो क्या हुआ, तेरी बड़ी बहन की शादी में उन्होंने बेटी मान कर साड़ी दी थी न.. अब हमारा भी तो कोई फर्ज है...

नौकरानी और उसकी बेटी का यह वार्तालाप सुनकर पर्दे के पीछे खड़ी मालकिन की बेटी की आँख भर आयी और वह मन ही मन सोचने लगी, ''सच पूछो स्तर तो इनका है... स्तरहीन मानसिकता के तो हम लोग हैं।


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