आज की बात
आज की बात
बहुत दुःख होता है जब आज यह सुनते हैं कि हैदराबाद की एक डॉक्टर लड़की के साथ कुछ लोगों ने घिनौना कुकर्म किया। यह तब हुआ जब लगभग सात साल पहले निर्भया हादसे के समय घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। प्रशासन नेता समाज न्याय विदों ने आश्वस्त किया था कि इस प्रकार का हादसा सम्भवतः पुनः नहीं होगा, प्रधानमंत्री ने भी संसद में फाँसी का प्रावधान करवा कर एक कड़ा संदेश दिया गया था। मगर लगता है सारे प्रयास विफल रहे हैं क्यों ? बहुत कुछ छूट गया या रह गया जिसे हम समझ नहीं पाये कानून कड़ा हो गया, पालन भी हो रहा है परंतु हमारी सोच पर कोई असर नहीं हो रहा है क्यों ?
मैं जो समझ पाया हूँ उक्त दोनों घटनाओं में एक समानता है प्रथम घटना में अपराधी बस में थे तथा दूसरी घटना में अपराधी ट्रक में थे अर्थात दोनों ही घटना में अपराधी एक जैसे परिवेश से आते हैं इस प्रकार के परिवेश तक आपका कानून न पहुँचता है ना ही सुनाई देता है, वहाँ पुलिस बहुत दूर होती है। कानून भी बहुत दूर होता है और शिक्षा तो भगवान भरोसे होती है। आपके जितने भी कानून व पुलिस है उनकी पहुंच व पकड़ सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक ही है बाहरी क्षेत्रों में कोई कानून व्यवस्था लागू नहीं होती चाहे वो गडकरी जी के नियम हो या मोदी जी के हों। इस प्रकार के परिवेश से निकल कर व्यक्ति जब शहरी क्षेत्रों की चमक दमक में प्रवेश करता है तो उसे मतिभ्रम होता है इसकी अति इस प्रकार की घटनाओं को जन्म देती है। परंतु इस का समाधान स्वयं समाज एवं प्रशासन को एक होकर निकालना होगा।