लिलिपुट के बौने
लिलिपुट के बौने
बात उस समय कि है कि जब गुलिवर, लिलिपुट नाम के एक द्वीप पर पहुंच गया था. वहां 15 सेंटीमीटर लंबाई वाले बौने लोगों ने उसे बंदी बना लिया था।
अब से क़रीब डेढ़ सौ साल पहले ईरान के ईरान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा से क़रीब 75 किलोमीटर दूर एक गांव 'माखुनिक' जो कि हैमें बौने लोग रहते थे। कहा जाता है कि मौजूदा वक़्त में ईरान के लोगों की जितनी औसत लंबाई है, उससे क़रीब 50 सेंटीमीटर कम लंबाई के लोग इस गांव में रहते थे.गुलिवर उसकी पत्नी व बेटा जॉनी व बेटी परिवार के सदस्य थे।गुलिवर को समुद्र की यात्राएं बहुत पसंद थी। उनके पिता ने जो धनराशि भेजी थी,वो खर्च कर दी जो उन्हें समुद्री चार्ट और विदेशी देशों की पुस्तको पर भेजे थे। उन्होंने भूगोल व गणित का बहुत अध्ययन किया क्योंकि इन विज्ञानों में नाविक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
जैसा पहले बताया था कि एक बार गुलिवर समुद्र की यात्रा भटक कर वो लिलिपुट द्वीप पर पहुंच गया। बौने लोगो
ं के इस देश में उनकी युवरानी को एक राक्षस उठा कर ले गया और बंदी बना लिया ।गुलिवर ने उनकी उस राक्षस से युवरानी को छुटकारा दिलाने का भरोसा दिया। गुलिवर ने समुद्र पार कर बंदी युवरानी से भेंट की पूरी बात बताई।तभी राक्षस आ गया उसने गुलिवर पर तलवार फेंक कर प्रहार किया।गुलिवर ने अपने आपको बचाया और जबाव में एक पत्थर फेंका जो राक्षस के सिर पर लगा।पत्थर के लगते ही राक्षस ने एक देवी के रूप में धारण कर लिया ।देवी बोली आज मैं एक अभिशाप से मुक्त हुई हूँ।मैं यह जल से दे रही हूं आप लिलिपुट के बौने लोगों पर छिड़क देना और चमत्कार देखना।यह कह कर देवी अदृश्य हो गई।
युवरानी को लेकर गुलिवर बौना प्रदेश पहुंचा, सभी बौने युवरानी को देखकर प्रसन्न हुए।तभी गुलिवर ने मंत्रित जल सभी बौनों पर छिड़का तो चमत्कार हुआ वे सभी सामान्य कद काठी के लोग में बदल गए।गुलिवर व युवरानी से शादी कर ली। और पूरे द्वीप के लोग खुशी खुशी रहने लगे क्योंकि वो सभी अपने बौनेपन से निजात पा चुके थे।
यह कहानी साहस ,धैर्य,बुद्धिमत्ता का जीवन में संदेश देती है।