Dr Lalit Upadhyaya

Action Inspirational Children

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आचार्य चाणक्य के गुरुमंत्र

आचार्य चाणक्य के गुरुमंत्र

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रवि के ज्ञान महाविद्यालय में पिछले साल मनाया गया वार्षिकोत्सव का दिन, आज भी याद आ रहा है, जैसे कल की बात हो। मंच सजा उन हुआ था ,प्रतिभाशाली छात्रों को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया जाना था, जिन्होंने वर्ष भर अपनी प्रतिभा का कॉलेज में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। उस दिन कुछ इस तरह का था मंजर। मंच के सामने दर्शक दीर्घा में विद्यार्थी व प्राध्यापक मुख्य अतिथि के आगमन की प्रतीक्षा में थे। तभी संचालक ने उद्घोषणा की कि हमारे आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिले के जिलाधिकारी (डी एम) आ चुके है। गड़गड़ाती तालियों के बीच मुख्य अतिथि डी एम साहब का मंच पर जोरदार स्वागत किया गया । डी एम साहब ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का विधिवत श्रीगणेश किया। सरस्वती वंदना की मनमोहक छात्राओं द्वारा प्रस्तुति दी गई। अब बारी थी प्राचार्य के संबोधन की, उन्होंने ज्ञान महाविद्यालय के बढ़ते कदमों का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद छात्राओं द्वारा समूह नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। संचालक ने उन छात्रों को मंच पर आमंत्रित किया जिन्होंने गत वर्ष परीक्षा में सर्वाधिक अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। मुख्य अतिथि डी एम साहब ने सभी टॉपर्स को ट्रॉफी व प्रशस्ति -पत्र देकर सम्मनित किया। अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे रवि का जैसे ही नाम पुकारा गया। रवि खुशी से उछल पड़ा। डी एम सर के हाथों सम्मानित होने का यह पहला अवसर था। रवि की आंखों से खुशी के आंसुओं की लड़ी लग गयी। डी एम सर ने पीठ थपथपा कर रवि का हौसला बढ़ाया। कार्यक्रम अपने अगले चरण में पहुंचा, नुक्कड़ नाटक में सफलता की कहानी का मंचन किया गया। अब मुख्य अतिथि डी एम साहब को सम्मान के साथ उनके संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया। डी एम साहब ने मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने पर वार्षिकोत्सव आयोजन के लिए आयोजकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं को सम्मानित होने पर बधाई दी। डी एम साहब-प्यारे छात्रों आज खुशी का दिन है आपके लिए यादगार भी है। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों को भी याद किया। छात्र जीवन में परीक्षाओं का कई बार आमना सामना होता है। परीक्षा में सफलता के लिए छात्रों को आचार्य चाणक्य नीति के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमत्ता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ,चतुर कूटनीतिज्ञ व प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्यात हुए। आचार्य चाणक्य के छात्रों को सफलता के गुरु मंत्र दिए उन्हें आप सभी विद्यार्थियों को अपनाने की जरूरत है। डी एम साहब ने कहा कि "आचार्य चाणक्य कहते थे कि पढ़ाई के दौरान कुछ बातों को ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. चाणक्य ने 7 ऐसी बातें बताई हैं जिनसे छात्रों का दूर रहना ही बेहतर है::-   

1. पढ़ाई पर ध्यान दें:-छात्रों को नसीहत दी कि वे जब भी पढ़ाई करें, पूरे मन लगाकर पढ़ाई करें।                      

2. क्रोध से बचें:-आचार्य चाणक्य कहते थे कि गुस्सा तो हर इंसान के लिए सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्रोध के वश में आते ही व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। क्रोध से छात्रों को हमेशा बचना चाहिए।।  

3. लालच बुरी बला है:-लालच अध्ययन के मार्ग में बड़ा बाधक माना जाता है। कहा भी गया कि लालच बुरी बला है. छात्रों को किसी भी बात के लिए लालच नहीं करना चाहिए।

4. स्वाद संतुलित रखें:-छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है। छात्र को स्वादिष्ट भोजन का प्रयास छोड़ देना चाहिए और संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए।                        

5. सादा जीवन, उच्च विचार:-छात्र जीवन में हमेशा साधारण जीवन शैली को अपनाना सबसे उत्तम मार्ग होता है। आवश्यकता से अधिक साज-सज्जा, श्रृंगार करने वाले छात्रों का मन अध्ययन से भटकता जाता है।।  

 6. अधिक मनोरंजन नुकसानदायक:-आचार्य चाणक्य का मानना है कि छात्रों के लिए आवश्यकता से अधिक मनोरंजन नुकसानदायक हो सकता है।जितना संभव हो उतना ही मनोरंजन करें।          

7.पर्याप्त नींद भी जरूरी:-स्वस्थ शरीर के लिए नींद पर्याप्त होना जरूरी है। इससे मन शांत और अध्ययन में मन लगा रहता है. अधिक नींद लेने वाले विद्यार्थियों को समय अभाव और आलस्य जैसी कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्यारे विद्यार्थियों, आज के दिन आचार्य चाणक्य के दिए गए इन गुरुमंत्रों को अपनाकर परीक्षा में सफलता का परचम लहरा सकते है। रवि, मुख्य अतिथि डी एम साहब के द्वारा संबोधन में आचार्य चाणक्य के गुरुमंत्रों को अपनाने का मन बना चुका था। वार्षिकोत्सव के समापन के बाद जाते जाते डी एम साहब की गाड़ी के पास रवि पहुंच कर बोला -सर, मैं भी एक दिन आई ए एस अफसर बनूँ, मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए। डी एम साहब ने पीठ थपथपा कर रवि से कहा बेटा, जब भी जीवन में कभी निराशा के भाव आएं आचार्य चाणक्य के गुरुमंत्रों को याद कर अपनाते रहना, सफलता तुम्हें जरूर मिलेगी।


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