हॉकी के जादूगर ध्यानचंद
हॉकी के जादूगर ध्यानचंद
हॉकी खेलने की चाहत दिव्यांश को खेल के मैदान तक ले गई।गुरु अजय सिंह से हॉकी की शुरुआती ककहरा सीखते हुए अभी डेढ़ साल ही हुआ था कि एक दिन अचानक उनके निधन की सूचना ने दिव्यांश जैसे हॉकी खिलाड़ियों को मासूस कर दिया।अजय सर की कमी आज भी खिलाड़ियों को खल रही थी।इसी दौर में हॉकी के खिलाड़ी रहे हर्ष ने गुरु के सपनों को साकार करने के लिए बीड़ा उठाया।उन्होंने सभी नवांकुर हॉकी खिलाड़ियों को एकजुट कर सिखाना शुरू किया।
खेल दिवस पर हॉकी के जादूगर पद्म भूषण ध्यानचंद को समर्पित एक प्रदर्शन हॉकी मैच खेला गया।जीत दिव्यांश की टीम की रही मैच 5-2 से जीत लिया।मैच के बाद सभी खिलाड़ियों को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने खिलाड़ियों को हॉकी के जादूगर की कहानी सुना कर प्रेरित किया।मुख्य अतिथि ने कहा-1979 भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में उनकी गिनती होती थी। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे । उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है। आज हम यह मना रहे है। मउन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है।
मुख्य अतिथि ने आगे कहा-29 अगस्त 1905 को उनका जन्म, प्रयागराज में हुआ।जब वे हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद इस तरह उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे वे किसी जादू की स्टिक से हॉकी खेल रहे हों।हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गयी।आज तक हॉकी के कीर्तिमान को ध्यानचंद के बराबर कोई खिलाड़ी नहीं छू पाया है।उन्हें राष्ट्रीय खेल सम्मान भी मिले। उनका निधन
3 दिसंबर 1979, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,नई दिल्ली, में हुआ।उनके पुत्र अशोक कुमार ने भी देश के लिए हॉकी खेले है।मुख्य अतिथि ने कहा ध्यानचंद के योगदान को देखते हुए उन्हें 'भारत रत्न'दिए जाने की मांग होती रही है।आप जैसे युवा हॉकी खिलाड़ियों को ध्यानचंद की तरह नियमिय अभ्यास,लगन सतत साधना,संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा लेकर खेल सीखना चाहिए ताकि आप सभी देश का नाम हॉकी में रोशन कर सकें।दिव्यांश के साथी खिलाड़ी जादूगर ध्यानचंद की जीवनी से बहुत प्रभावित होकर आज हॉकी का नियमित अभ्यास कर बारीकियां सीख रहे है।