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Radha Gupta Patwari

Abstract

3.5  

Radha Gupta Patwari

Abstract

जज्बात

जज्बात

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प्रिय डायरी,

जज्बात,, जिसे शुद्ध हिन्दी में हम भावनाएँ कहते हैं।प्रत्येक मनुष्य में भावनायें होती हैं जिन्हें वह किसी न किसी रूप में व्यक्त करता है।भावनाऐं अमूर्त होतीं हैं जिन्हें देखा नहीं जा.सकता न ही मापा जा सकता है।यह एक मानसिक अवस्था है।

यह भावनाऐं जन्म से मृत्यु तक अपनी भावनाएं व्यक्त करता है।एक नवजात शिशु रोकर अपनी भूख के बारे मेंं बताता है।इसी तरह हम खुशी का इजहार हँस कर करते है।हम कहीं गंदगी देखते हैं तो हमारे मन में घृणा के भाव आ जाते है।कहीं कुछ आश्चर्य जनक दिखता है तो हम अचंभित हो जाते हैं।

अगर मनुष्य के जीवन से भावनाओं को.हटा दिया जाये तो व्यक्ति अकर्मण्य हो जायेगा।कब? कहाँ?क्या ?भाव लाने है उसे प्रकट ही नही करेगा।अतः भावनाओं के बिना मनुष्य जीवन का कोई अर्थ ही नहीं रह जायेगा।


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