वो भी उतनी ही इस प्रकृति की स्वामी हैं जितना मानव है। वो भी उतनी ही इस प्रकृति की स्वामी हैं जितना मानव है।
उसके मन की सिसकियों की आवाज उसके अपने ही अनसुनी कर रहे थे। उसके मन की सिसकियों की आवाज उसके अपने ही अनसुनी कर रहे थे।
प्यार की कोई भाषा नही होती। प्यार के लिए शब्दो की नही भावनाओ की अहमियत होती है। प्यार की कोई भाषा नही होती। प्यार के लिए शब्दो की नही भावनाओ की अहमियत होती है।
जज्बात,, जिसे शुद्ध हिन्दी में हम भावनाएँ कहते हैं। जज्बात,, जिसे शुद्ध हिन्दी में हम भावनाएँ कहते हैं।
अब नलिनी भी नील की बाहों में टूट कर बिखर जाना चाहती थी। अब नलिनी भी नील की बाहों में टूट कर बिखर जाना चाहती थी।
उसे कितनी बार समझाने की कोशिश की कि वो जॉब करने आया है।जॉब करे। ख़ामखा खुद भी परेशान होगा और मुझे भी ... उसे कितनी बार समझाने की कोशिश की कि वो जॉब करने आया है।जॉब करे। ख़ामखा खुद भी परे...