जीवन बीना तकनीक के
जीवन बीना तकनीक के
रवि एक व्यस्त शहरी जीवन जी रहा था। उसकी दुनिया तकनीक पर निर्भर थी। मोबाइल, लैपटॉप, इंटरनेट—ये सब उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके थे। एक रात, काम की थकान से चूर होकर, वह सो गया। लेकिन जब वह उठा, तो उसने खुद को एक अजीब, नई दुनिया में पाया।
यह जगह शांत, सुंदर और हरियाली से भरपूर थी। वहाँ कोई गाड़ियाँ नहीं थीं, न ही मोबाइल फोन। लोग एक-दूसरे से आमने-सामने बात कर रहे थे। खेतों में किसान हाथ से फसल काट रहे थे, बच्चे पेड़ों पर झूला झूल रहे थे, और महिलाएँ हाथ से खाना बना रही थीं।
रवि ने सोचा, "यह कैसी जगह है? यहाँ न बिजली है, न तकनीक। क्या ये लोग ठीक से जी पा रहे हैं?"
कुछ दिनों तक वहाँ रहने के बाद, रवि को एहसास हुआ कि लोग खुश और संतुष्ट थे। वे हर काम अपने हाथों से करते थे, लेकिन इसमें उन्हें संतोष मिलता था। खाने का स्वाद, मेहनत की मिठास, और रिश्तों की गर्मजोशी—यह सब तकनीक की दुनिया से कहीं अधिक मूल्यवान था।
लेकिन, धीरे-धीरे, रवि को दिक्कतें भी महसूस होने लगीं। एक दिन एक बच्चा बीमार पड़ गया, और कोई दवा उपलब्ध नहीं थी। डॉक्टर को बुलाने के लिए रवि ने सोचा, "काश यहाँ मोबाइल या वाहन होते तो मदद जल्दी पहुँचती।"
उसने यह समझा कि तकनीक का सही उपयोग हमारी ज़िंदगी को आसान और सुरक्षित बना सकता है, लेकिन उसकी अति हमें नष्ट भी कर सकती है।
कुछ दिनों बाद, रवि अपनी असली दुनिया में वापस आ गया। अब उसने तय किया कि वह तकनीक का उपयोग सोच-समझकर करेगा। वह अपने दोस्तों और परिवार से समय बिताने लगा और तकनीक को सिर्फ एक साधन के रूप में इस्तेमाल करने लगा।
इस अनुभव ने रवि को सिखाया कि तकनीक न तो अच्छी है, न बुरी—यह हमारी सोच और उपयोग पर निर्भर करती है।
संदेश:
तकनीक हमारी सेवा के लिए है, न कि हमें नियंत्रित करने के लिए। संतुलित जीवन ही सच्चा सुख देता है।
