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kacha jagdish

Children Stories Fantasy Inspirational

3  

kacha jagdish

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खुशी का रहस्य

खुशी का रहस्य

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 समय पहले की बात है। एक राज्य में सुंदर, अमीर और बेहद ऊब चुकी एक राजकुमारी रहती थी। उसका नाम था राजकुमारी अनन्या। उसके पास सब कुछ था—सोने-चांदी के गहने, मखमली कपड़े, स्वादिष्ट पकवान, और महल जो किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन... एक समस्या थी।


राजकुमारी को खुशी नहीं मिल रही थी!


हर दिन वह महल के बाग में बैठती, फूलों को देखती और सोचती, "आखिर खुशी क्या है? और यह मुझे क्यों नहीं मिलती?"


एक दिन, राजकुमारी अपने कमरे की खिड़की से बाहर झांक रही थी। तभी उसकी नजर महल के बाहर एक आदमी पर पड़ी। वह साधारण कपड़े पहने लकड़ियां काट रहा था। उसकी उम्र करीब तीस-पैंतीस होगी। चेहरा धूप से तांबई हो चुका था, पसीना बह रहा था, और शरीर से थकावट साफ दिख रही थी। लेकिन... वह गा रहा था!


"क्या! यह कैसे हो सकता है?" राजकुमारी ने हैरानी से सोचा।

"मैं रेशम के बिस्तर पर लेटी हूं और यह आदमी... लकड़ियां काटते हुए इतना खुश कैसे है?"


राजकुमारी से रहा नहीं गया। उसने फौरन अपनी नौकरानी से कहा, "जल्दी से मेरा घूंघट लाओ। मैं इस आदमी से मिलने जा रही हूं।"


नौकरानी हड़बड़ाई, "महारानी, आप एक आम आदमी से मिलने जाएंगी?"

राजकुमारी बोली, "हां, खुशी का राज़ जानने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। जल्दी करो!"


कुछ ही देर में राजकुमारी उस आदमी के पास पहुंच गई। वह अब भी गुनगुना रहा था। राजकुमारी ने पास जाकर कहा, "ए सुनो! तुम इतना खुश कैसे रह लेते हो?"


आदमी ने रुककर देखा। उसकी आंखों में न तो डर था, न ही झिझक। उसने मुस्कुराकर जवाब दिया, "खुश? क्यों न रहूं? मेरा काम खत्म होगा, तो घर जाकर अपनी बीवी के हाथ की रोटी खाऊंगा और बच्चों के साथ खेलूंगा। इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है?"


राजकुमारी ने भौंहें चढ़ाईं, "इतनी मेहनत के बाद भी तुम्हें खुशी मिलती है? और मैं, जो रेशम में लिपटी हूं, सबसे स्वादिष्ट खाना खाती हूं, फिर भी खुश नहीं हूं। आखिर तुम्हारा राज़ क्या है?"


आदमी ने लकड़ी का गट्ठा जमीन पर रखा और मुस्कुराते हुए बोला, "राजकुमारी जी, खुशी कोई चीज़ नहीं जो आपको गहनों या महलों में मिल जाए। यह तो आपके काम और सोच में छिपी होती है।"


राजकुमारी चिढ़कर बोली, "ओह! यह तो कोई नई बात नहीं। ऐसा तो सब कहते हैं।"

आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, तो मैं तुम्हें एक काम देता हूं। अगर तुम इसे कर पाईं, तो तुम्हें खुशी का असली मतलब समझ आ जाएगा।"


राजकुमारी ने उत्सुकता से कहा, "क्या काम?"


आदमी ने पास के जंगल की ओर इशारा करते हुए कहा, "वहां एक पुराना पेड़ है, जिसके नीचे कई पत्तियां गिरी हैं। जाओ और उनमें से सबसे खूबसूरत पत्ती लेकर आओ। लेकिन ध्यान रहे, तुम वापस आकर दूसरी पत्ती नहीं चुन सकती।"


राजकुमारी ने सोचा, "यह तो बहुत आसान है।" वह फौरन जंगल की ओर चल पड़ी।


जंगल में पहुंचते ही उसने पत्तियां देखनी शुरू कीं। पहली पत्ती बड़ी सुंदर थी, लेकिन उसने सोचा, "शायद आगे इससे भी सुंदर पत्ती मिल जाए।" वह आगे बढ़ी। दूसरी पत्ती और भी चमकदार थी, लेकिन उसने फिर सोचा, "थोड़ा और चलूं, इससे बेहतर जरूर मिलेगी।"


इसी तरह चलते-चलते पूरा दिन बीत गया। सूरज डूबने लगा। राजकुमारी को अब कोई पत्ती उतनी सुंदर नहीं लग रही थी। अंत में, थककर उसने एक मुरझाई हुई पत्ती उठा ली और वापस लौटी।


वह आदमी वहीं उसका इंतजार कर रहा था। राजकुमारी ने पत्ती दिखाते हुए कहा, "मुझे सबसे सुंदर पत्ती नहीं मिली। हर बार लगा, आगे और बेहतर होगी।"


आदमी हंस पड़ा। उसने कहा, "यही तो हमारी समस्या है। हम हमेशा सोचते हैं कि सबसे अच्छा आगे मिलेगा। लेकिन खुशी उसी पल में है, जो अभी हमारे पास है।"


राजकुमारी चुप हो गई। पहली बार उसे महसूस हुआ कि खुशी किसी चीज़ में नहीं, बल्कि खुद में होती है। उसने आदमी का शुक्रिया अदा किया और महल लौट गई।


उस दिन के बाद राजकुमारी ने शिकायत करना छोड़ दिया। उसने छोटे-छोटे पलों को जीना शुरू किया और हर पल में खुशी ढूंढने लगी।


और वह आदमी? वह अब भी लकड़ियां काटता है, गुनगुनाता है, और लोगों को सिखाता है कि खुशी का असली रहस्य कहां छिपा है।


सीख: खुशी पाने के लिए हमें अपनी सोच बदलनी पड़ती है। यह बाहर नहीं, हमारे अंदर होती है।


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